किसान आंदोलन कांग्रेस, कम्युनिस्टों व अन्य राजनीतिक दलों के हाथों में जा चुका है: जेपी दलाल

Edited By vinod kumar, Updated: 07 Apr, 2021 09:26 PM

dalal said farmer protest has gone into the hands of congress communists

किसान आंदोलन के नाम पर हरियाणा में आए दिन जनप्रतिनिधियों पर हो रहे हमले रुकने का नाम नहीं ले रहे। प्रदेश के मुख्यमंत्री के काफिले पर अंबाला में हुए हमले और फिर कैमला में उनका कार्यक्रम न होने देने के बाद उपमुख्यमंत्री के कार्यक्रमों का भी कड़ा विरोध...

चंडीगढ़ (धरणी): किसान आंदोलन के नाम पर हरियाणा में आए दिन जनप्रतिनिधियों पर हो रहे हमले रुकने का नाम नहीं ले रहे। प्रदेश के मुख्यमंत्री के काफिले पर अंबाला में हुए हमले और फिर कैमला में उनका कार्यक्रम न होने देने के बाद उपमुख्यमंत्री के कार्यक्रमों का भी कड़ा विरोध किसानों द्वारा किया गया। अब भारतीय जनता पार्टी के कुरुक्षेत्र सांसद नायब सिंह सैनी पर भी हमला और विधायक राम कर्ण काला के घर पर भी घेराव की कोशिश के बाद अब भाजपा के लोग खुलकर इस आंदोलन को एक षड्यंत्र करार देने लगे हैं। 

पंजाब केसरी ने प्रदेश के कृषि मंत्री जेपी दलाल से बातचीत की। जिसमें उन्होंने इस प्रकार के घटनाक्रमों को बहुत दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए कहा कि किसान एक तरफ तो कहते हैं कि उनका आंदोलन पूर्णतय शांतिपूर्ण और गैर राजनीतिक है। लेकिन ताकत के बल पर प्रदेश की जनता के द्वारा चुने हुए प्रतिनिधियों के कार्यक्रमों को रद्द करवाने से यह साफ है कि यह आंदोलन अब किसानों के हाथ में नहीं रहा। बल्कि यह कांग्रेस, कम्युनिस्टों व अन्य राजनीतिक दलों के हाथों में जा चुका है। उन्होंने कहा कि यह लोग जनता द्वारा चुनी हुई सरकार को अस्थिर करना चाहते हैं। यह किसानों के हितों की बजाय कुर्सी की लड़ाई लड़ रहे हैं।

अगर यह सचमुच किसानों के हितों को देखते तो यह आंदोलन गन्ने के मुद्दे पर पंजाब में होता, क्योंकि हरियाणा प्रदेश देश में सबसे अधिक 350 प्रति क्विंटल का भाव किसान को देता है। जिससे पंजाब के गन्ना किसान को प्रति एकड़ लगभग कम भाव मिलने के कारण 10000 का नुकसान हो रहा है। यह आंदोलन राजस्थान में होना चाहिए था जहां आज भी बाजरा 1000 से 1200 क्विंटल बिक रहा है। जबकि हमारे प्रदेश में 2150 प्रति क्विंटल बाजरे का एक-एक दाना एमएसपी पर खरीदा गया।

जेपी दलाल ने कहा कि हरियाणा की सरकार किसानों की सरकार है और हर फैसला किसानों के हितों में किया जा रहा है। उनकी सरकार एमएसपी पर खरीदी गई फसल के पैसे सीधे किसानों के खातों में भेजना चाहती है। सबसे अधिक भाव, सबसे अधिक सबसे अधिक सब्सिडी हमारे प्रदेश में किसानों को दी जा रही है। लेकिन राजनीतिक आकाओं के इशारों पर इस प्रकार के आंदोलन खड़े किए जा रहे हैं। 

