लोकसभा चुनाव खत्म होने के बावजूद हरियाणा में अभी भी राजनीतिक सरगर्मियां जारी है। राजनेता खुलकर एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगा रहे हैं। ऐसे में भारतीय जनता पार्टी भी अभी से हरियाणा के विधानसभा चुनाव की तैयारियों में जुट चुकी है।
चंडीगढ़ (चंद्रशेखर धरणी): लोकसभा चुनाव खत्म होने के बावजूद हरियाणा में अभी भी राजनीतिक सरगर्मियां जारी है। राजनेता खुलकर एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगा रहे हैं। ऐसे में भारतीय जनता पार्टी भी अभी से हरियाणा के विधानसभा चुनाव की तैयारियों में जुट चुकी है। इसी को लेकर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और धर्मेंद्र प्रधान समेत तमाम नेताओं ने हरियाणा का रुख कर लिया है। विधानसभा चुनाव समेत लोकसभा चुनाव में 5 सीट गंवाने समेत कई अहम मुद्दों पर चंद्रशेखर धरणी ने हरियाणा के पूर्व गृह मंत्री और दबंग नेता अनिल विज से खास बातचीत की। इस दौरान अनिल विज ने केंद्रीय गृहमंत्री को आज का चाणक्य कहते हुए बीजेपी कार्यकर्ता को घायल शेर की संज्ञा दी और उसे बहुत खूंखार बताया। इतना ही नहीं विज ने कांग्रेस के साथ साथ भूपेंद्र सिंह हुड्डा को प्रजातंत्रिक तौर पर रिजेक्टिड माल तक कह दिया। अनिल विज ने पूर्व सीएम और केंद्रीय ऊर्जा मंत्री मनोहर लाल की तारीफ भी की। अनिल विज ने कहा है कि मैं राजनीति में कुछ प्राप्त करने के लिए नहीं आया, मैं सिर्फ विचारधारा पर काम करता हूं। चलिए जानते हैं अनिल विज ने अपने वर्तमान और भूतकाल के अलावा राजनीति के मौजूदा हालात पर क्या कुछ कहा....प्रस्तुत हैं,खास इंटरव्यू के चुनिंदा सवाल जवाब:
सवालः-29 जून को कुरुक्षेत्र में अमित शाह बीजेपी की एक मीटिंग करने जा रहे हैं। विधानसभा चुनाव में अब बहुत लंबा समय नहीं है। 90 से 95 दिन का समय शेष है। पार्टी के हरियाणा के इंचार्ज धर्मेंद्र प्रधान ने मिशन 100 और 20-20 मैच का नारा दिया है।
जवाबः- अमित शाह जी आज के चाणक्य हैं। इस मीटिंग में उनका मार्ग दर्शन हमें मिलेगा। आने वाले समय में विधानसभा चुनाव होना है। ऐसे में उनका मार्ग दर्शन हमारे लिए काफी महत्वपूर्ण होगा। हर (बीजेपी) एक प्रजातांत्रिक पार्टी है। हमारी लगातार नियमित बैठक होती रहती है और उन बैठकों में ही हम सब निणर्य़ लेते हैं। बैठक में सबकी राय से ही निर्णय लिए जाते हैं। अब अमित शाह के आने का बहुत फायदा होगा। इसके अलावा धर्मेंद्र प्रधान का भी अपना अनुभव है। जहां-जहां उन्होंने जिस-जिस प्रदेश में चुनाव लड़वाएं है, उनका बहुत ज्यादा अनुभव है। उसी के चलते हरियाणा में तीसरी बार बीजेपी की सरकार बनाने का रास्ता प्रशस्त होगा।
सवालः- पोबकर में घर्मेंग्र प्रधान जी ने 100 दिन के मिशन के साथ 20-20 मैच की संज्ञा दी है। ये 20-20 मैच का समय रह गया है, क्योंकि चुनाव सिर पर है।
जवाबः-कार्यकर्ताओं का मनोबल बढ़ाने के तरीके होते हैं और उस तरीके से उन्होंने बताया कि किस प्रकार से आगे चलना है और उनके मार्ग दर्शन में उनके बताने पर यहां सारा काम होगा।
सवाल:आज 25 जून है,आज केदिन ही एमरजेंसी लगभग 50 वर्ष पहले लगी थी।*
