दोनों हाथ कटने के बाद भी नहीं पस्त हुआ हौसला, पैरा ओलंपिक में भारत को रिप्रेजेंट करना चाहता है मनीष

Edited By Mohammad Kumail, Updated: 01 Jun, 2023 03:44 PM

manish wants to represent india in para olympics

कहते हैं आसमान की ऊंचाइयों को छूने के लिए पंक्तियों की नहीं बल्कि हौसले की जरूरत पड़ती है। यह पंक्तियां पानीपत के गांव नौल्था के रहने वाले दिव्यांग मनीष पर सटीक बैठती है...

पानीपत (सचिन शर्मा) : कहते हैं आसमान की ऊंचाइयों को छूने के लिए पंक्तियों की नहीं बल्कि हौसले की जरूरत पड़ती है। यह पंक्तियां पानीपत के गांव नौल्था के रहने वाले दिव्यांग मनीष पर सटीक बैठती है। 3 साल पहले हादसे में दोनों हाथ गंवा चुका मनीष इन दिनों पानीपत के शिवाजी स्टेडियम में पैरा ओलंपिक की तैयारी कर रहा है। 2023 नेशनल प्रतियोगिताओं के लिए मनीष अपना ट्रायल दे चुका है। जिसमें मनीष ने चौथा स्थान हासिल किया है, लेकिन मनीष का हौसला पस्त नहीं हुआ। वह 2024 में होने वाले नेशनल ट्रायल के लिए जी जान लगाकर मेहनत कर रहा है।

पानीपत के शिवाजी स्टेडियम में इन दिनों दिव्यांग खिलाड़ी मनीष सबके लिए मोटिवेशनल खिलाड़ी बन चुका है। 1998 में एक गरीब परिवार में जन्मा मनीष पढ़ने में रुचि रखने वाला बच्चा था। छोटी उम्र में पिता का साया सर से उठ गया। किसी तरह बीकॉम फाइनल करने के बाद घर की आर्थिक स्थिति को सुधारने के लिए वह एक फैक्ट्री में बिजली मेकैनिक का कार्य करने लगा। करीब 1 साल की नौकरी के बाद 2019 में मनीष 11000 वोल्टेज की तारों की चपेट में आ गया और उसके दोनों हाथ ईलाज के दौरान काटने पड़े। 9 महीने के ईलाज के बाद मनीष ने चलना शुरू किया पर अभी भी मनीष के हौसले बुलंद थे। जुनून था सिर्फ शोहरत और पैसा कमाने का तो मनीष ने ठान लिया कि उसके हाथ कट चुके हैं पर उसके पैर तो हैं। इसी हौसले के साथ मनीष ने दौड़ लगाना शुरू किया और पंद्रह सौ मीटर की दौड़ की तैयारियों में जुट गया। 2020 से मनीष लगातार पानीपत के शिवाजी स्टेडियम में पसीना बहा रहा है। एथलीट के कोच महिपाल भी पूरी मेहनत से मनीष की तैयारियां करवा रहे हैं। इसी साल मनीष नेशनल प्रतियोगिताओं के लिए अपना ट्रायल दे चुका है। जिसमें वह चौथे स्थान पर रहा था। आने वाली नेशनल प्रतियोगिताओं के ट्रायल में 2024 में मनीष फिर से पार्टिसिपेट करेगा और मनीष का कहना है कि वह इस बार प्रथम आकर अपने आपको नेशनल लेवल पर जरूर काबिज करेगा, और एक दिन वह पैरा ओलंपिक में 15 मीटर की दौड़ में हिस्सा लेकर इंडिया को रिप्रेजेंट करेगा।

मनीष ने बताया कि उसके घर की आर्थिक हालत ठीक नहीं है। उसे शिवाजी स्टेडियम में आने के लिए भी रोजाना 50 से 60 रुपये का किराया भर कर आना पड़ता है और महंगी डाइट की भी उसे जरूरत होती है, जिसके लिए वह असमर्थ है। मनीष के हौसले को देखते हुए कोच उसकी संभव मदद करते हैं।  कोई ऐसा शख्स या कोई समाजसेवी इस खिलाड़ी की मदद जरूर करे, क्योंकि बड़े सपने ऐसे ही नहीं पूरे होते। इस खिलाड़ी को मदद की दरकार है।

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