Edited By Yakeen Kumar, Updated: 18 Feb, 2025 09:16 PM
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हरियाणा के राज्यपाल और कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के कुलाधिपति बंडारू दत्तात्रेय ने मंगलवार को विश्वविद्यालय के 34वें दीक्षांत समारोह में मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी को उनके विशिष्ट योगदान के लिए डॉक्टर ऑफ लिटरेचर की मानद उपाधि से अलंकृत किया।
डेस्क टीम: हरियाणा के राज्यपाल और कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के कुलाधिपति बंडारू दत्तात्रेय ने मंगलवार को विश्वविद्यालय के 34वें दीक्षांत समारोह में मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी को सामाजिक व राजनीतिक क्षेत्र में उनके विशिष्ट योगदान के लिए डॉक्टर ऑफ लिटरेचर की मानद उपाधि से अलंकृत किया। साथ ही विज्ञान के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य करने वाले और अंतरिक्ष में भारत का गौरव बढ़ाने वाले इसरो के पूर्व अध्यक्ष डॉ. एस. सोमनाथ को भी विश्वविद्यालय द्वारा मानद उपाधि और गोयल पीस प्राइज से सम्मानित किया गया।
दीक्षांत समारोह में लगभग 2000 विद्यार्थियों को डिग्री, 130 पंजीकृत पीएचडी धारकों को पीएचडी की उपाधि और 91 पंजीकृत विद्यार्थियों को गोल्ड मेडल व मेरिट सर्टिफिकेट प्रदान किए गए।
मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का विजन है कि जब हम भारत की आजादी के 100 वर्ष मनाएंगे, तब हमारा भारत देश एक विकसित राष्ट्र बनेगा। उन क्रांतिकारी वीरों के सपनों का भारत बने, जिन्होंने भारत को आजाद करवाने के लिए अपना सर्वस्व न्यौछावर कर दिया। इस विजन को साकार करते हुए वर्ष 2047 तक भारत को विकसित राष्ट्र बनाने में सबसे महत्वपूर्ण योगदान युवाओं का होगा। इसलिए युवाओं को मानसिक, शारीरिक एवं नैतिक रूप से मजबूत बनना है और जीवन के लक्ष्यों को प्राप्त करना है।
मुख्यमंत्री ने पीएचडी विद्यार्थियों को दी बधाई
मुख्यमंत्री ने पीएचडी की उपाधि से विभूषित और पदक प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों को बधाई एवं शुभकामनाएं देते हुए कहा कि यह केवल डिग्री नहीं, बल्कि आपकी मेहनत का सम्मान है। उन्होंने विद्यार्थियों के अभिभावकों व संकाय सदस्यों को भी बधाई दी। उन्होंने इसरो के पूर्व अध्यक्ष डॉ. एस. सोमनाथ को विश्वविद्यालय द्वारा मानद उपाधि और गोयल पीस प्राइज से सम्मानित करने पर बधाई एवं शुभकामनाएँ दी। उन्होंने कहा कि भारत के पहले राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद ने 1956 में इस कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय की आधारशिला रखी। तब से लेकर विश्वविद्यालय ने विकास की एक लंबी यात्रा तय की है। उन्होंने कहा कि हरियाणा ने शिक्षा, खेल, सांस्कृतिक, शोध और औद्योगिक क्षेत्र में प्रगति कर देश में एक अग्रणी राज्य के रूप में अपनी एक अलग पहचान बनाई। इस पहचान में कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय का महत्वपूर्ण योगदान है। उन्होंने कहा कि ऐसे ही शिक्षण संस्थानों की क्षमता के बलबूते पर हरियाणा ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति को पूरी तरह से लागू किया है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि एक दशक पहले तक हरियाणा में बेटियों को उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए दूर-दराज के कॉलेजों में जाना पड़ता था। इस कारण अधिकतर बेटियां शिक्षा से वंचित रह जाती थी। उनकी इस पीड़ा को समझते हुए सरकार ने रोडमैप तैयार किया और हर 20 किलोमीटर पर एक कॉलेज स्थापित करने का संकल्प लिया। पिछले 10 सालों में 79 कॉलेज खोले गए, जिनमें से 30 केवल लड़कियों के हैं। उन्होंने कहा कि सरकार का ध्येय है कि हर बच्चे को अपने घर के नजदीक ही गुणवातापूर्ण शिक्षा मिले। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार शिक्षा के साथ-साथ युवाओं के कौशल विकास पर भी बल दे रही है। समय की मांग के अनुसार स्कूल से विश्वविद्यालय तक की शिक्षा को कौशल के साथ जोड़ा है।
इसके अलावा, स्कूलों में एनएसएसक्यूएफ, कॉलेजों में पहल योजना, विश्वविद्यालयों में इन्क्यूयबेशन सेंटर और तकनीकी संस्थानों में उद्योगों की जरूरतों के अनुसार प्रशिक्षण प्रदान करने के लिए उद्योगों के लिए एमओयू करने जैसे कारगर कदम उठाए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि इस वर्ष के बजट के लिए सरकार ने युवाओं से भी सुझाव मांगे हैं, ताकि एक समावेशी और हर वर्ग के विकास का बजट बनाया जा सके। उन्होंने कहा कि हरियाणा के युवा स्टार्टअप के माध्यम से आज नई ऊंचाइयां छू रहे हैं, यह गर्व की बात है।
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