Edited By Shivam, Updated: 26 Sep, 2020 11:29 PM
पंजाब में शिरोमणि अकाली दल ने एनडीए से नाता तोडऩे का ऐलान कर दिया है। इसके साथ कयास लगाए जा रहे हैं कि इसका असर हरियाणा की राजनीति पर भी देखने को मिल सकता है। हरियाणा में भाजपा को समर्थन देने वाली जजपा और निर्दलीय विधायक व मंत्री पद पर बने रंजीत...
चंडीगढ़ (चंद्र शेखर धरणी): पंजाब में शिरोमणि अकाली दल ने एनडीए से नाता तोडऩे का ऐलान कर दिया है। इसके साथ कयास लगाए जा रहे हैं कि इसका असर हरियाणा की राजनीति पर भी देखने को मिल सकता है। हरियाणा में भाजपा को समर्थन देने वाली जजपा और निर्दलीय विधायक व मंत्री पद पर बने रंजीत चौटाला पर अकाली दल दबाव बना सकता है कि वह भी भाजपा से अपना समर्थन वापस लें।
रणनीति बनाई जा रही है कि अकाली दल हरियाणा के डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला व बिजली मंत्री रणजीत चौटाला से समर्थन वापस लेने के लिए बात-चीत करेगा। एनडीए के सबसे पुराने गठबंधन अकाली दल ने भाजपा से नाता तोड़ते ही किसानों के मसीहा कहलाने वाले स्वर्गीय देवीलाल के पुत्र रणजीत सिंह व पोते व हरियाणा के उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला व उनके पिता अजय चौटाला से बात कर हरियाणा सरकार से समर्थन वापसी के लिए दबाव बनाएगा।
इतिहास गवाह है कि चौधरी देवीलाल व प्रकाश सिंह बादल पगड़ी बदल भाई के रूप में जाने जाते हैं। देवीलाल की मृत्यु के बाद भी प्रकाश सिंह बादल चौटाला परिवार के हर दुख सुख में खड़ा रहा है। अब देखने वाली बात यह है कि क्या देवीलाल के वंशज रणजीत सिंह व दुष्यंत चौटाला उनका दवाब मानते हैं या नहीं।
गौर रहे है कि 6 दिन पहले दुष्यंत के अनुज व इनेसो नेता दिग्विजय चौटाला कह चुके हैं कि यह बादल परिवार का निर्णय पंजाब की राजनीति से प्रभावित है। तीन अध्यादेशों के खिलाफ हरसिमरत कौर ने पहले इस्तीफा दिया था। 40 साल का जनसंघ व अकाली दल का गठबंधन टूटने के कितने प्रभाव हरियाणा पर पड़ेंगे यह भविष्य के दिन तय करेंगे।