2004 में घर से नाराज होकर घर से निकली महिला को क्रांइम ब्रांच ने परिवार से मिलाया

Edited By Ajay Kumar Sharma, Updated: 16 Nov, 2022 01:09 AM

in 2004 the crime branch reunited the woman

साल 2004 घर से नाराज़ होकर निकली थी श्री देवी। पीछे छोड़ आई थी बच्चे और पति को। गुस्सा शांत हुआ तो खुद को घर से बहुत दूर पाया।

चंडीगढ़(चंद्रशेखर धरणी): साल 2004 घर से नाराज़ होकर निकली थी श्री देवी। पीछे छोड़ आई थी बच्चे और पति को। गुस्सा शांत हुआ तो खुद को घर से बहुत दूर पाया।  मानसिक दिव्यांग थी तो ज़्यादा समझ नहीं थी। भूल गई थी घर का पता, घर से भटक भटक कर बहुत दूर, जहाँ से वापसी का रास्ता नज़र नहीं आया। करीबन डेढ़ साल पहले भटक कर आ गयी थी प्रदेश के करनाल जिले में केस आया स्टेट क्राइम ब्रांच के पास, जहाँ से उच्चाधिकारियों के आदेशों के पश्चात श्री देवी की काउंसिलिंग बार बार की गई जिससे श्री देवी के परिवार के बारे में क्लू मिलने शुरू हुए। उसी क्लू का आधार बनाकर श्री देवी के परिवार को बिहार में ढूंढा गया। 

 

4 बार करनी पड़ी काउंसिलिंग, बुढ़ापे और मानसिक पीड़ित होने के कारण भूल चुकी थी परिवार को

 

2004 में परिवार के साथ पारिवारिक कलह के कारन श्री देवी गुस्से में घर से ट्रैन में बैठकर चली गई थी।  घर से काफी दूर जाने के बाद श्रीदेवी भटक गई थी।  करीबन डेढ़ साल पहले श्री देवी को प्रदेश एक करनाल जिले से रेस्क्यू किया जिसके बाद से उन्हें जिले के निजी आश्रम में रखा गया था। एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट मधुबन के ए एस आई जगजीत सिंह ने 2 महीने में श्रीदेवी की 4 बार काउंसलिंग की।  उम्र अधिक होने के कारण और मानसिक दिव्यांग होने के कारण अपने गाँव का नाम सिर्फ नानपत्ती गांव बता रही थी।  उसी क्लू के आधार पर बिहार में मधुबनी जिला प्रशासन से बात की गई।  वहां से गाँव के मुखिया की मदद 18 वर्ष बाद श्रीदेवी का परिवार बिहार के जिला मधुबनी थाना फूलप्राश गांव नानपट्टी में ढूंढा गया।  बेटे अरुण कामत और पति जसवर कामत प्रदेश आये और उन्होंने खुद श्री देवी की पहचान की।  पहचान के दौरान उन्होंने कहा था कि श्री देवी के हाथ पर उसका नाम लिखा हुआ है, और आज भी नाम उसके हाथ पर है। 

 

एक साल पहले भटक कर आ गई थी करनाल में, पहनावे से ढूंढ निकाला परिवार

 

जानकारी देते हुए बताया कि करनाल के निजी आश्रम में पिछले एक वर्ष से रह रही भगवती की 3 बार काउंसिलिंग यमुनानगर इंचार्ज जगजीत सिंह द्वारा गई। कॉउन्सिलिंग के दौरान भगवती को सिर्फ अपने गाँव का नाम पाई याद था।  महिला के पहनावे के अनुसार राजस्थान में पाई गाँव में सम्पर्क किया गया। लोकल क्षेत्र में जानकारी प्राप्त कर भगवती की फैमिली को राजस्थान के जिला भरतपुर के गांव पाई में ट्रेस किया गया जहाँ उसके भाई प्रेम चंद शर्मा , पति प्रदीप कुमार वा बच्चो को बुलाकर भगवती को उसके परिवार से मिलवाया गया। 

 

11 महीने बाद मिलवाई बेटे से माँ, उत्तर प्रदेश से भटक कर आ गई थी हरियाणा में

 

 

