कोरोना की मार के बावजूद GST व शराब से मिलने वाले रेवेन्यू पर कोई खासा प्रभाव नहीं : अनुराग

Edited By Manisha rana, Updated: 23 Jan, 2021 04:21 PM

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हरियाणा एक्साइज एंड टैक्सेशन विभाग यानि वह विभाग जो प्रदेश के विकास के लिए रिवेन्यू का बड़ा स्रोत है। कोरोना कॉल के दौरान यहां से प्राप्त होने वाले रेवेन्यू पर क्या असर पड़ा और शराब पॉलिसी जीएसटी पॉलिसी को लेकर किस प्रकार के बदलाव...

चंडीगढ़ (धरणी) : हरियाणा एक्साइज एंड टैक्सेशन विभाग यानि वह विभाग जो प्रदेश के विकास के लिए रिवेन्यू का बड़ा स्रोत है। कोरोना कॉल के दौरान यहां से प्राप्त होने वाले रेवेन्यू पर क्या असर पड़ा और शराब पॉलिसी जीएसटी पॉलिसी को लेकर किस प्रकार के बदलाव किए गए और भविष्य में किस प्रकार के किए जाने की संभावनाएं हैं, अवैध शराब पर रोक लगाने के लिए किस प्रकार के कदम उठाए जा रहे हैं ? इन सभी प्रश्नों के साथ पंजाब केसरी ने हरियाणा के एक्साइज एंड टैक्सेशन विभाग के एडीशनल चीफ सेक्रेट्री अनुराग रस्तोगी से विशेष मुलाकात की। जिसमें उन्होंने डिस्टलरीयों से बिना ड्यूटी दिए यानि सरकार को चूना लगाकर शराब को बेचे जाने व जीएसटी चोरी के मामले पर रोक को लेकर जो उनकी आने वाले समय में सोच है वह साझा की। उनसे बातचीत के कुछ अंश आपके सामने प्रस्तुत हैं:-

प्रश्न : कोरोना के चलते इस साल और पिछले साल की अगर तुलना करें, तो पेट्रोल-डीजल से प्राप्त वैट रिकवरी में क्या फर्क रहा ?
उत्तर : 
अप्रैल और मई महीने में ट्रांसपोर्ट ना के बराबर चल रही थी। उस समय केवल गुड्स ट्रांसपोर्ट चल रही थी। लेकिन पैसेंजर ट्रांसपोर्ट लगभग बंद थी। इसलिए पेट्रोल और डीजल के वेट के मामले में हम इस साल तीन चार फ़ीसदी पीछे हैं। मुझे लगता है कि हम 31 मार्च तक 1-2 फ़ीसदी कवर कर लेंगे। जब 31 मार्च को हमारा यह साल क्लोज होगा पिछले साल की तुलना में एक दो फ़ीसदी कम रहेगा। पिछले पूरे साल में 8650 करोड़ का रेवेन्यू आया था। इस साल हम करीब 8500 करोड़ तक पहुंच पाएंगे।

प्रश्न : क्या जीएसटी कलेक्शन पर भी फर्क पड़ा ?
उत्तर : 
डीजल और पेट्रोल की तुलना में जीएसटी की स्थिति थोड़ी सी बेहतर है। जीएसटी के कलेक्शन के आंकड़े अब तक पिछले साल के अब तक के समय के अनुसार तुलना करें तो लगभग बराबर हो गए है । पिछले साल अब तक करीब 15200 करोड़ का रेवेन्यू आया था। जो कि अब तक 15 हजार करोड़ का रेवेन्यू आ चुका है। अभी इस साल में 70 दिन बाकी हैं। मुझे उम्मीद है कि हम जीएसटी के पिछले साल के 19500 करोड के फिगर को टच कर लेंगे।

प्रश्न : शराब के ठेके लंबे समय तक बंद रहे, क्या उसके कारण रेवेन्यू की नजर से देखें तो क्या नुकसान हुआ ?
उत्तर : 
जहां तक एक्साइज का प्रशन है उसमें लगभग इस साल में हमारे ठेके 50 दिन कोरोना की वजह से बंद रहे। उसके बाद भी हमें छोटी मोटी दिक्कतें आती रही और हमने यह फैसला लिया था कि कोविड कंटेनमेंट जोन में आने की वजह से अगर कोई भी ठेका बंद रहता है तो हम उस ठेके का उस समय का पूरा रेवेन्यू वेव ऑफ कर देंगे। इसलिए हमने उन ठेकों का उस समय के कारण रेवेन्यू कुछ कम प्राप्त हुआ। लेकिन अगर हम फिर भी देखे तो हमारी इस बार की एक्साइज पॉलिसी के कारण जो हमने एक्साइज एक्ट में प्रावधान किए थे, उसका जो ग्राउंड पर रिजल्ट आया और सभी डिस्टलरीज पर हमने अपनी हाजरी बढ़ाई, स्टाफ की पुलिस की पोस्टिंग सुदृढ़ करी तो इस सब का जो रिजल्ट आया है पिछले साल अब तक की तुलना में अब तक का कलेक्शन कुछ ज्यादा हुआ है। पिछले साल अब तक का 5300 करोड़ का कलेक्शन के बजाय इस साल हम 5400 करोड़ तक पहुंच चुके हैं। इस वित्तीय वर्ष में मुझे उम्मीद है कि हम पिछले साल की तुलना में 6-7 फ़ीसदी कलेक्शन को बढ़ा पाएंगे।

