106 साल की उड़नपरी दादी का कमाल, अब तक जीते कई मेडल, क्‍या पूरा होगा ये सपना

Edited By Manisha rana, Updated: 14 Jul, 2023 05:53 PM

amazing 106 years old flying grandmother has won many medals till now

उड़नपरी दादी के नाम से विख्यात 106 वर्षीय रामबाई जहां दौड़ में वर्ल्ड रिकार्ड बना चुकी है, वहीं चार साल के दौरान नेशनल स्तर पर अपनी प्रतिभा दिखाते हुए मेडलों का शतक लगा चुकी है।

चरखी दादरी (पुनीत) : उड़नपरी दादी के नाम से विख्यात 106 वर्षीय रामबाई जहां दौड़ में वर्ल्ड रिकार्ड बना चुकी है, वहीं चार साल के दौरान नेशनल स्तर पर अपनी प्रतिभा दिखाते हुए मेडलों का शतक लगा चुकी है। 


विदेशी धरती पर गोल्ड लाने का है सपना 

हालांकि रामबाई का दर्द सामने आया। उन्होंने कहा कि सरकार से मदद मिलती है तो वह जीवन के अंतिम पड़ाव में विदेशी धरती पर गोल्ड लाने का मन में सपना संजोये है। विदेश में खेलने की मन में तमन्ना लिए रामबाई ने पासपोर्ट भी बनवाया लिया है।

बता दें कि चरखी दादरी के गांव कादमा निवासी 106 वर्षीय रामबाई ने करीब चार साल पहले बुजुर्गों को दौड़ते देखा तो खेतों के कच्चे रास्तों पर दौड़ लगानी शुरू कर दी। नानी को खेतों में दौड़ते नातिन शर्मिला ने दादी की प्रतिभा को पहचाना और उसकी अच्छी तैयारी करवाते हुए खेल के मैदान में उतारा। रामबाई की मेहनत रंग लाई और पहले ही प्रयास ने स्टेट लेवर पर मेडल जीत लिया। इसके बाद से रामबाई ने पीछे मुड़कर नहीं देखा और देखते ही देखते मेडलों का शतक बना दिया। 


इस वजह से रामबाई उड़नपरी दादी के नाम से हुई थी मशहूर 


रामबाई ने पिछले वर्ष वडोदरा में आयोजित राष्ट्रीय स्तर की एथलेटिक्स चैंम्पियनशिप में 100 मीटर दौड़ नया वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया था। जिसके बाद से रामबाई उड़नपरी दादी के नाम से मशहूर हो गई। रामबाई ने पिछले दिनों अपनी तीन पीढ़ियों के साथ हरिद्वार व देहरादून में नेशनल स्तर पर प्रतियोगिता की 100 व 200 मीटर की दौड़ में दो गोल्ड जीते हैं। वहीं उसकी बेटी, पुत्रवधु और नातिन ने भी तीन मेडलों पर कब्जा किया। अब रामबाई विदेशी धरती पर देश के लिए मेडल लाना चाहती है।

मेडलों का बनाया शतक

विदेशी मैदान में उतरने की तमन्ना रामबाई के बेटे महेंद्र सिंह ने बताया कि उसकी माता 106 साल की हो गई है। अनेक प्रदेश व नेशनल स्तर पर प्रतिस्पर्धाओं में सैंकड़ों मेडल जीते हैं। पिछले वर्ष तो माता ने वर्ल्ड रिकार्ड भी बनाया था। आज भी वह अपना कार्य स्वयं कर रही हैं और विदेशी मैदान में उतरने की उनकी तमन्ना है। माता की उपलब्धियों को देखते हुए अनेक संगठनों द्वारा सम्मानित भी किया गया है।


युवाओं की प्रेरणा बनी दादी रामबाई

जिला पार्षद प्रतिनिधि अशोक थालौर व बेदकौर ने कहा कि गांव की 106 वर्षीय दादी ने अपनी प्रतिभा दिखाकर देशभर में गांव व क्षेत्र का नाम रोशन किया है। दादी अब युवाओं की प्रेरणा स्त्रोत बन गई है। दादी को खेतों में दौड़ते देख युवा भी मैदान में उतर रहे हैं।

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