जवाब:एमरजेंसी का दश स्वतंत्र पत्रकारिता को लगा था।पंजाब केसरी के मालिकों ने ट्रेक्टर के माध्यम से अखबार निकाल इसका जुल्म सहा वा पत्रकारिता जिंदा रखी* *पंजाब केसरी की बिजली काट दी गई थी*। *विपक्षी नेताओं पर जुल्म किए गए,जेलों में बनद किए गए।लोकतंत्र का गला घोटा गया कांग्रेस शासन में ।
सवालः- आपका राजनीति में बहुत लंबा अनुभव है। 6 बार आप विधायक बने हैं। आपके अनुभव के आधार पर यदि बीजेपी को कोई मूलंमंत्र बताना हो को किस चीजों में सुधार किया जाए, जिससे बीजेपी हरियाणा में तीसरी बार सत्ता में आए। क्योंकि लोकसभा की 5 सीट हात से गई हैं। इसलिए आपके अनुभव काफी काम आ सकते हैं।
जवाबः- 5 सीट हाथ से गईं है। हमें मालूम है और घायल शेर बहुत खूंखार होता है। हमारा एक-एक कार्यकर्ता इस हार का बदला लेने के लिए अपनी पूरी ताकत लगाने के लिए तैयार खड़ा है। केवलल चुनाव आयोग की तारीख घोषित करने का इंतजार है। पूरे प्रदेश में हमारा संगठन है और पूरी ताकत के साथ चुनाव लड़ेंगे। मैं दावे के साथ कह सकता हूं कि हरियाणा में तीसरी बार बीजेपी की सरकार बनेगी।
सवालः- विज साहब जिस प्रकार से राजनीतिक परिस्थितियां हैं, जिस प्रकार से लोकसभा चुनव में कई चेहरे दूसरे दलों से लाकर चुनाव लड़वाए गए। अब हरियाणा में किरण और श्रुति चौधरी का बीजेपी में शामिल होना, ये सब चीजों से क्या कार्यकर्ताओं कै मनोबल डावाडोल नहीं होगा।
जवाबः- इसका अध्य्यन करना पड़ा है कि लाए गए कि आए। दोनों बातों में अंतर है। लाए गए तो हम तब कहें कि हमारे पास कमी है। कोई कमजोरी है, तो हम लेकर आए, या आए। दूसरी पार्टियों में जो लोग हैं लंबे समय तक काम करते-करते उन्हें समझ आ जाता है कि ये निकम्मी पार्टियां है। इनसे जिन उद्देश्यों को लेकर वह राजनीति में आए है। वह इनसे पूरा नहीं हो सकता। वह किसी दूसरी पार्टी में आकर ही पूरा हो सकता है। स्कूल में भी तो हम करते है। बच्चा किसी स्कूल में पढ़ रहा और वह वह देखता है कि इसमें भविष्य नहीं बन सकता। इसमें अच्छे नंबर नहीं आ सकते। इसमें अच्छा टीचिंग स्टाफ नहीं है, तो वह स्कूल बदल लेता है। उसी प्रकार से इस चीज का डिफेंटशिट करना पड़ेगा कि लाए गए या आए।
सवालः-किरण चौधरी अब बीजेपी में आ चुकी है। कहीं ना कहीं भूपेंद्र हुड्डा के लिए राहत है, क्योंकि एक तो एसआरके ग्रुप टूट गया और राजनीतिक प्रतिस्पर्धा खत्म हो गई।
जवाबः- नहीं-नहीं भूपेंद्र हुड्डा के लिए तो और ज्यादा मुश्किल हो गई, क्योंकि पहले उसके (किरण चौधरी के) ऊपर पार्टी अनुशासन की भी पाबंदियां होगी। बहुत कुछ वह जानती होगी, जो बोल नहीं सकती होगी। हुड्डा के बारे में। अब तो खुला मैदान हैं। बीजेपी के मंच पर खड़ा होकर, मैं अच्छे से जानता हं। वह अच्छी प्रखर वक्ता है और हुड्डा की धज्जियां उड़ाएगी वह।
सवालः- हुड्डा, उनके पुत्र और कांग्रेस 5 सीट जितने से बहुत उत्साहित है। हर बार उनकी चर्चा होती है कि अबकी बार 60-65 सीट कांग्रेस छोड़ेगी नही।
