हरियाणा मानवाधिकार आयोग ने खारिज की गृह विभाग की अर्जी, कहा-‘ कैदियों को नहीं रखा जा सकता नंगा’

Edited By Isha, Updated: 30 Jan, 2020 11:17 AM

haryana human rights commission rejects home department s application

हरियाणा की जेलों में कैदियों को नंगा रखा जाता है। उनके साथ अमानवीयता हरियाणा पुलिस ने खुद स्वीकार की है। गृह विभाग द्वारा 2 कैदियों को नंगा रखे जाने के मामले में मांगी रिपोर्ट पर जवाब देते हुए पुलिस विभाग ने कहा कि कई

चंडीगढ़ (अर्चना सेठी) : हरियाणा की जेलों में कैदियों को नंगा रखा जाता है। उनके साथ अमानवीयता हरियाणा पुलिस ने खुद स्वीकार की है। गृह विभाग द्वारा 2 कैदियों को नंगा रखे जाने के मामले में मांगी रिपोर्ट पर जवाब देते हुए पुलिस विभाग ने कहा कि कई अपराधी हवालात के अंदर कपड़ों, बैल्ट, नाड़े की मदद से आत्महत्या कर लेते हैं या खुद को खत्म करने की कोशिश कर चुके हैं। ऐसे में कपड़ों की वजह से संभावना बनी रहती है कि आत्महत्या कर लेंगे। इसे ध्यान में रखते हुए ही पुलिस अधिकारी कैदियों को जेल के अंदर नंगा रखते हैं। यह असाधारण बात नहीं है,लेकिन सुरेश और बलराज के मामले में जेल अधिकारी ने नंगा रखा भी है,तो बिल्कुल गलत नहीं,आम बात है।

दरअसल, गत वर्ष हरियाणा मानव अधिकार आयोग ने सोनीपत के गोहाना पुलिस स्टेशन की जेल में सुरेश कुमार और उसके भाई बलराज को लॉकअप में नंगा रखे जाने को न सिर्फ अमानवीय करार दिया था,बल्कि मानवाधिकारों का हनन मानते हुए हरियाणा पुलिस को मुआवजे के तौर पर 15-15 हजार रुपए देने के निर्देश जारी किए थे। इसके बाद गृह विभाग ने आयोग को पत्र लिख मामले में पुलिस की एक्शन रिपोर्ट भेजते हुए कहा कि जेलों में कैदी को नंगा रखा जाता है तो गलत नहीं है,क्योंकि हवालात के अंदर आत्महत्या करने का खतरा रहता है इसलिए आयोग निर्देशों पर पुनॢवचार करे। आयोग ने बुधवार को गृह विभाग की अर्जी खारिज करते हुए कहा कि आत्महत्या का हवाला देकर हवालात में कैदियों को नंगा नहीं रखा जा सकता। यह अनुचित है और मानवाधिकार हनन पर मुआवजा मिलना ही चाहिए।

जांच में साबित हुआ, कपड़े उतार कर खड़ा रखा था ठंडे मौसम में
सोनीपत के सुपरिटैंडैंट ऑफ पुलिस ने आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि संजीव और बाली के बीच झगड़ा हुआ था और निवारक कार्रवाई के तौर पर पुलिस ने दोनों पाॢटयों पर मामला दर्ज किया। आरोपी पुलिस पर दबाव नहीं बना सके इसलिए ऐसी शिकायत की। इसके बाद आयोग के डायरैक्टर जनरल ऑफ इनवैस्टिगेशन ने 28 मार्च, 2016 को सौंपी रिपोर्ट में कहा कि मामला 107/151 तहत ही दर्ज किया गया था। हवालात में सुरेश की चिकित्सीय जांच भी करवाई गई परंतु डाक्टर की राय का कहीं उल्लेख नहीं किया गया। संजीव की शिकायत पर कोई कार्रवाई नहीं की और न ही एफ.आई.आर. दर्ज की गई जबकि आरोपी ने जातिसूचक शब्दों का इस्तेमाल किया था और पीटा भी था। यह भी जांच में सामने आया कि सुरेश कुमार और बलराज को जेल में नंगा रखा गया था जिसके बाद काफी बेइज्जती का सामना करना पड़ा। जांच रिपोर्ट के बाद एस.एच.ओ.और एस.आई. को मुआवजा राशि अदा किए जाने के निर्देशों को सरकार तक न पहुंचाए जाने पर नोटिस जारी किए गए। आयोग ने 26 फरवरी, 2019 को जारी निर्देशों में सुरेश और बलराज को 15-15 हजार रुपए जारी किए जाने के आदेश दिए थे।

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