अनिल विज  वह शेर हैं , जो कभी नही झुके, अकेले ही लड़ते रहे : कृष्ण भारद्वाज

Edited By Isha, Updated: 26 Jun, 2024 08:31 PM

anil vij is the lion who never surrendered fought alone  krishna bhardwaj

हरियाणा के पूर्व गृह एवं स्वास्थ्य मंत्री की लोकप्रियता से बेशक प्रदेश का हर व्यक्ति वाकिफ हो, लेकिन वास्तव में जनता का उनके प्रति इतना लगाव, प्यार और झुकाव क्यों है इसके पीछे कारण अनेक हैं। पूर्व मंत्री अनिल विज के पूर्व में रहे सचिव कृष्ण

 चंडीगढ़(चंद्रशेखर धरणी):  हरियाणा के पूर्व गृह एवं स्वास्थ्य मंत्री की लोकप्रियता से बेशक प्रदेश का हर व्यक्ति वाकिफ हो, लेकिन वास्तव में जनता का उनके प्रति इतना लगाव, प्यार और झुकाव क्यों है इसके पीछे कारण अनेक हैं। पूर्व मंत्री अनिल विज के पूर्व में रहे सचिव कृष्ण भारद्वाज उनके बारे कई अत्यंत हैरान और भावुक कर देने वाले किस्से बताने लगे।कृष्ण भारद्वाज साढ़े  9 साल से अधिक विज के प्राइवेट सेक्टरी  रहे हैं।उन्होंने बताया कि हरियाणा सरकार के वरिष्ठतम मंत्री अनिल विज में निर्णय लेने की एक अद्भुत शक्ति है। इसलिए वह बड़े से बड़े निर्णय लेने में तनिक भी संकोच नहीं करते।

बशर्ते मामला जनहित व प्रदेश हित का होना चाहिए। उन्होंने उनके तीन-चार ऐसे निर्णय साझा किए जो उनकी सशक्त- सूझबूझ- वरिष्ठता और क्षमता को प्रमाणित कर रहे थे। उन्होंने बताया कि एक बार स्वास्थ्य विभाग के एमपीएचडब्ल्यू (मल्टी पर्पज हेल्थ वर्करस) की एसोसिएशन उनके पास कुछ डिमांड लेकर पहुंची और स्वास्थ्य विभाग द्वारा उनसे लिए जा रहे कार्यों को गिनवाकर अपने स्केल में संशोधन की मांग करने लगी। अनिल विज ने उनके नाम से ही अंदाजा लगा लिया था कि अनेकों काम करने वाले यह कर्मचारी है, इसलिए वह एकदम से सहमत हो गए कि महकमा उनसे अनेकों काम ले रहा है, लेकिन वेतन कम है, इस पर अनिल विज बोले की मैं अवश्य न्याय करूंगा जो स्केल मात्र 1900 था, जिसे वह 2800 करवाना चाहते थे, मंत्री जी ने वह 4200 कर दिया, स्वास्थ्य विभाग में एमपीएचडब्ल्यू की हो रही अनदेखी को  हटा उनके रुतबे को एकदम से बढ़ा दिया, उनके इस फैसले के बाद कई लोग तो उन्हें भोले बाबा कहने लगे।

 

चंडीगढ़ में वेरका की तरह वीटा बूथ लगना विज के कारण सम्भव हो पाया  

कृष्ण भारद्वाज ने एक ओर दिलचस्प किस्सा स्मरण करते हुए बताया कि एक वक्त में पंजाब के राज्यपाल का पद रिक्त होने के कारण हरियाणा के राज्यपाल सोलंकी जी ही वहां की जिम्मेदारी संभाल रहे थे और उनके सचिव के तौर पर वरिष्ठ आईएएस अधिकारी अमित अग्रवाल कार्यरत थे जोकि एक बार मंत्री अनिल विज के पास बैठे थे। उन्होंने बताया कि चंडीगढ़ हरियाणा की भी बेशक राजधानी है किंतु कई मामलों में ऐसा लगता है कि चंडीगढ़ केवल पंजाब की राजधानी हो। उन्होंने मंत्री जी को बताया कि चंडीगढ़ में केवल वेरका दूध के ही बूथ है वीटा के नहीं है। इसे सुनकर अनिल विज एकदम से गंभीर हो गए और उन्होंने पूछा कि यह काम कैसे होगा। उन्हें राज्यपाल को पत्र लिखकर देने की सलाह दी गई तो तुरंत प्रभाव से अनिल विज ने अमित अग्रवाल को पत्र देने की बात कहते हुए कहा कि बाकि का काम अमित अग्रवाल करवाएंगे। यह एक बेहद उपयुक्त अवसर था, क्योंकि हरियाणा के राज्यपाल पंजाब भी देख रहे थे। इसलिए एक दिन में ही यह सारी कार्यवाही अनिल विज की कोशिशों से संपूर्ण हो गई। भेदभाव और वर्चस्व अनिल विज की कोशिशों से समाप्त हुआ। आज चंडीगढ़ में समान बराबरी से वेरका और वीटा के बूथ होने का मुख्य श्रेय अनिल विज हो जाता है। उनके एकदम से निजी इंटरस्ट के कारण प्रदेश का एक बहुत बड़ा लाभ हुआ और सम्मान बढ़ा।

 

 

 

अस्पतालों में निजी दुकाने खोलने का इतना दबाव था कि पत्थर टूट जाए लेकिन विज नहीं टूटे 

 

