Assembly Election 2019: पहली बार बिखराव के बड़े दौर से गुजर रही कांग्रेस

Edited By Isha, Updated: 08 Oct, 2019 10:54 AM

congress going through a big phase of scattering for the first time

हरियाणा में विधानसभा चुनाव में एक पखवाड़े से कम समय शेष रह गया है और इस समय कांग्रेस अपने अब तक के सबसे बुरे दौर से गुजर रही है। नेतृत्व परिवर्तन के बाद कांग्रेस में गुटबाजी समाप्त होने की बजाय और अधिक बढ़ गई है।

डेस्क(संजय अरोड़ा ): हरियाणा में विधानसभा चुनाव में एक पखवाड़े से कम समय शेष रह गया है और इस समय कांग्रेस अपने अब तक के सबसे बुरे दौर से गुजर रही है। नेतृत्व परिवर्तन के बाद कांग्रेस में गुटबाजी समाप्त होने की बजाय और अधिक बढ़ गई है। कांग्रेस के पूर्व प्रदेशाध्यक्ष अशोक तंवर तो इतने खफा हुए कि उन्होंने पार्टी की प्राथमिक सदस्यता तक से इस्तीफा दे दिया। यही नहीं महिला कांग्रेस की अध्यक्ष सुमित्रा चौहान, पूर्व वित्त मंत्री संपत्त सिंह, ए.सी.चौधरी,रणजीत सिंह,पूर्व सांसद ईश्वर सिंह,निर्मल सिंह, दुड़ाराम व शारदा राठौड़ सहित कई बड़े नेता कांग्रेस को अलविदा कह चुके हैं। इतने बड़े पैमाने पर दिग्गज नेताओं द्वारा कांग्रेस छोडऩे का संभवत: यह पहला मौका होगा।

कांग्रेस को वर्तमान समय में विकट परिस्थिति में से गुजरना पड़ रहा है और उसकी यह स्थिति 2014 से लगातार जारी है। 2005 से 2014 तक कांग्रेस करीब पौने 10 साल तक सत्ता में रही। 2005 में 67 सीटों पर जीत दर्ज की और सरकार बनाई। 2009 में 40 सीटों पर जीत दर्ज की। आजाद उम्मीदवारों का साथ लेकर कांग्रेस दूसरी बार सरकार बनाने में कामयाब रही। 2014 में कांग्रेस का ग्राफ एकाएक नीचे आया और पार्टी 15 सीटों पर सिमट गई। इसके बाद तो कांग्रेस की स्थिति और अधिक पतली होती गई। अभी इसी साल मई में हुए संसदीय चुनाव में कांग्रेस सभी 10 सीटों पर हार गई। यहां तक कि उसके बड़े चेहरों को भी हार का सामना करना पड़ा।

संसदीय चुनाव में कांग्रेस को 90 विधानसभा क्षेत्र में से केवल 10 पर ही जीत मिली। पार्टी को बुरे दौर से बाहर निकालने की मंशा से अभी कुछ समय पहले हाईकमान ने नेतृत्व में परिवर्तन किया, पर इसके बाद भी गुटबाजी पर लगाम नहीं लगी और भीतरी कलह विस्फोटक रूप से बाहर आई। यहां तक कि पूर्व प्रदेशाध्यक्ष अशोक तंवर ने समर्थकों सहित जहां सोनिया गांधी के निवास समक्ष प्रदर्शन किया, वहीं 2 दिन पहले पार्टी की प्राथमिक सदस्यता छोड़ते हुए कांग्रेस के खिलाफ प्रचार भी शुरू कर दिया। कांग्रेस में इस तरह की अंदरूनी कलह पहले भी रही है,लेकिन इतने बड़े पैमाने पर पार्टी में न तो भगदड़ मची है और न ही कभी व्यापक पैमाने पर गुटबाजी रही है। खैर, हाईकमान पार्टी में बढ़ रही गुटबाजी को लेकर किस तरह का कदम उठाती है? यह देखने वाला होगा, मगर विधानसभा चुनाव के ऐन मौके पर बिखराव पार्टी के लिए कोई अच्छा संकेत नहीं है

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