Edited By Deepak Kumar, Updated: 17 May, 2025 12:21 PM
उत्तराखंड के नैनीताल के रामनगर की भारती ने अपनी छोटी उम्र में ही एक हादसे में अपने दोनों हाथ गवा दिए थे। इसके बाद भी भारती कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय में फाइन आर्ट विभाग में मास्टर डिग्री के द्वितीय वर्ष में पढ़ाई करने
कुरुक्षेत्र (रणदीप रोर) : कहते हैं अंधेरा जितना गहरा होगा सुबह उतने ही नजदीक होगी। इस कहावत को सार्थक करके दिखाया है उत्तराखंड के नैनीताल के रामनगर की भारती ने। भारती ने अपनी छोटी उम्र में ही एक हादसे में अपने दोनों हाथ गवा दिए थे लेकिन उन्होंने हाथ गवाने के बाद भी हार नहीं मानी और वह लगातार अपने सपनों को दूसरे लोगों की तरह ही पूरे कर रही है।
उत्तराखंड के एक छोटे से गांव की रहने वाली है भारती
कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय में फाइन आर्ट विभाग में मास्टर डिग्री के द्वितीय वर्ष में पढ़ाई करने वाली भारती ने बताया कि वह उत्तराखंड में स्थित नैनीताल के पास रामनगर की रहने वाली है। परिवार में वह पांच भाई-बहन है और उनकी माता है जो ग्रहणी है। उनके पिता का स्वर्गवास हो चुका है। सिर से पिता का साया उठने से परिवार पर काफी चुनौती रहती है लेकिन भारती दूसरे बच्चों की तरह ही अपनी पढ़ाई करके अपने सपने पूरे करने के लिए दिन-रात मेहनत कर रही है।
छोटी उम्र में विस्फोटक पदार्थ से गवा दिए हाथ
भारती ने बताया कि वह जब छोटी आयु में थी तब विस्फोटक पदार्थ का उन्होंने प्रयोग किया जिसमें उसके दोनों हाथ क्षतिग्रस्त हो गए और उसके बाद डॉक्टर के उपचार में भारती ने अपने दोनों हाथ गवा दिए। उस समय उसकी आयु काफी छोटी थी जिसके चलते उसको जिंदगी के संघर्ष के बारे में इतना कुछ मालूम नहीं था और धीरे-धीरे वह ठीक होने के बाद हादसे के बाद मिली जिंदगी को ही स्वीकार किया और एक अपना स्कूल जाना शुरू किया। और दूसरे लोगों की तरह ही अपने रोजमर्रा के काम करने लगी। और अपने आप को इस प्रकार से ढाल लिया कि हाथ न होने के चलते भी वह अपने हर काम कर लेती है ताकि वह किसी पर बोझ ना बने।
12वीं पास करने के बाद फाइन आर्ट को चुना
उन्होंने बताया कि 12वीं तक वह एक साधारण विद्यार्थी थी जो दूसरे की तरह ही अपनी पढ़ाई किया करती थी लेकिन 12वीं कक्षा पास करने के बाद किसी ने उनको फाइन आर्ट विषय के बारे में बताया और वहीं से उसकी जिंदगी ने नया मोड़ लिया। हाथ न होने के चलते परेशानी हुई लेकिन धीरे-धीरे उसने अपने आप को इसमें डाल लिया और अब वह फाइन आर्ट में कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय कुरुक्षेत्र से मास्टर डिग्री कर रही है। 12वीं के बाद से ही उसकी फाइन आर्ट में रुचि हुई जिसके चलते उसने अपने भविष्य के लिए फाइन आर्ट चित्रकला को चुना।
नेचर संबंधित बनाती है आर्ट
भारती ने कहा कि वह उत्तराखंड की रहने वाली है वहां पर नेचर हर किसी को अपने और आकर्षित करता है इसलिए उसने अपनी संस्कृति को बचाने के लिए नेचर पर आर्ट बनाने शुरू की। इतना ही नहीं उन्होंने नेचुरल तरीके से रंग भी तैयार किया जिसको वह प्रयोग करती है उन्होंने कहा कि उनके ज्यादातर प्रोजेक्ट नेचर संबंधित होते हैं।
दिल्ली, चंडीगढ़ और अमृतसर में भारती के आर्ट के लग चुके एग्जिबिशन
भारती ने बताया कि वह शुरू से ही फाइन आर्ट में कुछ अलग करना चाहती है जिसके चलते उसने नेचुरल आर्ट पर ज्यादा काम किया है धीरे-धीरे वह इसमें इतनी अव्वल हो गई कि वह अब अपने द्वारा बनाए गए आर्ट की एग्जीबिशन चंडीगढ़ , अमृतसर और दिल्ली जैसे बड़े शहरों में भी लग चुकी है। उन्होंने बताया कि वहां पर लगाए गए एग्जीबिशन में जो लोग उनके एग्जिबिशन देखने के लिए पहुंचे थे उन्होंने उनके काम की काफी तारीफ की है जिससे उनका मनोबल बढ़ा है अब वह भविष्य में इससे भी बेहतर काम करने पर काम कर रही है ताकि मास्टर डिग्री करने के बाद वह फाइन आर्ट में काम करके इसमें अपना भविष्य बना सके।
