अग्रवाल समाज की महिला विंग द्वारा शुरू की गई एक अनोखी पहल, महिलाओं के लिए लगाया गया रक्तदान शिविर

Edited By Isha, Updated: 12 Jun, 2024 06:45 PM

a unique initiative started by the women s wing of the agrawal samaj

आज तक आपने देश में जितने भी रक्तदान शिविर देखे होंगे उनमें आम तौर पर महिलाओं की बजाए पुरुष ही ज्यादा रक्तदान देते नजर आए होंगे लेकिन आज हम जिस विशेष रक्तदान शिविर की बात कर रहे है उस रक्तदान शिविर में तो रक्तदान देने के लिए महिला

जींद (अमनदीप पिलानिया): आज तक आपने देश में जितने भी रक्तदान शिविर देखे होंगे उनमें आम तौर पर महिलाओं की बजाए पुरुष ही ज्यादा रक्तदान देते नजर आए होंगे लेकिन आज हम जिस विशेष रक्तदान शिविर की बात कर रहे है उस रक्तदान शिविर में तो रक्तदान देने के लिए महिला ही महिलाएं नजर आई। जिस प्रकार राशन डिपों पर लाइन लगी नजर आती है उसी प्रकार इस रक्तदान शिविर में रक्तदान देने के लिए महिलाओं की लम्बी लम्बी लाईन लगी नजर आई।

हरियाणा के जींद में आज अखिल भारतीय अग्रवाल समाज जिला जीन्द की महिला विंग द्वारा प्रदेश अध्यक्ष डा. राजकुमार गोयल के सानिध्य में एक अनोखी पहल शुरू की गई। जीन्द में पहली बार महिलाओं के लिए विशेष तौर पर रक्तदान शिविर आयोजित किया गया। इस शिविर में रक्तदान देने के लिए महिलाओं की लम्बी लम्बी लाइन लगी नजर आई। जिस प्रकार राशन डिपो पर लम्बी लम्बी लाइन नजर आती है उसी प्रकार यहां खून देने के लिए महिलाओं की लम्बी लम्बी लाइन नजर आई। आधी से ज्यादा महिलाओं का तो जब डॉक्टरों ने खून चेक किया तो उनका खून कम मिला जिसकी वजह से व खून नही दे पाई लेकिन इसके बावजूद भी वे डॉक्टरों से बार बार रक्तदान के लिए अपील करती नजर आई। उनमें रक्तदान देने का जज्बा देखते ही बन रहा था। देश में शायद पहली बार देखने को मिला होगा कि जब कार्यक्रम महिलाओं द्वारा आयोजित किया गया हो और जिसमें महिलाओं ने ही रक्तदान के लिए बढ चढ भाग लिया हो और जिस कार्यक्रम में महिला ही मुख्य अतिथि हो। इतना ही नही रक्तदान लेने आई डॉक्टरों और स्टाफ की टीम में भी अधिकतर महिलाएं ही थी।

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इस कैम्प में 100 से ज्यादा यूनिट रक्त इकट्ठा किया गया। मुख्य अतिथि के तौर पर प्रमुख समाज सेविका डा. कामिनी आशरी ने शिरकत की। हालांकि इस रक्तदान शिविर में पुरुष भी रक्तदान देने के लिए पहुंचे लेकिन मुख्य तौर पर फोकस महिलाओं का ही नजर आया। अग्रवाल समाज के प्रदेश अध्यक्ष राजकुमार गोयल ने कहा कि पिछले लम्बे समय में से उनका प्रयास चल रहा था कि जीन्द में एक ऐसे कैम्प का आयोजन किया जाए जिसमें पुरूषों के अलावा महिलाएं ज्यादा से ज्यादा संख्या में रक्तदान शिविर में भाग लेने आए। इसके लिए अग्रवाल समाज की महिला विंग की संचालिका पुष्पा अग्रवाल, अध्यक्ष डेजी जैन, उपप्रधान मंजू सिंगला इत्यादि के साथ लम्बे समय तक शहर में जागरूकता अभियान चलाया गया। महिलाओं को रक्तदान के प्रति प्रेरित किया गया।

