हरियाणा में 129 राजस्व अफसर होंगे चार्जशीट, विभाग में मचा हड़कंप

Edited By Manisha rana, Updated: 18 Jun, 2025 12:08 PM

129 revenue officers will be chargesheeted in haryana causing a stir

हरियाणा राजस्व विभाग के प्रस्ताव पर यदि सरकार ने मोहर लगाई तो अब 108 के बजाय 129 राजस्व अफसर यानी (नायब तहसीलदार, तहसीलदार और डी. आर.ओ.) पर चार्जशीट की कार्रवाई हो सकती है।

चंडीगढ़ (अविनाश पांडेय) : हरियाणा राजस्व विभाग के प्रस्ताव पर यदि सरकार ने मोहर लगाई तो अब 108 के बजाय 129 राजस्व अफसर यानी (नायब तहसीलदार, तहसीलदार और डी. आर.ओ.) पर चार्जशीट की कार्रवाई हो सकती है। विभाग के प्रस्ताव में नियम 7 ए की एन.ओ.सी. के बिना 50 से ज्यादा रजिस्ट्री करने वालों के खिलाफ हरियाणा सिविल सर्विसेज कोड के रूल 7 में चार्जशीट का मसौदा तैयार किया गया है, जबकि 50 से कम रजिस्ट्री करने बालों को रूल 8 के तहत दंड किया जाएगा।

वहीं नौकरी से सेवानिवृत्त हो चुके राजस्व अफसरों को सरकार राहत दे सकती है क्योंकि इसमें किसी तरह से वित्तीय अनियमितता का मामला नहीं है। खास बात यह है कि सरकार के पास राजस्व अफसरों के खिलाफ चार्जशीट की जो फाइल पहुंची है इसका प्रस्ताव तत्कालीन वित्तायुक्त एवं अतिरिक्त मुख्य सचिव राजेश खुल्लर ने तैयार किया था। अब मुख्यमंत्री कार्यालय में राजस्व महकमे की कमान बतौर मुख्य प्रधान सचिव राजेश खुल्लर के पास ही है। ऐसे में माना जा रहा है कि इन अफसरों के खिलाफ कार्रवाई होनी तय है। हालांकि चर्चा यह भी है कि एक साथ 129 राजस्व अफसरों के खिलाफ कार्रवाई की फाइल देख कर मंत्री और अफसर भी पशोपेश में है। फिलहाल मुख्यमंत्री नायब सैनी का भ्रष्टाचार के खिलाफ रुख आक्रामक है जिसमें सिंचाई विभाग के अफसरों के खिलाफ कार्रवाई के आदेश दिए जा चुके हैं।

गौरतलब है कि कोविड काल के दौरान प्रदेश के कई जिलों में हजारों की संख्या में नियम 7 ए की एन.ओ.सी. के बिना रजिस्ट्री की गई थी। उस समय राजस्व विभाग की कमान उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला के पास थी। विपक्ष ने रजिस्ट्री घोटाले का मुद्दा जोर-शोर से उठाया था। वहीं सरकार के आदेशों पर खुफिया विभाग ने भी रिपोर्ट तैयार की थी। खुफिया विभाग के इनपुट में कहा गया कि इन अधिकारियों ने गलत तरीके से रजिस्ट्रियां की हैं। खास तौर पर धारा ए को अनदेखा किया। इतना ही नहीं राजस्व अफसरों पर पैसे लेकर रजिस्ट्री करने की बात भी सामने आई। सरकार को इनके पास आय से अधिक प्रॉपर्टी होने का भी शक है। पटवारियों और दलालों की लिस्ट लीक होने के बाद सरकार ने इन भ्रष्ट अधिकारियों की लिस्ट को पूरी तरह से सीक्रेट रखा है। हालांकि उनकी तैनाती के जिलों के अधिकारियों को नाम भेज कर पहले ही रिपोर्ट तलब कर ली गई थी।

पहले भी नोटिस दिए, कार्रवाई नहीं हुई

नियम 7ए का उल्लंघन कर बिना एन.ओ.सी. के रजिस्ट्रियों का मामला पहले भी सरकार के पास आया था। उस समय तहसीलदारों, नायब तहसीलदारों और पटवारियों को नोटिस जारी कर उनसे स्पष्टीकरण मांगा गया था। मगर इसके बाद इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं हुई। तब ये माना गया कि दबाव और ऊंची पहुंच की वजह से सरकार को बैकफुट पर आना पड़ा था। दरअसल 2020 में हुए रजिस्ट्री घोटाले में सरकार ने विशेष जांच समिति (एस.आई.टी.) गठित की थी। उनकी रिपोर्ट में 34 तहसीलदारों और नायब तहसीलदारों के अलावा कानूनगो, लेखा परीक्षकों, रजिस्ट्री क्लकों और पटवारियों सहित 232 राजस्व अधिकारियों को भू-माफिया या रियल एस्टेट एजैंटों की सुविधा के लिए राजस्व रिकॉर्ड में हेरफेर करने के लिए दोषी ठहराया था।

रूल 7 और रूल 8 में यह है कार्रवाई का प्रावधान

हरियाणा सिविल सर्विसेज कोड के रूल 7 में किसी भी अफसर व कर्मचारी के खिलाफ पहले विभागीय जांच की जाती है। इसके लिए जांच अधिकारी नियुक्त किए जाते हैं। दोषी पाए जाने पर परमानेंट रिटायरमेंट, बर्खास्त, इंक्रीमेंट रोकना और उसके बाद डिमोशन की कार्रवाई की जाती है। वहीं रूल 8 में सिर्फ जुर्माना की कार्रवाई की जाती है। उससे पहले अफसर व कर्मचारी को अपना पक्ष रखने का मौका दिया जाता है।

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