किसान आंदोलन को लंबा चलाने की जुगत, हर सप्ताह ड्यूटी बदलेंगे किसान

Edited By Isha, Updated: 10 Feb, 2021 09:30 AM

farmers will change duty every week

सरकार से तनातनी के बीच दिल्ली की सीमाओं पर डटे किसान आंदोलन को लंबा चलाने की जुगत में जुट गए हैं। पंजाब व हरियाणा के किसानों ने एक ऐसा फार्मूला तैयार किया है जिससे आंदोलन में भीड़ भी जुटी रहेगी और हर सप्ताह किसान अपने घर भी जा सकेंगे। हर गांव

सोनीपत: सरकार से तनातनी के बीच दिल्ली की सीमाओं पर डटे किसान आंदोलन को लंबा चलाने की जुगत में जुट गए हैं। पंजाब व हरियाणा के किसानों ने एक ऐसा फार्मूला तैयार किया है जिससे आंदोलन में भीड़ भी जुटी रहेगी और हर सप्ताह किसान अपने घर भी जा सकेंगे। हर गांव से हर सप्ताह अलग ग्रामीणों की ड्यूटी लगाई जाएगी। हरियाणा में हर गांव से हर सप्ताह 50-50 ग्रामीणों को धरने पर भेजा जाएगा जबकि पहले से धरने पर बैठे संबंधित गांवों के किसानों को वापस भेज दिया जाएगा।


इसी तरह से यह रोटेशन प्रणाली लगातार चलती रहेगी। ऐसे में किसान न केवल धरने पर समय दे पाएंगे बल्कि कामकाज की सुध भी ले सकेंगे। यह पूरी रणनीति आंदोलन को लंबा चलाने के लिए तैयार की गई है। भारतीय किसान यूनियन के प्रदेश अध्यक्ष गुरनाम चढूनी ने नई रणनीति का खुलासा करते हुए कहा कि हरियाणा व पंजाब के किसानों ने इस पर काम शुरू कर दिया है। इससे 2 फायदे होंगे। पहला तो यह कि कोई किसान ज्यादा दिनों तक गांव व घर से दूर नहीं रहेगा तो दूसरा धरनास्थल पर भीड़ भी जुटी रहेगी। इसके अलावा हर बार किसान राशन सामग्री लेकर पहुंचेंगे।

दलित समाज के लोग दें सहयोग : चढूनी 
गुरनाम चढूनी ने कहा कि लगातार अनेक वर्ग किसानों के साथ खड़े हो रहे हैं लेकिन यह समझना चाहिए कि सरकार के 3 कृषि कानूनों का सबसे ज्यादा असर आम आदमी पर पड़ेगा। दलित व गरीब लोग इसका ज्यादा शिकार होंगे, क्योंकि हर किसानी उत्पाद ब्लैक मार्कीटिंग में खरीदना होगा जिसके लिए ज्यादा दाम चुकाने होंगे। यही कारण है कि अब दलित समाज को उनके साथ खड़े होना चाहिए और देशभर के संगठनों को किसानों के साथ आना चाहिए। चढूनी ने प्रधानमंत्री पर पलटवार करते हुए कहा कि ये लोग देशद्रोहीजीवी हैं, जो देश के अन्नदाता की खिलाफत कर रहे हैं।



कुंडली बार्डर पर मौजूद हैं 40 हजार से ज्यादा किसान
कुंडली बार्डर पर फिलहाल 40 हजार से ज्यादा किसान मौजूद हैं। इनमें अब पंजाब व हरियाणा के किसानों की संख्या बराबर हो गई है। खास बात यह है कि पिछले 5 दिनों से धरने पर अचानक महिलाओं की संख्या बढ़ी है। महिलाओं के आने से न केवल लंगर का काम आसान हो गया है बल्कि गीत-संगीत से माहौल भी खुशनुमा रहता है। किसानों ने बताया कि उनका सहयोग देेने वालों की संख्या लगातार बढ़ रही है और अब किसानों के अलावा आम आदमी भी धरने पर पहुंचने लगा है। इससे साफ है कि किसानों की मांग जायज है और सरकार को तीनों काले कानून रद्द करने होंगे।

आंदोलन के पैसे से फिलहाल नहीं कर पाए हैं मृतकों के परिजनोंं की मदद
गुरनाम चढूनी ने बताया कि किसान संगठन पता नहीं क्यों आंदोलन के पैसे से फिलहाल शहीद किसानों के परिजनों की मदद नहीं कर पाए हैं जबकि ऐसा ऐलान किया गया था। उन्होंने यह भी कहा कि आंदोलन के दौरान मिलने वाले चंदे का पूरा हिसाब दिया जाना चाहिए। वहीं अनेक संस्थाएं ऐसी भी हैं जो शहीद किसानों के परिजनों की मदद कर चुकी हैं। इस मामले में किसान संगठनों को शीघ्र कदम उठाना चाहिए क्योंकि उनके परिजनों की जिम्मेदारी अब किसान संगठनों पर ही है।


चंदा एकत्रित कर चला रहे धरने पर लंगर
सोनीपत के दहिया, आंतिल व अन्य खापों के सदस्य संबंधित गांवों से चंदा एकत्रित कर लंगर का संचालन कर रहे हैं। गांव खेवड़ा से सर्व समाज के सहयोग से करीब साढ़े 4 लाख रुपए एकत्रित किए गए और धरने पर लगाए गए आंतिल खाप के लंगर में सहयोग दिया। गांव की ओर से सबसे बुजुर्ग व्यक्ति के हाथों यह चंदा खाप सदस्यों के सुपुर्द किया गया। दहिया खाप द्वारा भी अलग-अलग गांवों से चंदा एकत्रित किया गया है और अनवरत लंगर चलाया जा रहा है।

जटवाड़ा 360 खाप बड़वासनी बारहा के सैंकड़ों ट्रैक्टर पहुंचे कुंडली
सोनीपत की जटवाड़ा 360 खाप बड़वासनी बारहा के करीब 125 ट्रैक्टर-ट्रालियां कुंडली धरने पर पहुंचे। यहां से हजारों किसानों के साथ महिलाएं व बच्चे भी धरनास्थल पर पहुंचे और सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। किसानों ने बताया कि वे राशन व सब्जियां लेकर जा रहे हैं। जरूरत पड़ेगी तो फिर से राशन एकत्रित कर लेकर जाएंगे। इस दौरान महिलाओं ने भी सरकार पर जमकर भड़ास निकाली और प्रदर्शन किया। इस दौरान राजेंद्र फौजी के अलावा अनेक खाप नेता मौजूद थे।

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