प्रश्न : 50 दिन ठेके बंद रहने के कारण क्या शराब के ठेकेदारों को भी कोई राहत दी गई ?
उत्तर : 
हमारे ठेके का ऑक्शन मार्च के पहले या दूसरे हफ्ते में हुए थे। उसके तुरंत बाद कोरोना कि स्थिति बन गई जब भारत सरकार ने ठेके खोलने की घोषणा की तो उसके बाद हमने अपनी पॉलिसी में अमेंडमेंट लाते समय हमने स्पष्ट किया कि जितने भी दिन ठेका बंद रहा, उस पीरियड की लाइसेंस फीस हम उनसे नहीं लेंगे।

प्रश्न : विदेशी शराब पॉलिसी में काफी सुधारों की जरूरत है, क्या उसमें कुछ शुद्धीकरण किया गया ?
उत्तर : 
पिछले वर्ष की हमारी पॉलिसी का लाभ उठाते हुए आई एफ एल यानी इंपोर्टेड फॉरेन लिकर की सेल में मोनोपली बन गई थी। जब हम इस मार्च 2020 के माह में एक्साइज पॉलिसी लाते वक्त दिमाग में इस मोनोपली को तोड़ने का मूल प्रश्न था और हमने इसे अपनी पॉलिसी में एड्रेस किया। इसी वजह से हमें 40-50 करोड़ तक का भी नुकसान हो सकता है। लेकिन फिर भी हमने किया। हमने 64 करोड की लाइसेंसी वैल्यू को घटाकर एक करोड़ कर दिया। जहां इसमें पहले एक प्लेयर होता था। इसमें आज 8 प्लेयर हैं। नुकसान बेशक हो, लेकिन हम इसके लिए पहले दिन से तैयार थी।

प्रश्न : अवैध शराब न केवल रिवेन्यू को नुकसान पहुंचाती है, इससे आए दिन हादसे भी सामने आते रहे हैं। इसे रोकने को कोई खास ठोस कदम ?
उत्तर : 
एक्साइज पॉलिसी बनाने वालों के लिए यह एक कठिन प्रशन होता है। कुछ स्टेट्स में लिकर बिल्कुल बैन है। लेकिन यही समस्या आती है कि अगर चीप रेट पर लिकर अवेलेबल को बंद कर दिया जाए तो अवैध शराब बनाने वाले लोगों का इंसेंटिव और बढ़ जाएगा। इसलिए प्रयास यही रहता है कि वह तरीके से हमारी डिस्टलरी में बनी शराब जिसे देसी शराब कहते हैं, उसकी कीमत कम रखी जाए। उस पर हम अंग्रेजी शराब से आधे से भी कम ड्यूटी लेते हैं। प्रयास यही रहता है कि चीप रेट्स पर यह लोगों को मिले। यह एक विडंबना है कि कई बार ऐसा लगता है कि जिससे हम रिवेन्यू ले रहे हैं, वह कई बार उन्हें लोगों को नुकसान पहुंचाती है। परंतु यह एक ऐसी स्थिति है कि एक अननेसेसरी ई विल इसे बोल सकते हैं। एक बार तो प्रदेश ने प्रो ईविशन लाने का प्रयास किया। लेकिन नहीं ला पाए। इससे कई प्रकार की परेशानियां खड़ी हो गई। लिकर माफिया बड़ी तादाद में पैदा हो गए। इसलिए सरकार को भी यही लगता है कि लिकर कानूनन मुहैया होनी चाहिए और कहीं अवैध शराब का मामला सामने आता है तो उस पर कठोर कार्रवाई की जाए और इसे लेकर हमने कठोर नियम बनाए हैं। जिस वाहन में अवैध लिकर पकड़ी जाएगी लोड होगी उसे भी डिस्पोज ऑफ करने का प्रावधान किया गया है। पुलिस ने भी इस बार बहुत से अवैध शराब बनाने वालों को पकड़ा है जो कि पिछले कई सालों से सबसे ज्यादा रिकॉर्ड है।

