हरियाणा में भी लम्पी बीमारी को लेकर अलर्ट जारी, क्या पशुओं से इंसानों में भी फैलता है यह रोग

Edited By Gourav Chouhan, Updated: 08 Aug, 2022 12:47 PM

high alert in haryana regarding lumpy disease spreding in cows

पशुपालन विभाग ने भी इस बीमारी को लेकर अलर्ट घोषित कर दिया है। आलम यह है कि कुछ पशु मालिक अपने पशुओं को इस बीमारी की चपेट में आने से बचाने के लिए पशुओं को दूसरे स्थानों का रुख कर रहे हैं।

यमुनानगर/फतेहाबाद(सुरेंद्र): पंजाब एवं राजस्थान के बाद हरियाणा में भी पशुओं में लम्पी नामक बीमारी पांव पसारती जा रही है। यमुनानगर, सिरसा व फतेहाबाद के साथ ही प्रदेश के कई जिलों में इस बीमारी का प्रकोप बढ़ता जा रहा है। पशुपालन विभाग ने भी इस बीमारी को लेकर अलर्ट घोषित कर दिया है। आलम यह है कि कुछ पशु मालिक अपने पशुओं को इस बीमारी की चपेट में आने से बचाने के लिए पशुओं को दूसरे स्थानों का रुख कर रहे हैं।

 

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रतिया में 14 गायों में गंभीर लक्षण, यमुनानगर में तीन की मौत

 

यमुनानगर में लम्पी के सर्वाधिक मामले पाए जाने के कारण विभाग ने भी कई कदम उठाए हैं। जिले में डॉक्टरों की कई टीमें तैनात की गई हैं। यमुनानगर में अब तक करीब 4 हजार गाय लम्पी की चपेट में आ चुके हैं, जबकि 3 गायों की मौत हो गई है। वहीं फतेहाबाद के रतिया में भी 42 गायों में लम्पी की पुष्टि हुई है। चिंता की बात यह है कि 14 गायों में बीमारी के गंभीर लक्षण पाए गए हैं। इन गायों के सैंपल जांच के लिए भोपाल लैब भेजे गए हैं।

 

पशुओं से इंसानों में नहीं फैलती लम्पी बीमारी

 

हरियाणा के पशुपालन मंत्री जेपी दलाल ने इस मामले में विभाग को सभी जरूरी कदम उठाने के निर्देश दिए हैं। उन्हीं के निर्देश के बाद  पशुपालन विभाग के डायरेक्टर जनरल  डॉक्टर बीएस लौरा ने यमुनानगर के विभिन्न इलाकों का दौरा किया। उन्होंने यहां  पशुपालकों व विभाग के डॉक्टरों से भी मुलाकात की। डॉक्टर बीएस ने बताया कि लम्पी एक पशुओं से संबंधित बीमारी है। राहत की बात यह है कि यह बीमारी पशुओं से इंसानों में नहीं फैलती। इसलिए इससे दहशत में आने की जरूरत नहीं है। उन्होंने कहा कि एहतियात बरतते हुए गाय का दूध पीने से पहले उबाल लेना चाहिए।

 

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लम्पी से बचाव के लिए पशुओं को वैक्सीन नहीं लगाने की दी जा रही सलाह

 

लम्पी एक ऐसी बीमारी है जो गायों में होती है। इस बीमारी से प्रभावित गाय को बुखार होता है। जिसके बाद उसका दूध भी कम हो जाता है। चार-पांच दिन के बाद बुखार कम हो जाता है और धीरे-धीरे दूध भी बढ़ने लगता है। डॉ. बीएस लौरा ने बताया कि इस बीमारी से बचाव के लिए कुछ प्राइवेट कंपनियों द्वारा मार्केट में इंजेक्शन लाए जा रहे हैं। वहीं बीमारी से बचाव के लिए पशुओं को वैक्सीनेट नहीं किया जा सकता। ऐसा करने से बीमारी का खतरा और ज्यादा बढ़ जाता है। उन्होंने बीमारी प्रभावित इलाकों में पशु चिकित्सकों को पशुओं को  इंजेक्शन न लगाने की सलाह दी है।

 

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