Edited By Nitish Jamwal, Updated: 24 Jul, 2024 08:45 PM
भारतीय जनता पार्टी की ओर से 75 साल की उम्र पार कर चुके नेताओं की टिकट काटे जाने की चर्चाओं के बीच ऐसे नेताओं के लिए राहत भरी खबर है। बीते महीनों में मध्य प्रदेश और राजस्थान के विधानसभा चुनाव में इस फार्मूले के उलट टिकट देने पर जो नतीजा सामने आया।
चंडीगढ़ (चंद्रशेखर धरणी): भारतीय जनता पार्टी की ओर से 75 साल की उम्र पार कर चुके नेताओं की टिकट काटे जाने की चर्चाओं के बीच ऐसे नेताओं के लिए राहत भरी खबर है। बीते महीनों में मध्य प्रदेश और राजस्थान के विधानसभा चुनाव में इस फार्मूले के उलट टिकट देने पर जो नतीजा सामने आया, उससे भारतीय जनता पार्टी अपने फैसले पर फिर से विचार करने पर मजबूर हुई। इसी के चलते इस बार के लोकसभा चुनाव में हरियाणा के हिसार से 79 साल के रणजीत सिंह चौटाला को बीजेपी को ओर से पार्टी की टिकट पर चुनावी मैदान में उतारा गया। ऐसे में अब ये तय हो चुका है कि 75 साल की आयु पार कर चुके हरियाणा विधानसभा के मौजूदा अध्यक्ष ज्ञानचंद गुप्ता की टिकट पार्टी की ओर से नहीं काटी जाएगी। इसके पीछे ज्ञानचंद गुप्ता का जनता से मेलजोल के अलावा कईं अन्य कारण भी है,जिनमे देश के पी एम मोदी का उनके प्रति विशेष स्नेह भी शामिल हैं।जब मोदी हरियाणा के प्रभारी रहे थे वा केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल वा मोदी पंचकुला में एक साथ रहते थे तब की निकटता भी किसी से छुपी नहीं है।
मध्यप्रदेश में सफल रहा फार्मूला
मध्यप्रदेश में भारतीय जनता पार्टी की ओर से 75 पार वाले कईं नेताओं को टिकट देकर चुनावी मैदान में उतारा गया, जिनमें अधिकांश नेता जीतक आए। इनमें 80 वर्षीय पूर्व मंत्री नागेंद्र सिंह नागोद ने सतना जिले के नागोद से जीत हासिल की थी। इसी प्रकार से 79 वर्षीय नागेंद्र सिंह रीवा जिले के गुढ़ से विजयी हुए थे। राजनीतिक पर्यवेक्षको का कहना है कि पिछली विधानसभा के सदस्य नागोद और सिंह दोनों ने लगभग पांच महीने पहले चुनाव लड़ने की अनिच्छा व्यक्त की थी।
14 में 11 प्रत्याशियों को मिली जीत
मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में बीजेपी की ओर से 70 साल से अधिक उम्र के 14 उम्मीदवारों को चुनावी मैदान में उतारा गया था। इनमें से 11 ने जीत हासिल की, जबकि सबसे अधिक आयु का विजेता उम्मीदवार 80 साल का है। मध्यप्रदेश में इनके अलावा 75 साल से ज्यादा उम्र वाले उम्मीदवारों में दमोह से जयंत मलैया (76), अशोक नगर जिले के चंदेरी से जगन्नाथ सिंह रघुवंशी (75) वर्ष के हैं। नर्मदापुरम के होशंगाबाद से सीताशरण शर्मा (73), और अनुपपुर सीट से बिसाहूलाल सिंह (73) भी चुनाव जीत गए। 2023 के चुनावों में विधानसभा में पहुंचने वाले भाजपा के अन्य उम्र दराज नेताओं में राजगढ़ जिले के खिलचीपुर से हजारीलाल दांगी (72), नर्मदापुरम के सिवनी-मालवा से प्रेमशंकर वर्मा (72), शहडोल जिले के जैतपुर से जयसिंह मरावी (71) , सागर जिले के रहली से गोपाल भार्गव (71) और जबलपुर पाटन से अजय विश्नोई (71) भी शामिल हैं। हालांकि, श्योपुर सीट से दुर्गालाल विजय (71), बालाघाट से गौरीशंकर बिसेन (71) और ग्वालियर पूर्व से माया सिंह (73) चुनाव हार गए।
बता दें कि 2016 में 76 वर्षीय सरताज सिंह को कथित तौर पर उम्र बढ़ने के कारण शिवराज सिंह चौहान मंत्रिमंडल से बाहर कर दिया गया था। 78 वर्ष का होने के कारण उन्हें विधानसभा चुनाव में टिकट देने से भी इंकार कर दिया गया था।
गुप्ता कर चुके हैं कईं प्रयोग
