Edited By Gourav Chouhan, Updated: 02 Oct, 2022 04:09 PM
नेशनल फिल्म अवॉर्ड्स में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने मंदीप को अवार्ड देकर सम्मानित किया। यह फिल्म जम्मू कश्मीर में अनुच्छेद 35ए के चलते दलितों पर हुए अत्याचारों को दर्शाती है।
करनाल: जिले के गांव गोंदर के रहने वाले मंदीप सिंह चौहान को डॉक्यूमेंट्री फिल्म बनाने के लिए रजत कमल पुरस्कार दिया गया है। नेशनल फिल्म अवॉर्ड्स में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने मंदीप को अवार्ड देकर सम्मानित किया। यह फिल्म जम्मू कश्मीर में अनुच्छेद 35ए के चलते दलितों पर हुए अत्याचारों को दर्शाती है।
राष्ट्रीय स्तर पर सर्वश्रेष्ठ फिल्म के रूप में चयनित हुई थी मंदीप की फिल्म
फिल्म निर्माता मंदीप सिंह चौहान को यह सम्मान उनकी लघु फिल्म 'जस्टिस डिलेड बट डिलीवर्ड' के लिए दिया गया। नॉन फीचर फिल्म श्रेणी में यह फिल्म राष्ट्रीय स्तर पर सर्वश्रेष्ठ फिल्म के रूप में चयनित की गई थी। मंदीप सिंह चौहान के साथ फिल्म के निर्देशक मुंबई निवासी कामाख्या नारायण सिंह को भी राष्ट्रपति ने सम्मानित किया। मंदीप चौहान के बड़े भाई डॉ. वीरेंद्र सिंह चौहान हरियाणा ग्रंथ अकादमी के उपाध्यक्ष और निदेशक हैं।
जम्मू कश्मीर में अनुच्छेद 35 ए के प्रावधानों पर बनी फिल्म
मंदीप सिंह चौहान ने कहा, जस्टिस डिलेड बट डिलीवर्ड' डॉक्यूमेंट्री फिल्म की कहानी जम्मू कश्मीर में संविधान के अब समाप्त हो चुके अनुच्छेद 35 ए के काले प्रावधानों के कारण वहां के वाल्मीकि समुदाय के साथ दशकों तक हुए अमानवीय अत्याचारों की दास्तान पर आधारित है। फिल्म राधिका गिल नामक एक जुझारू लड़की की दास्तान है मगर इसमें राधिका जैसे हजारों कश्मीरी हिंदुओं का दर्द वर्णित है। जम्मू कश्मीर मामलों पर वर्षों तक लेखन करते रहे डॉ. वीरेंद्र सिंह चौहान बताते हैं कि अनुच्छेद 370 के संशोधन और 35ए के उन्मूलन ने राधिका जैसे लाखों लोगों के जीवन में नई रोशनी का संचार किया। उन्होंने कहा कि चोरी छुपे जोड़े गए अनुच्छेद 35ए के कारण राधिका गिल सहित वहां के वाल्मीकि समुदाय के लोगों को चुनाव लड़ने का अधिकार तो दूर की बात सरकारी नौकरियों के लिए आवेदन करने का अधिकार भी नहीं था। यह काला अनुच्छेद उन्हें केवल और केवल सफाई कर्मचारी बनने की इजाजत देता था।
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