शहीद सुनील भारद्वाज के अंतिम संस्कार में उमड़ा जनसैलाब, नम आंखों से दी गमगीन विदाई

Edited By Shivam, Updated: 04 Sep, 2019 02:50 AM

भारत माता की रक्षा के लिए श्रीनगर में मुठभेड़ के दौरान शहीद हुए गांव ताजपुर के सुनील भारद्वाज का मंगलवार को गमगीन माहौल में पूरे राजकीय समान के साथ अंतिम संस्कार किया गया। सशस्त्र सुरक्षा बल, एस.एस.बी./अर्धसैनिक बल की टुकड़ी द्वारा मातमी धुनों के...

बापौली (पंकेस): भारत माता की रक्षा के लिए श्रीनगर में मुठभेड़ के दौरान शहीद हुए गांव ताजपुर के सुनील भारद्वाज का मंगलवार को गमगीन माहौल में पूरे राजकीय समान के साथ अंतिम संस्कार किया गया। सशस्त्र सुरक्षा बल, एस.एस.बी./अर्धसैनिक बल की टुकड़ी द्वारा मातमी धुनों के साथ सलामी दी गई। विधायक रविन्द्र मछरौली के भाई विक्रम मच्छरौली, भाजपा शताब्दी विस्तारक मैनपाल शर्मा, एस.डी.एम. समालखा अमरदीप जैन, तहसीलदार बापौली, एस.एच.ओ. बापौली सुमित कुमार ने श्रद्धांजलि अर्पित की।

सुबह जब शहीद सुनील का पार्थिव शरीर उनके पैतृक गांव ताजपुर में पहुंचा, तो गांव वासियों के साथ-साथ नजदीकी गांवों और स्कूली बच्चों का हुजूम टूट पड़ा। हर कोई शहीद सुनील के अंतिम दर्शन के लिए बेताब था। सबसे पहले गांव में पहुंचने पर पार्थिव शरीर को अंतिम दर्शनार्थ घर ले जाया गया और सभी ने श्रद्धासुमन अर्पित कर श्रद्धांजलि दी।

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पानीपत के गांव ताजपुर के सतबीर भारद्वाज की दो संतानों में से पहले संतान के रूप में जन्म लेने वाले सुनील भारद्वाज अपनी बारहवीं की पढ़ाई पूरी कर करीब 6 साल पहले 17 जून 2013 को सशस्त्र सुरक्षा बल, एस.एस.बी./अर्धसैनिक बल में भर्ती हुए थे। करीब साढ़े तीन वर्ष तक आसाम में नौकरी करने के बाद श्रीनगर भेजे गए। शहीद सुनील के दो बच्चे हैं, जिनमें बड़ा बेटा अजय (13 वर्ष) पांचवीं कक्षा में पढ़ता है, बेटी खुशी(11 वर्ष) चौथी कक्षा में पढ़ती है। 

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दिल्ली से सुबह करीब 3 बजे थाने पहुंचा शहीद सुनील का पार्थिव शरीर
शहीद सुनील भारद्वाज का पार्थिव शरीर को गांव में लेकर सुबह 3 बजे थाने लेकर पहुंचे, इसके बाद करीब सात बजे शहीद के पैतृक गांव ताजपुर के लिए रवाना हुए रास्ते में जगह-जगह लोगों की एकत्रित भीड़ ने शहीद की अंतिम यात्रा में फूल बरसाए और कहा जब तक सूरज चांद रहेगा, सुनील भारद्वाज तेरा नाम रहेगा। करीब आठ बजे गांव में पहुंचे, तो इस दौरान भारी संया में शहीद को श्रद्धांजलि देने उमड़े जनसैलाब की आंखें नम हो गई। जनसैलाब ने इंकलाब जिन्दाबाद के नारे लगाने शुरू किए।

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गांव के पहले शहीद हैं सुनील भारद्वाज
गांव ताजपुर में सुनील भारद्वाज से पहले कोई जवान शहीद नहीं हुआ। गांव के सुनील भारद्वाज के शहीद हो जाने की सूचना जैसे ही गांव में पहुंची, तो ग्रामीणों ने उसके संस्कार की तैयारी शुरू कर दी थी। ग्रामीणों ने सुनील के अंतिम संस्कार पर होने वाली भीड़ को देखते हुए जहां गांव के देवी मंदिर के नजदीक ही उनका अंतिम संस्कार कराया गया। संस्कार के समय ग्रामीणों में ये चर्चा रही कि सुनील शहीद होकर जहां हमारे गांव का नाम देश में चमका गया।

ग्रामीणों के दिलों में रहेगा सुनील 
शहीद सुनील भारद्वाज की शहादत को सलाम करते गांव की पंचायत ने प्रस्ताव पास कर गांव में उसका अंतिम संस्कार वाले स्थान पर उसकी प्रतिमा लगाए जाने, उसके नाम पर यहीं पर स्वागत गेट बनाने तथा गांव के राजकीय स्कूल का नाम शहीद सुनील के नाम पर रखे जाने की मांग सरकार को भेजे जाने का निर्णय लिया है।

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