सरकार के आग्रह पर पूर्व विधायकों की पेंशन के खिलाफ याचिका पर सुनवाई स्थगित, पूर्व मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला सहित तीन अन्य थे शामिल

Edited By Saurabh Pal, Updated: 07 Nov, 2024 08:09 PM

hearing on the petition against the pension of former mlas was postponed

पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला सहित चार पूर्व विधायकों को कोर्ट द्वारा सजा सुनाने के बाद भी पेंशन दिए जाने के खिलाफ दायर याचिका पर सरकार के आग्रह पर सुनवाई स्थगित कर दी है।

चंडीगढ़ (चंद्रशेखर धरणी) : पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला सहित चार पूर्व विधायकों को कोर्ट द्वारा सजा सुनाने के बाद भी पेंशन दिए जाने के खिलाफ दायर याचिका पर सरकार के आग्रह पर सुनवाई स्थगित कर दी है। इस मामले में सभी प्रतिवादी पक्ष से जवाब मांगा गया है।

इस मामले में हाईकोर्ट ने पूर्व मुख्यमंत्री ओम प्रकाश चौटाला, पूर्व विधानसभा अध्यक्ष सतबीर सिंह कादियान, पूर्व विधायक अजय चौटाला और शेर सिंह बड़शामी से पूछा हुआ है कि क्यों न उनकी पेंशन पर रोक लगा दी जाए। याची चंडीगढ़ निवासी हरीचंद अरोड़ा के मुताबिक उन्होंने विधानसभा सचिवालय से पूर्व विधायकों की पेंशन के बारे में सूचना के अधिकार के तहत जानकारी मांगी थी। सचिवालय की तरफ से बताया गया कि 288 पूर्व विधायकों को पेंशन दी जा रही है। इनमें ओमप्रकाश चौटाला को 2 लाख 15 हजार 430 रुपये पेंशन मिल रही है। उनके पुत्र अजय चौटाला को 50 हजार 100 रुपये प्रति माह पेंशन मिल रही है और शेर सिंह बड़शामी को भी 50 हजार 100 रुपये प्रति माह पेंशन मिल रही है। ऐसे ही सतबीर सिंह कादियान को भी पेंशन दी जा रही है।

याची का कहना है कि ओमप्रकाश चौटाला, अजय चौटाला और शेर सिंह बड़शामी को भ्रष्टाचार के आरोप में 16 दिसंबर 2013 को दस साल की सजा हो चुकी है। सतबीर कादियान को भी 26 अगस्त 2016 को सात साल की सजा हो चुकी है। इसलिए इन्हें पेंशन मिलना गैरकानूनी है। यह जनता के पैसे का दुरुपयोग है।

अरोड़ा ने बहस के दौरान कहा कि हरियाणा विधान सभा की धारा 7-ए (1-ए) (वेतन, भत्ता और सदस्यों की पेंशन) अधिनियम, 1975 के तहत अगर किसी विधायक को कोर्ट सजा सुना दे तो वे पेंशन के अयोग्य हो जाते हैं। अरोड़ा ने कोर्ट को बताया कि उन्होंने विधानसभा सचिव के सामने भी पेंशन रोकने के लिए याचिका दायर की थी। लेकिन विधानसभा सचिव ने अपने फैसले में कहा कि ये पूर्व विधायक वेतन-भत्ते एवं पेंशन एक्ट के तहत पेंशन के हकदार हैं। इनकी सदस्यता न तो कभी दल बदल कानून के तहत रद की गई और न ही इन्हें कभी जनप्रतिनिधित्व कानून के तहत अयोग्य ठहराया गया। वहां से याचिका खारिज होने के बाद याची ने हाई कोर्ट की शरण ली।

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