जवाबः- ये इन्होंने पिछली बार भी कहा था। उससे पिछली बार भी कहा था और एक बार हरियाणा में सत्ता इनके हाथ में देकर हरियाणा की जनता समझ चुकी हौ कि हरियाणा को लुटवाना नहीं है। हरियाणा को बचाना है और इनके हाथ हरियाणा किसी भी हालात में सुरक्षित नहीं है। हरियाणा को बचाना है और हरियाणा की जनता जानती है, एक-एक गांव जानता है, एक-एक बिरादरी जानती है, हर व्यक्ति जानता है कि हुड्डा के सीएम रहते इन्होंने किस प्रकार से हरियाणा का शोषण किया, जिससे लुट गए तो दोबारा उसके हाथ में कैसे दे देंगे। इसने हर प्रकार से लुटने की कोशिश की और हमने पारदर्शी सरकार चलाई। मनोहर लाल ने हर चीज पारदर्शिता से की। कुछ दिक्कत आई,. उसमें और उनको ठीक भी किया जा रहा है। जब भी कोई सिस्टम बदला जाता है तो उसमें कुछ कठिनाइयां आती भी हैं। उनको ठीक किया जा रहा है। इस राज में और कांग्रेस के राज में तुलनात्मक अध्य्यन किया हुआ है। एक तरफ हुड्डा का राज और एक तरफ बीजेपी का राज, प्रदेश में बीजेपी के नंबर हर मायने में कांग्रेस और भूपेंद्र सिंह हुड्डा और इस बापू-बेटे की राजनीति से ऊपर है।
सवालः- हुड्डा के शासन में आप जैसे आवाज उठाते थे। उस समय सरकार और सीएम के खिलाफ कई मुद्दें उठाए गए थे। बीजेपी उस कसौटी पर कितना खरा उतरी।
जवाबः-हमने हर बात का जवाब दिया। हमारे मंत्री, मुख्यमंत्री हमेशा पूरी तरही से रहते थे। हम तो समझते है कि 10 साल में कांग्रेस जनता का कोई मुद्दा नहीं उठा सकी या फिर इन्होंने उठाना नहीं चाहा, या इन पर कोई दवाब है। सत्ता में रहते हुए भी ये सत्ता धर्म नहीं निभा सके। जब ये विपक्ष में है तो ये विपक्ष का धर्मं भी नहीं निभा सके। प्रजातांत्रिक तौर पर ये बिल्कुल रिजेक्टिड माल है।
सवालः- विज साह आपके जीवन से जुड़े कुछ सवाल अपने दर्शकों के लिए लेना चाहूंगा। आप बैंक कर्मचारी थे और बैंक कर्मचारी से लेकर राजनेता तक का सफर और गृह मंत्री तक का सफर। इसमें सबसे आनंदित करने वाला और सबसे बेहतरीन पल कौन का लगा।
जवाबः- मैं विद्यार्थी परिषद के समय से 69-70 में इस संगठन के साथ जुड़ गया था और इसकी भिन्न-भिन्न शाखाओं में मैं काम करता रहा। 1972 में ग्रेजुएशन करने के बाद 1974 में बैंक में नौकरी लग गई। बैंक में लगने के बाद भी काम करता रहा हूं। हमने एमरजेंसी भी देखी है। एमरजेंसी में भी जो दायित्व दिए जाते थे, उन्हें निभाते थे और छुट्टियां लेकर भी चुनाव लड़वाते थे, लेकिन कभी खुद के लड़ने के बारे में नहीं सोचा था। मैं आज भी कहता हूं कि जब भी एकांत में बैठकर सोचता हूं, मैं यहीं कहता हूं। निकले थे कहां जाने के लिए, पहुंचे हैं कहां मालूम नहीं, खुद अपने भटकते कदमों को मंजिल का निशाना मालूम नहीं। मैं कभी सोचा नहीं था। मैने आज भी नहीं सोचा कभी। मैं तो पार्टी का एक वर्कर हूं। किसी व्यक्ति के साथ नहीं हूं, मैं विचारधारा के साथ हूं।
सवालः-आपने विचराधान की बेहतरीन बात कही और ये लोगों को झलकती भी थी कि जनता दरबार रात को 2 बजे तक चलते थे। किसी भी जाति धर्म के लोग आए। आज 25 जून की तारीख है। 1975 में आज के दिन एमरजेंसी लगी थी। आज संविधान की बात की जाती है। किताबें लेकर कांग्रेसके द्वारा दिखाई जाती है। उसके नेताओं के द्वारा, संविधान और आपातकानी पर आपकी टिप्पणी चाहेंगे।
