हाय रे डॉक्टर... पैरों में था दर्द, दिमाग का कर दिया ऑपरेशन....पानीपत के अस्पताल की करतूत

Edited By Yakeen Kumar, Updated: 21 Jan, 2025 10:01 PM

had pain in legs got brain operation done handiwork of panipat hospital

पानीपत में इलाज के दौरान एक युवक की मौत हो गई। परिजन का आरोप है कि युवक के पैर में दर्द के कारण उसे 17 जनवरी को भर्ती कराया था। डॉक्टर ने दिमाग का ऑपरेशन कर दिया जिससे कोमा में जाने से उसकी मौत हो गई।

पानीपत (सचिन शर्मा) : पानीपत में इलाज के दौरान एक युवक की मौत हो गई। परिजन का आरोप है कि युवक के पैर में दर्द के कारण उसे 17 जनवरी को भर्ती कराया था। डॉक्टर ने दिमाग का ऑपरेशन कर दिया जिससे कोमा में जाने से उसकी मौत हो गई। पानीपत के जीटी रोड स्थित ऑस्कर अस्पताल में एक युवक की इलाज के दौरान मौत हो गई। युवक के परिजनों ने जमकर हंगामा किया।

परिजनों ने डॉक्टरों पर इलाज में लापरवाही बरतने और गलत इलाज करने के गंभीर आरोप लगाए। परिजनों व अस्पताल स्टाफ में धक्का-मुक्की भी हुई। हंगामे की सूचना पर सेक्टर-13-17 थाना पुलिस मौके पर पहुंची।

पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर जिला नागरिक अस्पताल में भिजवाया। पुलिस ने परिजनों के बयान दर्ज कर पोस्टमार्टम कराकर शव परिजनों को सौंप दिया है। इस मामले की जांच के लिए सिविल सर्जन ने तीन डॉक्टरों की एक कमेटी का गठन किया। कमेटी की रिपोर्ट में मामले में आगामी कार्रवाई की जाएगी।

गढ़ी सिकंदरपुर गांव निवासी नवीन कुमार ने बताया कि वह तीन भाई थे। उसके 23 वर्षीय बड़े भाई प्रवीण की 2 साल पहले शादी हुई थी। प्रवीण पेशे से एक टैक्सी चालक था। प्रवीण को 31 दिसंबर को पैर व हाथ सुन्न होने की समस्या हुई थी। वह प्रवीण को 17 जनवरी को जीटी रोड स्थित ओस्कार अस्पताल में लेकर आए थे। यहां पर डॉ. सुशांत दत्त ने प्रवीण की एमआरआई कराई। 

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आयुष्मान चिरायु योजना के तहत कराया था ऑपरेशन

नवीन ने बताया कि डॉक्टर ने कहा, प्रवीण के दिमाग में पानी भर गया है और उसके दिमाग की नसें भी कमजोर हो गई हैं। उन्होंने प्रवीण के ऑपरेशन के लिए कहा। उन्होंने आयुष्मान चिरायु योजना के तहत प्रवीण का ऑपरेशन किया। डॉ. सुशांत ने उन्हें कहा था कि ऑपरेशन के बाद प्रवीण को छह घंटे के बाद होश में आ जाएगा। लेकिन उसे होश नहीं आया। उसने अगले दिन डॉक्टर से प्रवीण के स्वास्थ्य के बारे में पूछा तो उसने कहा कि होश आने में कई दिन भी लग सकते हैं। 

अस्पताल पर 40 हजार रुपये प्रतिदिन का लगाया आरोप

नवीन ने आगे बताया कि 19 जनवरी को डॉक्टर ने कहा कि प्रवीण कोमा में है। उसको होश में आने में छह माह या एक साल भी लग सकता है। जब उन्होंने सख्ती से डॉक्टर से प्रवीण की हालत के बारे में पूछा तो इन्होंने कहा कि उसकी हालत बेहद गंभीर है। अगर उसको अस्पताल में रखोगे तो प्रतिदिन के हिसाब से 40 हजार रुपये उन्हें देने पड़ेंगे। उसी दिन शाम को उन्हें प्रवीण की मौत का आभास हो गया था, लेकिन डॉक्टर उसके वेंटिलेटर पर होने की बात कहते रहे। 20 जनवरी शाम साढ़े पांच बजे डॉ. सुशांत ने उसे मृत घोषित कर दिया। 

इलाज के बारे में किया गुमराह

परिजनों ने आरोप लगाया कि डॉक्टर ने उन्हें प्रवीण के इलाज के बारे में गुमराह किया है। पहले डॉक्टर कहते रहे कि वह जल्द ठीक कर देंगें। फिर उसके कोमा में होने की बात कहकर इलाज से पल्ला झाड़ लिया। जब उन्होंने इसका विरोध किया तो अस्पताल के स्टाफ ने उनके साथ गाली गलौज की। उनकी पुलिस से मांग है कि आरोपी डॉक्टर पर कार्रवाई की जाए।

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मौत के बाद प्रवीण का लगवाया अंगूठा

नवीन ने बताया कि प्रवीण की मौत के बाद अस्पताल के स्टाफ ने उसका कागजों पर अंगूठा लगवाया। जब उन्होंने इस बारे में स्टाफ से पूछा तो वह यह कागज लेकर वहां से अंदर भाग गए। 

डॉ. सुशांत दत्त ने बताया कि उन पर लगाए गए आरोप निराधार हैं। जब उनके पास मरीज आया तो वह पैरालाइज्ड था। उसके दिमाग की नसें खराब हो गई थी। उसके सिर में पानी की मात्रा भी काफी अधिक थी। प्रदीप का 23 साल की उम्र में अदरंग ग्रस्त होना आश्चर्यजनक था। उन्होंने इमरजेंसी में उसका ऑपरेशन किया है। इलाज में कोई लापरवाही नहीं बरती गई है। जांच में यह साबित हो सकता है। वहीं उन्होंने बताया कि मरीज से इलाज के नाम पर एक भी पैसा नहीं लिया गया।

डीएसपी सतीश वत्स ने बताया कि उन्हें एक शिकायत मिली है जिसमें एक मरीज की इलाज के दौरान मौत हुई है। दोनों ही पक्षों द्वारा क्रॉस शिकायत दर्ज करवाई गई है। पुलिस मामले की गंभीरता से जांच कर रही है। जो भी दोषी पाया जाएगा, उसके खिलाफ कार्रवाई अमल में लाई जाएगी।
 

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