गांव के बच्चों को सिखाती है चित्रकला
भारती ने बताया कि वह ग्रामीण परिवेश से आती है और जब उनकी छुट्टी होती है तब वह अपने गांव में चली जाती है और वहां पर ग्रामीण परिवेश के बच्चों को चित्रकला सिखाती है। ताकि ग्रामीण परिवेश के बच्चे चित्रकला सीख कर वह भी अपने भविष्य और जीवन में कुछ कर सके इसी के चलते उन्होंने ग्रामीण बच्चों को चित्रकला सिखाने का बीड़ा उठाया हुआ है। वह भविष्य में भी चित्रकला में ग्रामीण परिवेश से जुड़े हुए लोगों के लिए काम करना चाहती है।
हाथ न होने के बाद भी दूसरों से अच्छी करती है चित्रकला
डॉ गुरु चरण सिंह फाइन आर्ट विभाग अध्यक्ष कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय ने बताया कि भारती बहुत ही होनहार छात्रा है। और हम लोग इसका काम देखते आ रहे हैं यह दूसरे लोगों से भी अच्छा काम करती है। हालांकि उनके हाथ नहीं है और चित्रकला में बड़ी बारीकी से काम किया जाता है जिसमें जो लोग शारीरिक तौर पर पूरे स्वस्थ है वह भी इसमें सही से काम नहीं कर पाए लेकिन भारती ने बिना हाथों के ऐसी ऐसी चित्रकला बनाई है जो हर किसी को अपनी ओर आकर्षित करती है उन्होंने कहा कि यह बहुत ही अच्छी विद्यार्थी है। और इनका काम सराहनीय है। उन्होंने कहा कि चित्रकला के लिए इनके अंदर एक अलग ही जुनून है और यह जुनून उनके काम में दिखाई देता है। उन्होंने कहा कि यह दूसरे लोगों के लिए एक मोटिवेशन भी है जहां हाथ होने के बावजूद भी लोग अच्छे से चित्रकला नहीं कर पाए लेकिन इनको देखकर विद्यार्थी ही नहीं विभाग के सभी टीचर भी इसे मोटिवेट होते हैं कि इन्होंने इन हालातो में भी अपने आप को दूसरों से कितना बेहतर बनाया है। उन्होंने कहा कि मैं तो सिर्फ इतना ही कहूंगा कि यह बच्ची भविष्य में अपने सपनों को पूरा करें ताकि कोई भी इसको इसके काम के लिए जाने। और मैं इनका भविष्य की शुभकामनाएं देता हूं।
भारती क्लास में भी दूसरों से है काफी बेहतर, लोगों को मिलती है मोटिवेशन
भारती की क्लास में तनीषा ने कहा कि भारती को देखकर हमें भी प्रेरणा मिलती है कि किस प्रकार से भारती काम करती है । जो हमारे जैसे विद्यार्थी है वह भी इतनी बारीकी से काम नहीं कर पाए जितनी बारीकी से भारती काम करती है और हर कोई इनके काम को देखकर खुश हो जाता है इसलिए हमें भारती को देखकर काफी कुछ सीखने को मिलता है और जो लोग अपनी जिंदगी से निराश हो जाते हैं उन लोगों को भारती एक नई रोशनी देने का काम करती है।
भारती ने अपने काम से दिखाया है कि किस प्रकार से वह अपने हर काम को बड़े अच्छे से करती है और चित्रकला शारीरिक तौर पर स्वास्थ्य लोग भी नहीं कर पाए उनसे भी अच्छा काम भारती बिना हाथों के कर रही है। लेकिन भारती को लोगों की सिंपैथी नहीं चाहिए भारती को चाहिए कि लोग उनके काम को देखकर उसकी प्रशंसा करें और उसको प्रमोट करें। यह कहानी एक एसीबीलड़की की है जो एक छोटे से गांव से निकलकर साधारण सी दिखने वाली लड़की ने समाज को नई दिशा देने का काम किया है। जिसने अपने हाथ गवा देने के बाद इसको कमजोरी नहीं बनने दिया बल्कि इस कमजोरी को अपने जुनून और मेहनत से पीछे छोड़ दिया और चित्रकला में नए आयाम स्थापित करने पर काम किया ।जिससे आज भारती ने कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के फाइन आर्ट विभाग में उसके अच्छी पढ़ाई और अवल चित्रकला के तौर पर पहचान बनाई है।
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