राजकुमार गोयल का कहना है कि जागरूकता अभियान के दौरान यह महसूस किया गया कि महिलाओं की आम तोर पर सोच यही है कि रक्त देने से उन्हें चक्कर आ जाऐगे। उनमें खून की कमी हो जाएगी अधिकतर महिलाओं में तो खून देने के नाम पर ही एक खौफ नजर आया। शुरू शुरू में तो यह लगा कि आखिर कैसे महिलाओं का यह रक्तदान शिविर आयोजित किया जाएगा लेकिन लगातार महिलाओं को जागरूक किया गया। उन्हे समझाया गया कि जो हम रक्त का दान करते है वह 24 घंटे में पूरा हो जाता है। इसके साथ साथ रक्तदान करने से शरीर में ब्लड प्रेशर सामान्य रहता है और मोटापे से बचाव रहता है। लगातार चलाए गए अभियान के बाद यह फैसला लिया गया कि चाहे महिलाएं कम आएं लेकिन महिलाओं को समर्पित एक रक्तदान शिविर जरूर आयोजित किया जाना चाहिए। आज का दिन रक्तदान के लिए निश्चित किया गया।

महिला विंग की संचालिका पुष्पा अग्रवाल, अध्यक्ष डेजी जैन, उपप्रधान मंजू सिंगला इत्यादि ने बताया कि आज जैसे ही रक्तदान शिविर शुरू हुआ। महिलाओं का आना शुरू हो गया। आज के इस रक्तदान शिविर में रक्त देने के लिए काफी संख्या में महिलाएं पहुंची। महिलाओं की लम्बी लम्बी लाइन नजर आई। ऐसा आम तौर पर कभी देखने को नहीं मिला।

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अखिल भारतीय अग्रवाल समाज महिला विंग जीन्द द्वारा आयोजित आज के इस रक्तदान शिविर में महिलाओं ने यह प्रस्ताव भी पारित किया कि यह तो दो बूंद खून है अगर उन्हे देश के लिए जान भी देनी पड़ी तो भी वे पीछे नहीं हटेगी। समाज की अग्रणी महिला पुष्पा अग्रवाल ने कहा कि महिलाएं आज किसी भी क्षेत्र में पुरूषों से कम नहीं है। पुरूषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चल रही है और आज रक्तदान शिविर में भी बढ चढ कर भाग लेकर महिलाओं ने यह दिखा दिया है कि वे अब खून देने से भी नहीं डरती।

राजकुमार भोला, मनजीत भोंसला, बीएस गर्ग इत्यादि ने बताया कि अग्रवाल समाज की महिला विंग द्वारा आयोजित आज का रक्तदान शिविर जैसे ही शुरू हुआ और महिलाओं के रक्त की जांच होने लगी तो काफी महिलाओं में हीमोग्लोबिन की मात्रा 9, 10, 11 तक मिली जो रक्तदान देने के पैमाने से कम था। आम तौर पर हीमोग्लोबिन की मात्रा 12 डेसिमीटर से ज्यादा होने पर ही रक्त लिया जाता है। रक्त कम होने की वजह से डॉक्टरों ने रक्त लेने से मना कर दिया लेकिन महिलाएं पूरी तरह से जागरूक होकर आई थी। ऐसे में कुछ महिलाएं तो यह कहती नजर आई या तो हमारा खून ले लो जी नही तो हम धरने पर बैठ जाऐंगें।

आज के इस रक्तदान शिविर में एक खास बात यह देखने को मिली कि रक्तदाताओं को अच्छा सम्मान दिया गया ताकि वे एक अच्छा संदेश लेकर जाएं और उनमें लगातार रक्तदान देने की भावना बनी रहे। अग्रवाल समाज के नेता रामधन जैन, सावर गर्ग और पवन बंसल इत्यादि ने बताया कि सबसे पहले रक्तदाताओं को छोटी छोटी कन्याओं के द्वारा तिलक किया गया। फिर उन्हे मालाएं पहनाई गई और रक्तदान के उपरांत उन्हे पटका पहनाकर और एक उपहार देकर विशेष सम्मान से नवाजा गया।

कार्यक्रम के प्रमुख आयोजक राजकुमार गोयल का कहना है कि आज से जींद की धरती से यह एक शुरुआत हुई है और उन्हे विश्वास है कि पूरे देश में यह गुज जाएगी और अब भविष्य में महिलाओं के रक्तदान शिविर आयोजित होने लगेंगें। उन्होंने कहा कि देश में ज्यादा से ज्यादा महिलाओं के रक्तदान शिविर लगे इसके लिए जरूरी है कि महिलाओं को ज्यादा से ज्यादा रक्तदान के प्रति प्रेरित किया जाए।

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