Edited By Isha, Updated: 25 Mar, 2025 12:24 PM

प्रदेशभर में विकास कार्यों के लिए अग्रिम तौर पर लिए गए करीब 1400 करोड़ रुपये का हिसाब नहीं मिला रहा। ये राशि प्रदेश में 10 नगर निगमों सहित 62 स्थानीय निकायों में विकास कार्यों के लिए ली गई थी।
चंडीगढ़: प्रदेशभर में विकास कार्यों के लिए अग्रिम तौर पर लिए गए करीब 1400 करोड़ रुपये का हिसाब नहीं मिला रहा। ये राशि प्रदेश में 10 नगर निगमों सहित 62 स्थानीय निकायों में विकास कार्यों के लिए ली गई थी।
ऐसे में किसी घोटाले की आशंका उठना स्वाभाविक है और ये आशंका विधानसभा कमेटी ने वर्ष 2019-20 की आडिट रिपोर्ट पर सवाल उठाते हुए जताई है। इसके साथ ही कमेटी ने सरकार से पांच साल पहले हुईं वित्तीय अनियमितताओं की जांच करवाकर दोषी अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की सिफारिश की है।
जिन 10 नगर निगमों मेें विकास कार्यों के लिए जारी अग्रिम राशि के दुरुपयोग की आशंका जताई गई है, उनमें पंचकूला, गुरुग्राम, सोनीपत, पानीपत, हिसार, करनाल, यमुनानगर, अंबाला, रोहतक और फरीदाबाद शामिल हैं।
विधानसभा की शहरी स्थानीय निकाय एवं पंचायती राज संस्था की कमेटी के आगे हाल ही में आडिट रिपोर्ट रखी गई तो इन वित्तीय अनियमितताओं का खुलासा हुआ। जानकारी के अनुसार निकायों में होने वाले खर्च का इंटरनल आडिट करवाया जाता है। यदि आपत्तियां हों तो उन्हें दूर करने के लिए अधिकारियों को भेजा जाता है। इसके बाद एडवांस लेने वाला अधिकारी प्रूफ जमा करवाता है। संबंधित अधिकारियों को यह रिपोर्ट भी भेजी गई, लेकिन इसके बावजूद कार्रवाई नहीं हुई। इस वजह से यह रकम अभी भी आडिट रिपोर्ट में ‘अनएडजस्टेड एडवांस’ के तौर पर दिख रही है।
आडिट रिपोर्ट के मुताबिक गुरूग्राम और फरीदाबाद में सबसे ज्यादा अनियमितताएं हैं। फरीदाबाद नगर निगम में 782 करोड़ और गुरुग्राम नगर निगम में 404 करोड़ रुपये के विकास कार्यों का रिकार्ड नहीं मिला। विधानसभा कमेटी ने सरकार को भेजी रिपोर्ट में कहा है कि 62 निकायों में इतनी बड़ी राशि को खर्च करने का कोई रिकार्ड ही मौजूद नहीं है। इसमें बड़ा घोटाला नजर आता है।