Edited By Saurabh Pal, Updated: 21 Jul, 2023 05:16 PM

यूं तो कहने को प्रदेश में भाजपा और जजपा की गठबंधन सरकार चल रही है, परंतु दोनों पार्टियों के नेता और पदाधिकारी किस तरह का गठबंधन धर्म निभा रहे हैं यह बात किसी से छिपी नहीं है। जिसका जीता जागता उदाहरण कैथल जिले में देखने को मिला। जहां जिला परिषद की...
कैथल(जयपाल रसूलपुर) : यूं तो कहने को प्रदेश में भाजपा और जजपा की गठबंधन सरकार चल रही है, परंतु दोनों पार्टियों के नेता और पदाधिकारी किस तरह का गठबंधन धर्म निभा रहे हैं यह बात किसी से छिपी नहीं है। जिसका जीता जागता उदाहरण कैथल जिले में देखने को मिला। जहां जिला परिषद की चौधर को लेकर शुरू से भाजपा और जजपा पार्टी के लोग आमने-सामने आ गए हैं।
बता दें कि 6 माह पहले जिला परिषद के अध्यक्ष का चुनाव हुआ था। जिसमें जजपा पार्टी दीप मलिक को चेयरमैन बनाने में कामयाब हो गई थी। उसके बाद अपनी किरकिरी होते देख भाजपा ने चैयरमैन दीप मालिक से उसकी वित्तीय शक्ति छीन ली थी। तब से लेकर अब तक केवल दो बार जिला परिषद की मीटिंग हुई है, कहने को तो करोड़ों रुपए की ग्रांट पार्षदों को बांटी गई है, परंतु धरातल पर विकास के नाम पर एक ईंट तक नहीं रखी गई है।
वहीं आज फिर जिला परिषद के सभागार में हाउस की मीटिंग रखी गई थी। जिसमें विभिन्न एजेंट के साथ जिले के सभी पार्षदों को 4 करोड़ रुपए की राशि बांटनी थी, परंतु हर बार मीटिंग में पलटी मारने वाले भाजपा पार्षदों को इस बार जजपा के पार्षदों ने पटकनी दे दी। जिस बीच मीटिंग में उनकी कोई भी बात नहीं सुनी गई और बिना कोई राशि बांटे ही मीटिंग समाप्त कर दी गई। चेयरमैन दीप मालिक ने मीटिंग खत्म होने की घोषणा कर अपने पार्षदों के साथ बाहर चले गए। उनके साथ ही जिले के तमाम अधिकारी भी सभागार से बाहर निकल गए। भाजपा के पार्षद ताकते ही रह गए। सभागार में बैठे भाजपा के 15 पार्षदों ने आरोप लगाया है कि आज जो हाउस की मीटिंग बुलाई गई थी। उसमें न तो उनकी कोई बात सुनी गई और ना ही राशि का आवंटन किया गया, बल्कि अध्यक्ष के कहने पर प्रशासनिक अधिकारी भी बीच में ही मीटिंग छोड़कर चले गए। जिसका उन्होंने जोरदार विरोध किया।
इस बारे में जिला परिषद के वाइस प्रेसिडेंट कर्मवीर कौल ने कहा कि आज जिले के विकास कार्यों को लेकर जो एजेंट रखे गए थे उन पर आज डिस्कस होना था, परंतु मीटिंग शुरू होते ही अध्यक्ष की तरफ से पार्षद राकेश खानपुर ने वित्तीय पावर अध्यक्ष के पास होने की घोषणा कर दी। इसके बाद फॉर्मेलिटी के तौर पर एक दो समस्या सुनी। उसके बाद बोला गया कि आप सभी पार्षद अपनी अपनी समस्याएं लिखकर ऑफिस में जमा करवा दो। उसके बाद जिला परिषद के अध्यक्ष और एडीसी कैथल बीच में ही मीटिंग को छोड़कर चले गए। जबकि मीटिंग पूरी भी नहीं हुई थी।
वहीं जब इस बारे में कैथल के एडीसी से बात करनी चाही तो वे मीडिया के सवालों से बचते नजर आए। कैमरे को देखकर गाड़ी की तरफ चल पड़े। पत्रकारों द्वारा बार-बार सवाल पूछने पर भी एडीसी चुप्पी साधे रहे। जिससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि या तो दाल में कुछ काला है या फिर पूरी दाल ही काली है।
इस प्रकरण के बाद भाजपा समर्पित सभी पार्षद इकट्ठे होकर कैथल डीसी से मिलने पहुंचे और इस मामले पर कार्रवाई करने की बात कही। वहीं इस पूरे घटनाक्रम से आप अंदाजा लगा सकते हैं कि गठबंधन सरकार का नारा देने वाली दोनों पार्टियों के नेता किस प्रकार से आपस में गठबंधन का धर्म निभा रहे हैं।
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