किसान पंचायत के नाम पर कांग्रेसी नेता कार्यक्रम कर रहे हैं। आंदोलनों में बैठे लोग अधिकतर वही हैं जिन्हें जनता द्वारा रिजेक्ट किया गया है। आज इस आंदोलन पर किसान विरोधी ताकतों का कब्जा हो गया है। जो लोग राजनीतिक एजेंडा चला रहे हैं वह किसानों के हितों में नहीं है। नए कानूनों पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा रोक लगा दी गई है। मामला कोर्ट में विचाराधीन है। लेकिन यह लोग भ्रम फैला रहे हैं कि किसान बर्बाद हो जाएगा, एमएसपी खत्म हो जाएगी, मंडिया खत्म हो जाएंगी। मैं मानता हूं कि इस तरह का भ्रामक प्रचार करना उचित नहीं है।

उन्होंने कहा कि बहुत सारी विदेशी ताकतों को भी भारत का मजबूत नेतृत्व और मोदी के चेहरा पसंद नहीं है। क्योंकि आज का नेतृत्व उनके हिसाब से नहीं बल्कि देश के हित में काम करता है। इसलिए हमारे देश के कई राजनीतिक चेहरे जो उनसे जुड़े हुए हैं जैसे राहुल गांधी जी ने तो चाइना की एंबेसी में जाकर चंदा लिया हुआ है। वह लोग हर मौके पर झूठ-भ्रम फैलाकर आंदोलन को जिसका कोई औचित्य नहीं है लंबा खींचने पर लगे हैं। इन आंदोलनकारियों को देश की पार्लियामेंट और सुप्रीम कोर्ट पर भरोसा नहीं है। जो कि लोकतंत्र के लिए अच्छा नहीं है।

कृषि मंत्री ने कांग्रेसियों से प्रार्थना भी की कि आप जो हिंसा फैलाने की, किसानों को भड़काने की कोशिश करते हैं इसका परिणाम खुद कांग्रेस के लिए भी गलत होगा। जेपी दलाल ने बताया कि प्रदेश सरकार और हमारे मुख्यमंत्री प्रदेश में हर फसल की मैपिंग करवाना चाहते हैं कि कितनी-कितनी जमीन पर गेहूं, गन्ना, बाजरा, सब्जियां या अन्य फसलें बोई जाती है। ताकि उस मैपिंग के हिसाब से किसानों को एमएसपी, सब्सिडी या उनके हिसाब की मशीनरी बांटने है उन नीतियों पर काम कर सकें।

इसके साथ जेपी दलाल ने आढ़तियों की चेतावनी पर भी जवाब दिया कि आढ़तियों के आंदोलन का कोई औचित्य नहीं बनता। क्योंकि आढ़ती को केवल अपनी आढ़त, कट्टा सिलाई और लोडिंग के पैसे लेने का हक बनता है। लेकिन फसल की कीमत का हकदार वह अन्नदाता है जिसने दिन-रात मेहनत करके उस फसल को उगाया है। उन्होंने कहा कि बजट सत्र में भी किसान के हित के लिए सबसे अधिक बजट दिया गया है। किसानों से संबंधित विभाग जैसे कृषि विभाग, हॉर्टिकल्चर विभाग, इरीग्रेशन विभाग सभी को इस बार पहले से कहीं ज्यादा बजट दिया गया है। पिछली बार भी कोरोना की वजह से ज्यादा बजट हम खास नहीं कर पाए थे। लेकिन इस बार किसानों की सिंचाई के लिए, नहरों को सुदृढ़ करने के लिए भी बड़ा बजट दिया गया है। दक्षिण हरियाणा के चार जिलों में ड्रिप इरिगेशन के लिए बड़े किसानों को टैंक बनाकर, सोलर लाइट लगाकर, ड्रिप द्वारा छोटे फुहारों द्वारा खेती करने के लिए बहुत अच्छी सब्सिडी की स्कीम दी गई है।
 

(हरियाणा की खबरें टेलीग्राम पर भी, बस यहां क्लिक करें या फिर टेलीग्राम पर Punjab Kesari Haryana सर्च करें।)

Related Story

Trending Topics

IPL
Chennai Super Kings

176/4

18.4

Royal Challengers Bangalore

173/6

20.0

Chennai Super Kings win by 6 wickets

RR 9.57
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!