Edited By Isha, Updated: 29 Aug, 2024 06:14 PM
रियाणा में विधानसभा चुनाव की रणभेरी बजने के बाद से ही सभी दल अपने-अपने प्रत्याशियों का नाम फाइनल करने में जुट गए हैं। इनमें कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी की ओर से लगातार अपने प्रत्याशियों के नामों को लेकर मंथन किया जा रहा है
चंडीगढ़(चंद्रशेखर धरणी): हरियाणा में विधानसभा चुनाव की रणभेरी बजने के बाद से ही सभी दल अपने-अपने प्रत्याशियों का नाम फाइनल करने में जुट गए हैं। इनमें कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी की ओर से लगातार अपने प्रत्याशियों के नामों को लेकर मंथन किया जा रहा है। इसी बीच हरियाणा की राजनीतिक राजधानी कहलाने वाला जींद राजनीतिक दलों का केंद्र बिंदू बनता जा रहा है। हरियाणा के जाटलैंड के रूप में प्रसिद्ध जींद की धरती पर एक सितंबर को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह प्रदेश के चुनावी आगाज करने पहुंच रहे हैं। इसके अलावा कांग्रेस की ओर से भी अपने चुनावी अभियान की शुरूआत जींद से की जा सकती है, जिसके लिए राहुल गांधी का दौरा भी प्रस्तावित हो सकता है।
जींद से शुरूआत करने वाले दल का हुआ राजतिकल
हरियाणा के राजनीतिक गलियारों में यह किस्सा आम है कि जिस भी राजनीतिक दल ने अपने चुनावी अभियान की शुरूआत जींद से की और जिसने सबसे अधिक ताकत दिखाई, उसी दल का प्रदेश की सत्ता के सिंहासन पर राजतिलक हुआ और जींद के रास्ते चंडीगढ़ में बैठकर हरियाणा की सत्ता चलाई। इनेलो से अलग होने के बाद जेजेपी ने भी जींद की धरती पांडू पिंडारा से अपनी नई राजनीतिक पार्टी का आगाज किया था, जिसके बाद 2019 के चुनाव में 10 विधानसभा सीट जीतकर किंग मेकर की भूमिका निभाते हुए साढ़े 4 साल तक बीजेपी के साथ सत्ता में भागीदारी की।
देवीलाल ने बनाया था रिकॉर्ड
1986 में न्याय युद्ध का आगाज करने वाले चौधरी देवीलाल और मंगलसेन की जोड़ी ने जींद की धरती को ही चुना था। जींद में एक विशाल रैली करने के बाद 1987 में लोकदल और जनसंघ गठबंधन की सरकार ने हरियाणा की 90 विधानसभा सीट में से 85 सीट जीतकर पूरे देश को चौंका दिया था। इतना ही नहीं इस रैली के बाद चौधरी देवीलाल देश के सर्वोच्च पदों में एक उप प्रधानमंत्री जैसे पद तक भी पहुंचे थे।
हुड्डा ने भी जींद को चुना था
राजनीतिक समीक्षकों का कहना है कि किसी समय में चौधरी भजनलाल कांग्रेस के मजबूत स्तंभ हुआ करते थे। राजनीति में उनका सामना करने के लिए उस समय चौधरी भूपेंद्र हुड्डा ने जींद की धरती से एक बड़ी रैली कर अपना दबदबा कांग्रेस आला कमान को दिखाया था। रोचक बात यह है कि हुड्डा की इस रैली में कांग्रेस के उस समय से कईं मजबूत स्तंभ, जिनमें कर्नल रामसिंह, शमशेर सिंह सुरजेवाला, राव इंद्रजीत, पंडित चिरंजीलाल शर्मा जैसे चेहरे एक मंच पर नजर आए थे। इस रैली के बाद ही भूपेंद्र हुड्डा का कद बढ़ने लगा और उन्हें कांग्रेस में कईं अहम जिम्मेदारियां मिलने लगी।
हर दल की पसंद रहा जींद
चौ. बंसीलाल ने 1995 में हरियाणा विकास पार्टी की बड़ी रैली की थी, जिसके बाद प्रदेश में उनकी लहर बनी और 1996 में वह सत्ता तक पहुंचे थे। वहीं, कंडेला कांड के बाद भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने 2002 में जींद से किसान पदयात्रा शुरू की थी, जिसके बाद 2005 में वह सीएम की कुर्सी तक पहुंच गए थे। 2014 के विधानसभा चुनाव से पहले भी भाजपा ने जींद में बड़ी रैली की थी, जिसमें अमित शाह भी पहुंचे थे। 2019 के चुनाव को लेकर भी अमित शाह ने 2018 में जींद से ही बाइक रैली की शुरूआत के साथ चुनावी आगाज किया था। नतीजतन 2019 में फिर से बीजेपी की सरकार बनी थी। प्रदेश के मध्य में पड़ने वाले जींद से उठने वाली राजनीतिक आवाज का पूरे प्रदेश में असर पड़ता है।
बीजेपी करेगी जाटलैंड को साधने की कोशिश
एक सितंबर को जींद की धरती से अपने चुनावी आगाज की शुरूआत केंद्रीय मंत्री अमित शाह की रैली में रूप में कर बीजेपी प्रदेश के जाटलैंड को साधने की कोशिश करेगी। जींद की धरती से ही जाटलैंड के अलावा प्रदेश के हर वर्ग को साधने के लिए पार्टी के तमाम दिग्गज मैदान में उतरेंगे। मुख्यमंत्री नायब सैनी पहले से ही प्रदेश में जन आशीर्वाद रैली कर रहे हैं। जींद में अभी तक यह रैली नहीं हुई है। अब चुनावी समय में इस रैली को और बड़े स्तर पर किया जा रहा है। रैली में छह से अधिक केंद्रीय मंत्रियों के साथ-साथ प्रदेश का पूरा नेतृत्व हुंकार भरेगा।
जजपा के विधायक भी करेंगे शिरकत
इस रैली में दुष्यंत चौटाला का साथ छोड़ चुके जजपा के तीन विधायक अनूप धानक, जोगीराम सिहाग और रामकुमार गौतम इसी दिन भाजपा में शामिल हो सकते हैं। इनके अलावा कुछ और बड़े नेता भी शामिल हो सकते हैं। जींद में लगातार दो बार से भाजपा विधायक हैं। जुलाना और उचाना जाटलैंड सीट हैं। वहीं नरवाना सुरक्षित सीट है। इसके अलावा सफीदों में जाटों का भी अच्छा प्रभाव है, इसलिए इन पांचों सीट पर भाजपा की नजर है। इन पांचों सीटों के अलावा भाजपा जींद की धरती से पूरे प्रदेश में सियासी संदेश देना चाह रही है।