Edited By Isha, Updated: 15 Feb, 2020 11:14 AM
आम आदमी पार्टी के दिल्ली में सरकार बनाने की हैट्रिक लगाने से पार्टी के तलहटी प्रदेश हरियाणा के कार्यकत्र्ताओं में पूरा जोश दिखाई देता है। हरियाणा में भी ‘आप’ के कार्यकत्र्ताओं द्वारा मनाए जाने वाले जीत
डेस्कः आम आदमी पार्टी के दिल्ली में सरकार बनाने की हैट्रिक लगाने से पार्टी के तलहटी प्रदेश हरियाणा के कार्यकत्र्ताओं में पूरा जोश दिखाई देता है। हरियाणा में भी ‘आप’ के कार्यकत्र्ताओं द्वारा मनाए जाने वाले जीत के जश्न का सिलसिला जारी है। ‘आप’ की हरियाणा इकाई के कार्यकत्र्ताओं में खुशी का एक बड़ा कारण यह भी है कि पार्टी के प्रदेश प्रधान नवीन जयङ्क्षहद के नेतृत्व में हरियाणा से चुनाव प्रचार के लिए गई टीम को बड़ी सफलता मिली है। हरियाणा की इस टीम को आऊटर दिल्ली की 17 सीटों पर प्रचार की जिम्मेदारी मिली थी। चुनाव में इन 17 सीटों में से पार्टी ने 16 सीटों पर विजयश्री हासिल की। इनमें रोहिणी की सीट पर ‘आप’ का प्रत्याशी हारा। इस जीत के लिए प्रदेश प्रधान नवीन जयङ्क्षहद और उनके कार्यकत्र्ताओं की पार्टी प्रमुख अरविंद केजरीवाल ने जम कर तारीफ कर पीठ थपथपाई।
केजरीवाल सहित हरियाणा से 6 विधायक हरियाणा मूल के ‘आप’ की ऐतिहासिक चुनावी जीत में हरियाणा का योगदान कम नहीं आंका जाना चाहिए। इस बार अरविंद केजरीवाल सहित 6 विधायक हरियाणा से संबंध रखते हैं। इनमें खुद अरविंद केजरीवाल भिवानी जिले के उपमंडल सिवानी के गांव खेड़ा से हैं। आदर्श नगर से विधायक बने पवन शर्मा हिसार जिले के गांव बांस से हैं तो हरि नगर से विजयी रही राजकुमारी ढिल्लों फतेहाबाद जिले के गांव नहला से हैं। दिल्ली कैंट से जीत कर आए वीरेन्द्र कादयान झज्जर जिले के गांव दुबलधन से हैं। दिल्ली के रिठाल विधानसभा क्षेत्र से विजयी रहे ‘आप’ प्रत्याशी महेन्द्र गोयल कैथल जिले के गांव सोगरी से संबंध रखते हैं तो मंगोलपुरी से जीत कर आने वाली राखी बिड़ला झज्जर जिले के गांव छारा से हैं।
अब राजनीति की जानकारी रखने वालों की नजरंे हरियाणा पर लग गई हैं कि दिल्ली जीत के बाद आम आदमी पार्टी हरियाणा में कितना जनाधार बढ़ा पाएगी? दिल्ली जीत के बाद प्रदेश प्रधान नवीन जयङ्क्षहद की जिम्मेदारी भी बढ़ गई है। अब उन पर पार्टी और कार्यकत्र्ताओं का दबाव बढ़ा है क्योंकि दिल्ली जीत को जयहिंद को हरियाणा में कैश करवाना है। दिल्ली जीत के बाद हरियाणा में पार्टी का कितना विस्तार हो पाता है, यह बड़ा सवाल अब नवीन जयहिंद के सामने आ खड़ा हुआ है क्योंकि ‘आप’ दिल्ली में सरकार में होते हुए भी तलहटी प्रदेश हरियाणा के विधानसभा और लोकसभा चुनाव में अपेक्षित प्रदर्शन नहीं कर पाई। हरियाणा के विधानसभा चुनाव में ‘आप’ को 0.48 प्रतिशत वोट ही प्राप्त हुए।
नवीन जयङ्क्षहद ने अपने को किया स्थापित पर संगठन को नहीं खड़ा कर पाए
हालांकि चुनाव से पहले यह भी चर्चा चली थी कि पार्टी के प्रदेश प्रधान नवीन जयङ्क्षहद को बदला जाएगा क्योंकि जयहिंद के नेतृत्व में पार्टी का जनाधार नहीं बढ़ पाया था। लेकिन ऐसा हुआ नहीं जबकि हरियाणा में पार्टी का जनाधार बढ़ाने के लिए खुद अरविंद केजरीवाल ने भी कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी थी। लेकिन नवीन जयहिंद का नेतृत्व लोगों को प्रभावित नहीं कर पाया। हरियाणा में नवीन जयङ्क्षहद ने राजनीति में अपने को स्थापित कर लिया पर वह संगठन को खड़ा नहीं कर पाए। इसी का परिणाम रहा कि पार्टी लोकसभा और विधानसभा चुनाव में प्रभावी प्रदर्शन नहीं कर पाई। अब ‘आप’ की दिल्ली में तीसरी धमाकेदार जीत के बाद फिर से हरियाणा के बारे में चर्चाएं चल निकली हैं कि पार्टी हरियाणा में इस जीत का कितना लाभ ले पाएगी? एक बार फिर से नवीन जयङ्क्षहद की परीक्षा का समय आ गया है।