Edited By vinod kumar, Updated: 14 Sep, 2021 05:31 PM
पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के हाल ही में दिए गए बयान से आंदोलनकारी किसान खफा है। टिकरी बॉर्डर पर आंदोलन कर रहे किसानों ने मुख्यमंत्री कैप्टन को खरी-खोटी सुनाई है। किसान नेताओं का कहना है कि जब तक तीन कृषि कानून रद्द नहीं होते, तब तक...
बहादुरगढ़ (प्रवीण कुमार): पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के हाल ही में दिए गए बयान से आंदोलनकारी किसान खफा है। टिकरी बॉर्डर पर आंदोलन कर रहे किसानों ने मुख्यमंत्री कैप्टन को खरी-खोटी सुनाई है। किसान नेताओं का कहना है कि जब तक तीन कृषि कानून रद्द नहीं होते, तब तक किसान आंदोलन करते रहेंगे और सिर्फ दिल्ली की सीमाओं पर ही नहीं बल्कि हर उस जगह आंदोलन होगा जहां किसानों की सुनवाई नहीं होती।
दरअसल, पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने बयान दिया था कि आंदोलनकारी किसान पंजाब में आंदोलन ना करें। इस आंदोलन की वजह से पंजाब को आर्थिक नुकसान हो रहा है। किसान हरियाणा और दिल्ली की सीमा पर जो करना चाहे वह करें। जिसके बाद सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह किसानों के निशाने पर आ गए हैं। किसानों का कहना है कि पंजाब के मुख्यमंत्री हरियाणा के करनाल की घटना से सीख लें। अगर किसानों के साथ किसी तरह की जबरदस्ती की गई तो सरकार को झुकना पड़ेगा।
किसानों ने साफ किया है कि किसान पंजाब सरकार के खिलाफ नहीं, बल्कि केंद्र सरकार के खिलाफ प्रोटेस्ट कर रहे हैं। ऐसे में कैप्टन अमरिंदर किसानों के रास्ते में ना आए। अगर मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के हाथ में तीनों कृषि कानूनों को रद्द करना है तो वह रद्द कर दें, किसान आंदोलन उसी वक्त खत्म हो जाएगा नहीं तो आंदोलन ऐसे ही जारी रहेगा। चाहे वह पंजाब हो, हरियाणा हो या दिल्ली की सीमाएं हों।
वहीं किसानों ने एनएचआरसी द्वारा दिल्ली, राजस्थान, हरियाणा, यूपी व केंद्र से किसान आंदोलन पर मांगी गई रिपोर्ट पर भी अपनी प्रतिक्रियाएं दी हैं। किसानों का कहना है कि दिल्ली की सड़कें दिल्ली पुलिस ने बंद कर रखी हैं। किसानों ने कभी कोई रास्ता नहीं रोका। दिल्ली पुलिस ने टिकरी बॉर्डर पर 8 लेयर की बैरिकेडिंग की है। जिसकी वजह से यातायात प्रभावित हुआ है। इतना ही नहीं टिकरी बॉर्डर पर किसी भी फैक्ट्री को किसानों की वजह से कोई परेशानी नहीं हुई है। किसानों ने सभी फैक्ट्रियों तक माल आने जाने का पूरा रास्ता दे रखा है। 26 जनवरी से पहले तक किसान खुद बैरिकेड हटा कर एंबुलेंस को भी रास्ता देते थे। लेकिन दिल्ली पुलिस ने रास्ता पूरी तरह से ब्लॉक कर दिया है।
किसानों का कहना है कि अगर उद्योगपतियों और आम नागरिकों को किसी तरह की परेशानी हो रही है, तो इसके जिम्मेदार सरकार और पुलिस है। बता दें कि हाल ही में एनएचआरसी ने दिल्ली पंजाब हरियाणा यूपी और राजस्थान सरकार से किसान आंदोलन से उद्योग यातायात और आम नागरिकों को हो रहे नुकसान पर एक रिपोर्ट मांगी थी। जिसमें कहा गया था कि किसान आंदोलन की वजह से 9 हजार छोटी व बड़ी कंपनियों पर असर हुआ है। ट्रांसपोर्ट भी प्रभावित हुआ है और किसान आंदोलन के चलते आने जाने वाले आम लोग, मरीज, दिव्यांग और बुजुर्गों को भी परेशानी झेलनी पड़ रही है।
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