पुलिस प्रवक्ता ने जानकारी देते हुए बताया कि क्राइम ब्रांच मधुबन टीम ने उत्तर प्रदेश कि रहने वाली रामकली को 11 महीने बाद उसके बेटे और परिवार से मिलवाया। रामकली को उसके परिवार से मिलवाने कि ज़िम्मेदारी एएचटीयु मधुबन में कार्यरत एएसआई नमना अहलवात को सौंपी गई। जानकारी देते हुआ बताया कि रामकली 11 महीने पहले गांव बंबोरी कला से गुम हो गई थी।  रामकली की मानसिक हालत थोड़ी ठीक नहीं थी और वह भटक कर ट्रेन से करनाल तक पहुँच गई थी। रेलवे स्टेशन से रामकली को जीआरपी पुलिस ने रेस्क्यू किया और  मेडिकल करवाकर निजी आश्रम में सुरक्षित पहुंचा गया था। काउंसिलिंग के दौरान काफी कोशिश की गई लेकिन अपना नाम पता बताने में असमर्थ थी। बार बार काउंसिलिंग के दौरान उत्तर प्रदेश के ललितपुर का क्लू मिला। एएसआई नमना अहलवात द्वारा  एएसआई नमना अहलावत ने जिला ललितपुर  रामकली द्वारा बताए जाने पर तुरंत एसएचओ ललितपुर को फोन से संपर्क किया। परंतु गांव का नाम ना बताने की वजह से बात नहीं बन पा रही थी।

 

रामकली का परिवार था गरीब, क्राइम ब्रांच ने अपनी जेब से दिया आने जाने का किराया

 

 

काउंसिलिंग के दौरान क्राइम ब्रांच के लगातार प्रयासों से यूपी के ललितपुर में एक व्यक्ति से संपर्क हुआ तो जो गाड़ियों का काम करता था । उससे बात करने के दौरान गाँव के लिंक मिले तो वहां से पता चला की रामकली ललितपुर जिले के जाखलौन थाना और गाँव बम्बोरी कला से थी। गाँव में इसके बाद आखिरकार सभी के सहयोग से श्रीमती रामकली जी के परिवार से संपर्क हुआ। जहाँ पर पति बाबूलाल से सम्पर्क किया गया।  इसी दौरान पता चला कि रामकली के घर की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं है।  इस कारण से उसके परिवार को हरियाणा में आने जाने में दिक्कत थी। एएसआई ने उनकी आर्थिक समस्या को समझते हुए आने जाने का किराया और रहने की व्यवस्था कराई।

 

पुलिस प्रवक्ता ने जानकारी देते हुए बताया की वर्तमान में प्रदेश में 22 एएचटीयू कार्य कर रही है।  बच्चों व महिला और पुरुषों को परिवार से मिलवाने के अलावा बाल भिखारी और मानव तस्करी के खिलाफ भी टीम काम करती है। अगर कहीं भी कोई व्यक्ति या बच्च लावारिस घूम रहा होता है तो टीम वहां जाकर मेडिकल परीक्षण करवाती है और तुरंत सुरक्षित स्थान पर पहुंचाती है। वर्तमान में स्टेट क्राइम ब्रांच के चीफ अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक ओ पी सिंह आईपीएस है। उच्चाधिकारी द्वारा निर्देश जारी किये गए है कि चाहे कितनी बार ही काउंसिलिंग करनी पड़ जाये लेकिन हारना नहीं है।  जहाँ पीड़ित दिव्यांग होते है या छोटे बच्चे होते है वहां और अधिक संवेदनशील होने कि आवश्यकता है। ऐसे समय में टीम को मानवीय दृष्टिकोण से काम करना पड़ता है। इस वर्ष स्टेट क्राइम ब्रांच, अक्टूबर माह तक तक़रीबन  584 महिला-पुरुष व 461 गुमशुदा बच्चों को ढूंढ चुके है। इसके अलावा तक़रीबन 787 बाल भिखारियों और 1243 बाल मज़दूरों को रेस्क्यू किया गया है।  यदि आपको भी कोई बच्चा मज़दूर करते हुए दिखता है या कोई लावारिस दिखता है, तो तुरंत पुलिस से संपर्क करें। 

 

 (हरियाणा की खबरें टेलीग्राम पर भी, बस यहां क्लिक करें या फिर टेलीग्राम पर Punjab Kesari Haryana सर्च करें।)  

 

 

Related Story

Trending Topics

IPL
Lucknow Super Giants

Royal Challengers Bengaluru

Teams will be announced at the toss

img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!