Edited By Mohammad Kumail, Updated: 24 Jun, 2023 07:55 PM

नहीं तो भजनलाल…कहकर किरण चौधरी बात क्यों घुमा गई। हरियाणा कांग्रेस के नवनियुक्त प्रभारी दीपक बाबरिया की मौजूदगी में मंच से बोलते हुए किरण चौधरी काफी खुलकर बोली लेकिन उनकी एक बात बहुत ज्यादा चर्चा में है...
चंडीगढ (चंद्रशेखर धरणी) : नहीं तो भजनलाल…कहकर किरण चौधरी बात क्यों घुमा गई। हरियाणा कांग्रेस के नवनियुक्त प्रभारी दीपक बाबरिया की मौजूदगी में मंच से बोलते हुए किरण चौधरी काफी खुलकर बोली लेकिन उनकी एक बात बहुत ज्यादा चर्चा में है, नहीं तो भजनलाल...यह कहकर उन्होंने अपनी बात घुमा दी। किरण चौधरी के इन शब्दों के राजनीतिक मायने क्या है। राजनीतिक समीक्षक इस बारे में यह विश्लेषण कर रहे हैं कि जिस प्रकार से 2004 के चुनावों में कांग्रेस ने हरियाणा कांग्रेस की कमान चौधरी भजनलाल को दे दी थी और जब सत्ता हाथ में आई तो मुख्यमंत्री चौधरी भूपेंद्र सिंह हुड्डा बने। तब भजनलाल से कय्या बनी सब जानते हैं। किरण चौधरी इशारों-इशारों में 2004 का घटनाक्रम याद करवा कर राजनीतिक भाषा में वर्तमान राजनैतिक कांग्रेस की परिस्थितियों पर कटाक्ष कर गई। गौरतलब है कि कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष उदयभान हैं तथा नेता प्रतिपक्ष चौधरी भूपेंद्र सिंह हुड्डा के हाथों में कांग्रेस की प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से पूरी तरह से कमान है। किरण यहीं नहीं रुकी, यह भी कह गई कि कांग्रेस किसी की बपौती नही है।
किरण चौधरी हरियाणा कांग्रेस के प्रभारी की मौजूदगी में बहुत बेबाकी और अपने पुराने अंदाज में खुलकर बोली। किरण चौधरी ने बड़े स्पष्ट शब्दों में कहा की हरियाणा के अंदर खेमे बाजी खत्म करनी पड़ेगी। उन्होंने कहा कि कांग्रेस के कार्यकर्ता दिन रात एक कर पार्टी के लिए काम करते हैं। कांग्रेस के समर्पित कार्यकर्ताओं को जब फलां गुट, फंला गुट बता दिया जाता है तो गुटबाजी बढ़ती है। कांग्रेस का कार्यकर्ता केवल मान सम्मान के लिए मरता है। हमारे सामने बहुत बड़ी चुनौती है यह देखने की कि हमारी लड़ाई किन से है। लोकसभा के चुनावों में अगर हमने 10 की 10 सीटें जीतनी है वह वर्तमान सत्ताधारिओं से टेक अप करना है तो हमें बहुत कुछ सुधारना पड़ेगा।
किरण चौधरी ने कहा कि जिस प्रकार से राहुल गांधी ने देश के एक कोने से लेकर दूसरे कोने तक पदयात्रा निकाली है तथा कांग्रेस के कार्यकर्ताओं में जो ऊर्जा पैदा की है अब उस उर्जा को संभाल कर रखने तथा बंद मुट्ठी होकर 10 की 10 लोकसभा सीटें हरियाणा की जीतने का लक्ष्य हमारे सामने है। कौन मुख्यमंत्री बनेगा, कौन मुख्यमंत्री नहीं बनेगा यह निर्णय जब हम लोग मेजोरिटी में आएंगे तब हो जाएगा। यह बाद की बात है। हम कांग्रेस के संगठित सिपाही हैं। हम केवल कांग्रेस के नारे लगाएं, अलग-अलग खेमों के नेताओं के नारे लगाने से काम नहीं चलेगा। किरण चौधरी ने कहा कि अनुशासन की बात होती है, अनुशासन की बात कहकर दबाने की बात भी होती है। कांग्रेस एक लोकतांत्रिक संगठन है, इसमें सब बातें खुलकर होनी चाहिए। मीडिया को क्या कहना है क्या नहीं कहना है, उस पर अवश्य अनुशासन लागू होना चाहिए।
किरण चौधरी ने बड़े खुले शब्दों में बेबाकी से कहा कि भाजपा से जनता मुक्ति चाहती है। अगर हम इनके खिलाफ खुलकर नहीं बोलेंगे तो हम इनका सामना नहीं कर पाएंगे। किरण चौधरी ने कहा कि दीपक बाबरिया जमीन से जुड़े हुए संगठन से जुड़े हुए समर्पित कार्यकर्ता व नेता हैं। राहुल गांधी तथा खड़गे जी ने इन्हें जब यहां भेजा है तो हरियाणा कांग्रेस में अनुशासन कायम करने के लिए सब की दृष्टि इनपर है।
(हरियाणा की खबरें टेलीग्राम पर भी, बस यहां क्लिक करें या फिर टेलीग्राम पर Punjab Kesari Haryana सर्च करें।)