हरियाणा विधानसभा के अध्यक्ष ज्ञान चन्द गुप्ता 75 वर्ष से अधिक आयु के हैं, लेकिन अपनी सक्रियता के चलते वह विधानसभा में कई प्रकार के प्रयोग कर चुके हैं। उनकी ओर से विधानसभा सत्र की अवधि के अलावा प्रत्येक विधायक की ओर से एक महीने में तीन प्रश्न देने की प्रक्रिया शुरू की गई। इस व्यवस्था का विधायकों की ओर से पूरा लाभ लिया जा रहा है। गुप्ता की ओर से विधान सभा सचिवालय में भी अनुशासन स्थापित करने के लिए कई प्रयोग किए जा चुके हैं। इनमें बायोमेट्रिक उपस्थिति, मूवमेंट रजिस्टर, सभी कर्मचारियों के लिए पहचान पत्र अनिवार्य करने जैसे प्रयोग प्रमुख हैं। सुरक्षा प्रहरी स्टाफ के लिए वे पहले ही ड्रेस अनिवार्य कर चुके हैं। कर्मचारियों और अधिकारियों के लिए ड्रेस लागू होने से विधान सभा की आबोहवा भी बदली है। ज्ञानचंद गुप्ता के नेतृत्व में विधान सभा के सचिवालय से लेकर सदन तक की कार्यप्रणाली में आमूलचूल सुधार हुए हैं। डिजीटलाइजेशन के दौर में विधान सभा की कार्य-प्रणाली को पेपरलैस किया जा चुका है। इससे न केवल कार्यप्रणाली त्वरित हुई, बल्कि उसमें पारदर्शिता भी आई। केंद्र सरकार के संसदीय कार्य मंत्रालय की नेवा (नेशनल ई-विधान एप्लिकेशन) परियोजना का सफलतापूर्वक क्रियान्वयन किया गया है। यहां डिजीटल माध्यम से सदन की कार्यवाही चलाई जा रही है। हरियाणा विधान सभा ने अपने गठन के 56 वर्ष बाद पूरा कामकाज हिन्दी में शुरू किया है। 3 फरवरी 2023 को इस संबंध में आदेश जारी किए गए। इससे पहले विधान सभा का कामकाज अंग्रेजी भाषा में हो रहा था। गुप्ता का मानना है कि हिन्दी भाषी जनता के लिए अंग्रेजी में कानून बनाना संतोषजनक नहीं है। नए आदेशों के बाद विधान सभा सचिवालय में सभी प्रकार के फाइल कार्य, पत्राचार और विधायी कामकाज से संबंधित सभी प्रकार के कार्य हिन्दी भाषा में करने अनिवार्य कर दिए गए हैं।
लोकसभा चुनाव में दिया सकारात्मक परिणाम
हाल ही में हुए लोकसभा चुनाव में अंबाला से बीजेपी की प्रत्याशी पार्टी के कईं दिग्गज और बड़े नेताओं के विधानसभा क्षेत्र में जीत नहीं दर्ज कर पाई, लेकिन विधानसभा अध्यक्ष ज्ञानचंद गुप्ता की पंचकूला विधानसभा से वह जीत कर आई। इससे साफ है कि आज भी भले प्रदेश के कई हिस्सों में पार्टी सत्ता विरोधी लहर रही हो, लेकिन अपनी विधानसभा में ज्ञानचंद गुप्ता की मतदाताओं पर पकड़ पहले की ही तरह से बरकरार है, क्योंकि बीजेपी हरियाणा में लगातार तीसरी बार सरकार बनाने का दावा कर रही है। ऐसे में पार्टी की ज्ञानचंद गुप्ता को नजरअंदाज नहीं कर पाएगी।
विधानसभा क्षेत्र में सक्रियता और जनता पर पकड़
ज्ञानचंद गुप्ता की पंचकूला विधानसभा पर अच्छी पकड़ है। किसी भी छोटी सी घटना पर वह खुद तुरंत मौके पर पहुंच जाते है। इतना ही नहीं वह लगातार अपने इलाके की जनता के साथ संपर्क में रहते है, जिससे उनके सुख-दुख की हर घड़ी में वह उनके साथ खड़े नजर आते हैं। यहीं कारण है कि लोकसभा चुनाव में भी उनके प्रयासों के कारण बीजेपी प्रत्याशी को पंचकूला विधानसभा से अच्छी जीत मिली।
79 के रणजीत चौटाला को दी थी टिकट
हाल ही में हुए लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी की ओर से हरियाणा की हिसार लोकसभा सीट से 79 साल के रणजीत चौटाला को पार्टी प्रत्याशी बनाया गया था। रणजीत चौटाला का जन्म 18 मई 1945 को हुआ था। हालांकि चौटाला चुनाव में जीत दर्ज नहीं कर पाए, ये एक अलग बात है। इसके उल्ट ज्ञानचंद गुप्ता का जन्म 25 मई 1948 को हुआ था। ऐसे में वह महज दो महीने पहले ही 76 पार के हुए है। जनता में उनकी पकड़ और पार्टी के प्रति उनकी निष्ठा को देखते हुए भारतीय जनता पार्टी इस प्रकार के कद्दावर नेता को नहीं गंवाना चाहेगी। इसके अलावा बीजेपी हाई कमान की ओर से भी हर हाल में तीसरी बार हरियाणा में पार्टी की सरकार बनाने का दावा किया जा रहा है। ऐसे में पार्टी एक-एक सीट पर जीतने वाले चेहरे को ही प्राथमिकता देगी। इन हालात में भी ज्ञानचंद गुप्ता ही सबसे पहले नंबर पर आते हैं।
राजनाथ सिंह भी दे चुके हैं बयान
75 साल से अधिक आयु का होने के बाद नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री पद को लेकर विपक्ष की ओर से उठाए गए सवालों के जवाब में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भी मीडिया में बयान दिया था। राजनाथ सिंह ने कहा था कि 2014 में जब इसकी चर्चा थी, उस समय वह बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष थे। सिंह का कहना था कि उस समय इस संबंध में कोई फैसला नहीं हुआ था और बीजेपी के संविधान में भी इस तरह का कोई प्रावधान नहीं है कि जिसकी आयु 75 साल हो जाएगी वह चुनाव नहीं लड़ेगा, वह किसी दायित्व को नहीं ले सकता है, ऐसा कहीं कोई प्रश्न ही नहीं खड़ा होता है।