इसी प्रकार से हमेशा जनता के हितों को अनिल विज की प्राथमिकता बताते हुए भारद्वाज ने बताया कि एक बार सरकारी अस्पतालों में दवाइयों की प्राइवेट दुकान खुलवाने का लगातार दबाव बढ़ रहा था, लेकिन अनिल विज का कलियर स्टैंड था कि यदि सरकारी अस्पतालों में दवाइयों की दुकानें खुली तो सभी दवाइयां जनता को फ्री देने का सरकार के सिद्धांत की धज्जियां उड़ जाएगी, जोकि हमारी प्राथमिकता है। लेकिन अगर अस्पताल प्रांगण में दुकानें बनी तो अधिकतर डॉक्टर अधिकतर दवाइयां बाहर की लिखेंगे जिसका सीधा बोझ गरीब जनता की जेब पर पड़ेगा और मेरे व हमारे सिद्धांत इसके बिलकुल खिलाफ है। अपने इस फैसले पर अनिल विज टस से मस नहीं हुए। जोर इतना लगा कि पत्थर टूट जाए लेकिन अनिल विज नहीं टूटे और सरकारी अस्पतालों में प्राइवेट दुकाने खुलने के बीच में एक बड़ी दीवार अनिल विज बनकर खड़े हो गए।

 

 

विज ने स्टेट लेवल पर भी तीन अवार्ड शुरू कर बहादुर, ईमानदार व काबिल पुलिस कर्मचारियों का सम्मान बढ़ाया 

 

भारद्वाज के अनुसार अपने सभी संबंधित विभागों में अनिल विज द्वारा किए गए कार्य हर तरह से उन्हें पूर्व में रहे और मौजूदा मंत्रियों से कहीं अलग खड़ा करते हैं। उन्होंने एक ओर वाक्य बताया जब राष्ट्रपति महोदय द्वारा पुलिस मेडल देने संबंधित अनिल विज बैठक ले रहे थे तो उन्हें ध्यान आया कि केंद्र सरकार की तरह ही प्रदेश सरकार द्वारा ऐसे मेडल क्यों नहीं दिए जाते। क्योंकि केंद्र द्वारा दिए जाने वाले मेडल एसपी- डीएसपी- आईजी इत्यादि के रीडर को ही सारे अवार्ड चले जाते हैं, अच्छे जांच अधिकारी -काबिल कर्मचारी, बहादुर लोग इस सम्मान से दूर रह जाते हैं। उनके हिस्से में कुछ नहीं आता। गंभीरता से इस पूरे मामले को समझ मंत्री जी के आदेश पर स्टेट गवर्नमेंट में अवार्ड बनाने की कारवाही तुरंत प्रभाव से शुरू हुई। जिसमें तीन अवार्ड बहादुर- अच्छे जांच अधिकारी और ऑफिस स्टाफ के लिए देना सुनिश्चित किया गया। हालांकि यह अवार्ड अभी तक किसी को नहीं मिले, लेकिन इसका खाका बनकर तैयार हो चुका है जो कि इस साल स्टेट गवर्नमेंट ऐसे अवार्ड देगी। कर्मचारियों के सम्मान को बढ़ाने वाला यह फैसला अनिल विज का है जो ईमानदार, बहादुर और अच्छे कर्मचारियों अधिकारियों को सम्मानित किया जाएगा। इसी प्रकार से उन्होंने बताया कि स्वास्थ्य विभाग में भी अनिल विज की पहल से बेस्ट डॉक्टर अवार्ड शुरू किया गया था।

 

 

विज के कारण भाजपा के सम्मान में सदा बढ़ोतरी हुई 

भारद्वाज ने एक ओर किस्सा बताया कि अनिल विज बेहद समझदारी से हर कार्य को करते हैं और कई मामलों में भारत सरकार द्वारा उनके द्वारा लिए गए निर्णयों की प्रशंसा भी की गई है। इसी तरह आयुष्मान भारत स्कीम के तहत निशुल्क इलाज की स्कीम पर मंथन चल रहा था। जिसमें ज्यादातर अधिकारी इंश्योरेंस मॉडल की वकालत कर रहे थे। लेकिन मंत्री जी का तर्क था कि ऐसा किया तो हमारा सारा स्वास्थ्य विभाग का ढांचा खत्म हो जाएगा और हम प्राइवेट सेक्टर के गुलाम बन जाएंगे। शिमला में मीटिंग के दौरान बड़े तार्किक अंदाज में उन्होंने अपनी बात इस प्रकार से रखी जिसे सभी ने माना व अपनाया और आज सच्चाई सबके सामने है। न केवल स्वास्थ्य विभाग बल्कि भारतीय जनता पार्टी के सम्मान में भी लगातार बढ़ोतरी हुई है। संसाधन समाप्त होने से बचे हैं और ऐसी स्कीम चली की पूरे भारत में प्रदेश की वाहवाही हुई। भारद्वाज ने बताया कि मंत्री रहने के दौरान उन पर बहुत से उतार चढ़ाव आए। बहुत सा दबाव आया। लेकिन उन्होंने अपने निर्णय में सदा जनहित को ही ऊपर रखा। वह कभी किसी भी ताकत के दबाव में नहीं आए। विज गुरु गोविंद सिंह जी के वह शेर जो कभी झुके नही। लड़ते रहे अकेले ही। अकेले वह एक सवा लाख से लड़ते रहे। लेकिन कभी उन्होंने किसी ताकत और जुल्म के सामने सर नहीं झुकाया।

 

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