हरियाणा रोडवेज कर्मियों द्वारा किए दुव्र्यवहार पर मानव अधिकार आयोग हुआ सख्त

Edited By Isha, Updated: 10 Aug, 2019 10:52 AM

human rights commission becomes strict on haryana roadway

भिवानी निवासी सुनीता देवी ने आरोप लगाया था कि 29 नवंबर 2017 को सुबह 4:15 बजे वह जब अपने दृष्टिहीन बालक के साथ भिवानी से हरियाणा रोडवेज की बस नंबर एच.आर. 61बी 7184 से दिल्ली के लिए

भिवानी (धरणी) : भिवानी निवासी सुनीता देवी ने आरोप लगाया था कि 29 नवंबर 2017 को सुबह 4:15 बजे वह जब अपने दृष्टिहीन बालक के साथ भिवानी से हरियाणा रोडवेज की बस नंबर एच.आर. 61बी 7184 से दिल्ली के लिए रवाना हुई। उनके साथ उनका पुत्र जोकि दृष्टिहीन व 100 प्रतिशत विकलांग है आरक्षित  सीट पर  बैठा था। रोहतक पहुंचने पर एक स्पैशल चैकिंग स्टाफ की टीम ने बस रोका जिसमें 2 सब इंस्पैक्टर व कुछ कंडक्टर शामिल थे  उन्होंने दृष्टिहीन बालक व साथ चल रही महिला को बिना टिकट सफर करने के लिए बस से नीचे उतार दिया।

महिला ने अपने पुत्र का मुख्य चिकित्सा अधिकारी द्वारा जारी 100 प्रतिशत विकलांगता का सर्टीफिकेट भी उनको दिखाया तथा सरकार के नियम का हवाला दिया। सरकार द्वारा जारी किए गए नियमों अनुसार 100 प्रतिशत विकलांग/ दिव्यांग/ दृष्टिहीन बच्चे के साथ एक अभिभावक बिना टिकट यात्रा कर सकता है परंतु चैकिंग स्टाफ ने उसकी एक न सुनी व अत्यंत सर्दी के मौसम में अंधेरे में उन्हें बस से नीचे उतार दिया जिस पर मजबूरन उसको टिकट खरीदनी पड़ी। 

मामले की शिकायत सुनीता द्वारा संबंधित रोडवेज अधिकारी को भी की गई थी जिसमें जांच के बाद चैकिंग स्टाफ के कर्मचारियों को दोषी पाया गया था परंतु मामले का वहां पर मौजूद पंचायत ने पटाक्षेप कराके समझौता करा दिया।  प्रार्थी सुनीता ने  हरियाणा मानव अधिकार आयोग को प्रार्थनापत्र देकर घटना का वर्णन किया जिस पर आयोग ने कड़ा संज्ञान लेते हुए संबंधित रोडवेज विभाग से जवाब मांगा। रोडवेज के जनरल मैनेजर ने भी अपने जवाब जोकि एफिडेविट पर दिया गया था में माना कि संबंधित चैकिंग स्टाफ द्वारा गलती हुई है परंतु क्योंकि शिकायतकर्ता महिला ने भी उनको सामाजिक स्तर पर माफ कर दिया था इसलिए स्टाफ के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई।

आयोग इससे संतुष्ट नहीं हुआ तथा मामले को दिव्यांग दृष्टिहीन के साथ किया गया घोर अमानवीय अन्याय माना और संबंधित स्टाफ कर्मियों को नोटिस जारी करके व्यक्तिगत तौर पर जवाब देने को कहा गया जिस पर अधिकारियों ने हरियाणा रोडवेज के मैनेजर द्वारा जारी किए गए पत्र की गलत ढंग से व्याख्या करते हुए प्रतिवाद किया तथा अपने बचाव में स्टैंड लिया कि वह तो सरकार के निर्देशों का पालन कर रहे थे। आयोग ने पाया कि जिस पत्र का हवाला रोडवेज कर्मचारियों ने बचाव में दिया था उसमें कहीं भी ऐसा नहीं कहा गया था कि 100 प्रतिशत विकलांग या उसके साथ चल रहे अभिभावक को दी गई छूट सरकार द्वारा वापस ले ली गई है। आयोग ने इसे एक गंभीर मामला मानते हुए बालक और उसकी माता के साथ हुए व्यवहार के लिए राज्य सरकार को दो लाख रुपए मुआवजा देने का आदेश दिया है।                                        

Related Story

Trending Topics

IPL
Chennai Super Kings

176/4

18.4

Royal Challengers Bangalore

173/6

20.0

Chennai Super Kings win by 6 wickets

RR 9.57
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!