एक और बड़े बदलाव की साक्षी बनेगी हरियाणा विधानसभा, हिंदी में कामकाज की होगी शुरुआत

Edited By Gourav Chouhan, Updated: 04 Feb, 2023 10:49 PM

haryana vidhansabha will witness another big change work will start in hindi

नए आदेशों के बाद विधान सभा सचिवालय में सभी प्रकार के फाइल कार्य, पत्राचार और विधायी कामकाज से संबंधित सभी प्रकार की कार्यवाही हिंदी भाषा में होगी।

चंडीगढ़(चंद्रशेखर धरणी) : हरियाणा विधान सभा एक के बाद एक कई बड़े बदलाव की साक्षी बनने जा रही है। पहले ही डिजिटल हो चुकी हरियाणा विधानसभा अपने गठन के 56 वर्ष बाद एक और बड़े बदलाव के लिए जानी जाएगी। दरअसल हरियाणा विधान सभा का पूरा कामकाज हिन्दी में शुरू किया जा रहा है। इसके लिए अरसे से योजना बना रहे विधान सभा अध्यक्ष ज्ञान चंद गुप्ता ने इस संबंध में आदेश जारी कर दिए हैं। अभी तक विधान सभा का कामकाज अंग्रेजी भाषा में हो रहा था। नए आदेशों के बाद विधान सभा सचिवालय में सभी प्रकार के फाइल कार्य, पत्राचार और विधायी कामकाज से संबंधित सभी प्रकार की कार्यवाही हिंदी भाषा में होगी।

 

विधान सभा अध्यक्ष ज्ञान चंद गुप्ता ने कहा कि भारतीय संविधान के भाग 17 के अध्याय 1 में वर्णित अनुच्छेद 343 के अनुसार ‘संघ की राजभाषा हिन्दी और लिपि देवनागरी होगी। संघ के राजकीय प्रयोजनों के लिए प्रयोग होने वाले अंकों का रूप अंतर्राष्ट्रीय रूप होगा।’ 14 सितंबर 1949 को संविधान सभा ने व्यापक चर्चा के बाद एक मत से हिन्दी को राजभाषा बनाने का निर्णय लिया था। उन्होंने कहा कि संविधान की अनुपालना के लिए यह निर्देशित किया जाता है कि हरियाणा विधान सभा का पूरा कामकाज हिन्दी भाषा में होगा। इसके लिए देवनागरी लिपि तथा अंकों का अंतर्राष्ट्रीय रूप प्रयोग में लाया जाएगा।

 

गुप्ता ने कहा कि हिन्दी न केवल संवैधानिक दृष्टि से राजभाषा है, बल्कि यह प्रदेशवासियों की मातृभाषा भी है। विधान सभा प्रदेश की जनता का शीर्ष विधायी निकाय है। इसलिए यह जनता के हितों को समर्पित है। गुप्ता ने कहा कि जनता के हित कभी भी विदेशी भाषा के माध्यम से पूरे नहीं किए जा सकते। ज्ञान चंद गुप्ता ने कहा कि अनेक शोध यह प्रमाणित कर चुके हैं कि किसी भी देश के विकास में उसकी मातृभाषा पर विशेष योगदान रहता है। विश्व के 56 देशों ने शिक्षा के माध्यम से लेकर शासकीय कामकाज अपनी मातृभाषा में करना शुरू किया है। इन सभी देशों ने अंग्रेजी वालों देशों की तुलना में अधिक विकास किया है। चीन, जापान और कोरिया इनके प्रमुख उदाहरण है। यूरोपीय देशों ने भी अपनी-अपनी स्थानीय भाषाओं को प्रोत्साहित किया है।

 

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