किंग बनने के चक्कर में अकेले पड़ गए ‘किंग मेकर’, 2019 में किंग मेकर बनी थी JJP... अब लेना पड़ रहा गठबंधन का सहारा

Edited By Isha, Updated: 29 Aug, 2024 06:06 PM

in the quest to become king the  king maker  found himself alone

2019 में पहली बार हरियाणा के चुनावी मैदान में उतरी जननायक जनता पार्टी इस बार के विधानसभा चुनाव में मुश्किलों में फंसती दिखाई दे रही है। 2019 में किंग मेकर बनी ऊभरी जेजेपी को इस बार चुनाव लड़ने के लिए गठबंधन का सहारा लेना पड़ रहा है।

चंडीगढ़(चंद्रशेखर धरणी): 2019 में पहली बार हरियाणा के चुनावी मैदान में उतरी जननायक जनता पार्टी इस बार के विधानसभा चुनाव में मुश्किलों में फंसती दिखाई दे रही है। 2019 में किंग मेकर बनी ऊभरी जेजेपी को इस बार चुनाव लड़ने के लिए गठबंधन का सहारा लेना पड़ रहा है।



पार्टी के 10 में से सात विधायक उसका साथ छोड़ चुके हैं और अब सिर्फ तीन विधायक ही उसके पास बचे हैं। लोकसभा चुनाव में भी जेजेपी का प्रदर्शन बेहद खराब रहा है और वह किसी सीट पर जीत दर्ज नहीं कर सकी। उसकी हालत इस कदर खराब रही कि वह एक प्रतिशत वोट भी हासिल नहीं कर पाई। जेजेपी लोकसभा चुनाव में हरियाणा की 90 विधानसभा सीटों में से किसी एक सीट पर भी बढ़त नहीं बना सकी। दुष्यंत चौटाला की मां नैना चौटाला को हिसार लोकसभा सीट पर सिर्फ 22032 वोट मिले जबकि 2014 में दुष्यंत चौटाला इस सीट से चुनाव जीते थे। नैना चौटाला वर्तमान में विधायक भी हैं।

जेजेपी को लोकसभा चुनाव 2024 में मिले वोट
लोकसभा सीट        मिले वोट

भिवानी-महेंद्रगढ़        15,265 
हिसार            22032
गुरुग्राम            13,278 
सिरसा            20,080 

गठबंधन का कितना असर
चंद्रशेखर आजाद की पार्टी आसपा का हरियाणा में कोई जनाधार नहीं है लेकिन उनके लोकसभा का सांसद चुने जाने के बाद पार्टी के कार्यकर्ताओं में जोश और उत्साह जरूर है। हरियाणा में इन दोनों दलों का गठबंधन कितना असर कर सकता है ? चलिए जानते हैं, चंद्रशेखर आजाद की पार्टी को मूल रूप से दलित मतदाताओं की समर्थक पार्टी माना जाता है। दुष्यंत चौटाला हरियाणा में सभी 36 बिरादरी की राजनीति करने की बात करते हैं, हरियाणा की राजनीति में निश्चित रूप से जाट और दलित समुदाय राजनीतिक रूप से प्रभावशाली हैं। जाट मतदाता जहां 22 से 25 प्रतिशत हैं, वहीं दलित मतदाता 21 प्रतिशत हैं।


हरियाणा की राजनीति में 30 से 35 विधानसभा सीटों पर जाट मतदाता असर रखते हैं, लेकिन किसान आंदोलन के दौरान दुष्यंत के बीजेपी का साथ नहीं छोड़ने की वजह से जाट और किसान मतदाताओं में जेजेपी के लिए नाराजगी दिखाई दे रही है। हालांकि दुष्यंत ने इसके लिए माफी मांगकर किसान और जाट मतदाताओं की नाराजगी कम करने की कोशिश की है। उन्होंने साफ कहा है कि अब वह बीजेपी के साथ नहीं जाएंगे।

हरियाणा में 17 विधानसभा सीटें हैं आरक्षित
हरियाणा में 17 विधानसभा सीटें आरक्षित हैं। जेजेपी पिछली बार 10 सीटें जीती थी और 10 सीटों पर वह दूसरे नंबर पर रही थी। जेजेपी की कोशिश इन 20 सीटों पर मजबूती से चुनाव लड़ने की है और अगर उसे चंद्रेशखर की वजह से दलित मतदाताओं का भी समर्थन मिला तो यह गठबंधन कुछ सीटें झटक सकता है।

 

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