जवाबः- मैनें भी सुबह देखा कि विपक्ष के सांसद एक लाल रंग की लोकसभा की संविधान की कापी को लेकर लोकसभा में खड़े थे, जो कांग्रेस के लोग है, उनकी संविधान को हाथ लगाने की हिम्मत नहीं होनी चाहिए, क्योंकि जितना इन्होंने संविधान को सौंपा, जितना इन्होंने संविधान की धज्जियां उड़ाई है। उतना किसी और पार्टी ने नहीं उड़ाई है। लोगों को रातो-रात जेलों में डाल दिया। सारे अधिकार बंद कर दिए। सारा मीडिया बंद कर दिया। जैसे अब अखबार छप रहे हैं। ऐसे नहीं छप सकती थी। हमने वो समय देखा है। आगे-आगे अखबार खाली होती थी। सफेद पेज आता था। मैं एक बात और बताना चाहता हूं कि एमरजेंसी लगाने वाले कीटाणु कांग्रेस में से मरे नहीं है। केवल मौके की इंतजार में है। लोगों को इस बारे में सचेत और जागरूक रहन चाहिए कि दोबारा इनके हाथ में वैसी ताकत आ गई तो कीटाणु अभी जिंदा है और जो इन्हें बार दिखाए भी है। धारा 356 लगा-लगाकर संवैधानिक तरीके से चुनी गई सरकारों को तोड़ा और रौंदा है। इनके मन में संविधान को लेकर कोई आदर और सम्मान नहीं है और ना ही इनकी पार्टी डेमोक्रेटिक तरीके से चल रही है।
सवालः- राम मंदिर को लेकर जब आप संघर्ष कर रहे थे। बहाबा मस्जिद वाला घटनाक्रम हुआ। अंबाला से आप ना बाहर पा रहे थे। हर ओर पुलिस के नाके लगे थे, लेकिन अनिल विज तब भी वहां पहुंचे। आज राम मंदिर बन चुका है, क्यां कहना चाहेंगे।
जवाबः- ये तो जीवन का एक बहुत बड़ा काम हुआ है, जो हमारे जीवन के साथ जुड़ा हुआ है। हिंदू समाज 500 साल से आंदोलन कर रहा था, इसके लिए। दो बार हमें भी जाने का मौका मिला है। काफी दिन मैं भी उन्नाव जेलव में रहा और दूसरी बार जब वो ढांचा जिसे जबरन बनाया गया था को लोगों ने तहस-नहस कर दिया था। मैने अपनी आंखों से देखा है। मैं उस इतिहास का हिस्सा हूं और उसके बाद हिंदुस्तान के पीएम नरेंद्र मोदी ने जिस काबलियत के साथ बिना किसी शोर शराबे के, बिना किसी विरोध के और इतना भव्य राम मंदिर बनाकर दिया है। अगर सारी जिंदगी भी हम इनके पैर धोकर पीते रहे तो इनके काम का बदला चुकाया नहीं जा सकता।
सवालः-मन और दिमाग दोनों इंसान के कंट्रोल में रहे, संतुलित रहे। ज्यादातार नेताओं का नहीं देखा जाता। विपक्ष में रहते हुए भी आपकी भूमिका देखी, युवा मोर्चे में भी देखी। गृह मंत्री के रूप में भी आपकी भूमिका हमने देखी। जब आप मंत्री बनने से इंकार कर गए और उसके बाद भी आप गोल गप्पे खाते देखे गए। मानो जैसे आप पर किसी चीज का प्रभाव और असर नहीं था, इसका क्या राज है।
जवाबः- मैं कुछ प्राप्त करने के लिए राजनीति में नहीं आया हूं। अगर कुछ प्राप्त करने के लिए आया हो तो उसकी जान निकल जाए। मैं एक विचारधारा के लिए काम करने के लिए आया हूं और उस विचारधारा के लिए मैं काम करता हं। मैं अपना काम किया है। मैं भारतीय जनता पार्टी का अन्नय भक्त हूं। अन्नय भक्त बनकर काम करेंगे और मैने अपनी विधानसभा में डटकर काम किया। हालांकि हमारे जिले में 4 विधानसभा क्षेत्र थे, उसमें हारे। हालांकि मंत्री और भी बहुत लोग थे, अपने-अपने विधानसभा क्षेत्र में । हालांकि हम यदि कम वोट से ही हार की आंधी के अंबाला छावनी में रोक पाए। हम वहां से विजयी रहे।
सवालः- सुना है आप अपने बारे में किताब लिखने की सोच रहे हैं। कितना सच हैं इसमें ?
जवाबः- नहीं-नहीं मैं कोई किताब लिखने के बारे में नहीं सोच रहा हूं। अलग-अलग लोगों ने मुझे भेंट की है। उन्होंने मेरे बारे में किताब लिखी है। अलग-अलग लोगों के विचार है। लोग लिखते रहते हैं।