प्रश्न : आने वाले नए बजट में एक्साइज पॉलिसी में किस प्रकार के बदलाव देखने को मिल सकते हैं ?
उत्तर : 
एक्साइज पॉलिसी हमेशा से एक सीक्रेट विषय रहता है। उसके बारे में मैं आपसे ज्यादा शेयर नहीं कर पाऊंगा। जैसा एक मूल प्रश्न है कि इस बार हमने जो 50 दिन यूज किए हैं तो हमारा एक्साइज ईयर जो 1 अप्रैल की बजाय अब 20 मई को शुरू होगा। 20 मई के लिए हमने अपना एक्साइज पॉलिसी के लिए जो डिस्कशन है। उसका काम मार्च के पहले हफ्ते से शुरू करेंगे जो कि पहले जनवरी में इसकी शुरुआत की जाती थी। अब देखते हैं कि इसके लिए हमारे पास ठेकेदारों के डिस्टलरीज के और लोगों के किस प्रकार के सुझाव आएंगे। उन सुझावों के साथ हम अपने एक्साइज पॉलिसी में जो भी बेहतर लगेगा सुधार करेंगे। हमारा मकसद आम आदमी को सही रेट पर अच्छी क्वालिटी की लिकर मिले और इस फील्ड में मौजूद लोग एक रीजनेबल मुनाफा ले। साथ में स्टेट के रेवेन्यू में भी सुधार आए।

प्रश्न : जीएसटी में कई तरह की अनियमितताएं सामने आई, क्या इस पर भी अंकुश लगाने के लिए या जागरूकता लाने के लिए कोई नीति बनाई गई है ?
उत्तर : 
जब भी किसी चीज में बदलाव लाया जाता है, तो चोरी करने वाली प्रवृत्ति के लोग कहीं ना कहीं से रास्ता ढूंढ लेते हैं। जब जीएसटी इंप्लीमेंट 2017 में होना शुरू हुआ तो कुछ लोगों ने क्विक रजिस्ट्रेशन के प्रोविजन के चलते फर्जी इनपुट टैक्स क्रेडिट क्लेम कर लिया। फर्जी कागजों के आधार पर यह किया गया। फिर वह टैक्स पेयर बिना सरकार को टैक्स दिए गायब हो गए। लेकिन अब धीरे-धीरे इसको एड्रेस किया जा रहा है। पिछला पुरा साल कोरोना की वजह से दिक्कत में रहा। हम जो बदलाव लाना चाहते थे वह पूरी तरह से नहीं कर पाए। हमारा रिटर्न फाइलिंग सिस्टम भी इसी वजह से प्रभावित हुआ। हमें लोगों को रिटर्न फाइल करने के लिए ज्यादा समय देना पड़ा। मंथली रिटर्न वालों की अवधि हमें क्वार्टरली करनी पड़ी। लेकिन मुझे उम्मीद है आने वाले समय में हमारा जीएसटी नेटवर्क बहुत अधिक सुदृढ़ होगा और हम 3 दिन वाले लॉ को बदल कर 7 दिन कर रहे हैं।। हम बेहतर और अच्छे लोगों को ही टैक्सपेयर बनाने के लिए रजिस्टर्ड करेंगे। इन सब कोशिशों से हम चोरी करने वाले जो एलिमेंट्स बीच में आ गए थे, उन्हें दूर करने की कोशिश कर रहे हैं। हम अपने स्टाफ को भी ट्रेनिंग दे रहे हैं, अभी तीन-चार दिन पहले हमारे ऑफिसर्स का एक सेमिनार भी हुआ था। हम अधिकारियों को ट्रेंड कर रहे हैं।

प्रश्न : प्रदेश की डिस्टलरियो में फ्लो मीटर और ट्रेक एंड ट्रेस सिस्टम लगाने की भी आपकी तैयारी है। आखिर इसकी आवश्यकता क्यों पड़ी ?
उत्तर : 
डिस्टलरीज से कुछ माल बिना एक्साइज ड्यूटी दिए स्मगलर्स को दिए जाने की सूचनाएं आ रही थी और स्मगलर्स उस माल को इधर-उधर स्मगल कर रहे थे। खरखोदा में ऐसा ही एक के सामने भी आया। उसे भी बिना ड्यूटी दिए माल मिल रहा था। इन सभी चीजों को रोकने के लिए हमने पॉलिसी बनाते समय कुछ मजबूत फैसले लिए। ट्रेक एंड ट्रेस सिस्टम जिससे लिकर की हर बोतल की मूवमेंट को ट्रैक किया जा सकता है। यह बोतल कहां तैयार हुई, कहां-कहां से ले आउट हुई। इसका पता लगाया जा सकेगा और इसके टेंडर भी हमें 22 को हमें रिसीव हुए हैं। टेंडर का काम जैसे ही सुचारू रूप से कंप्लीट होता है तो हम इसे 6 से 8 महीने में सुचारू रूप से कर देंगे। दूसरा हमारा प्रयास फ्लो मीटर लगाने का है। जिसमें टेक्नोलॉजी कि कहीं दिक्कत आ रही है। मजबूत टेक्नोलॉजी हमें नहीं मिल पा रही। लेकिन हम सभी डिस्ट्रियों में फ्लोमीटर्स लगाएंगे। जिससे हमें बनने वाली ई एन ए और लिकर का सही पता लगा लेंगे। कितनी लिकर और कितना ई एन ए वहां से एक्सपोर्ट हुआ। इन सब का जोड़ उस फ्लो मीटर के हिसाब से मैच होना जरूरी होगा। अगर मैच नहीं कर रहा तो उनकी चोरी पकड़ी जाएगी।

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