Edited By vinod kumar, Updated: 12 May, 2020 03:04 PM

देश में काेराेना वायरस महामारी का प्रकाेप बढ़ता जा रहा है। इस महामारी की मार हर काेई झेल रहा है। ऑटाे रिक्शा चलाकर अपना परिवार काे पालने वाले भी इससे अछूते नहीं है। हरियाणा के राेहतक में ऑटो-रिक्शा चलाने के लिए अनुमति दी गई, लेकिन सवारियां न हाेने...
राेहतक (दीपक): रोहतक शहर में ऑटो चालकों व ई रिक्शा चलाने वाले लोगों को जिला प्रशासन द्वारा लॉकडाउन के दौरान छूट दी गई है,लेकिन सोशल डिस्टेंसिंग के चलते कुछ दिशा निर्देश भी जारी किए गए। जिसके तहत महज 2 सवारियों को लेकर यह लोग चल सकते हैं। हालांकि जिला प्रशासन के इस फैसले से ऑटो चालकों व ई रिक्शा चालकों ने कुछ राहत की सांस ली है। लेकिन उन्हें यह डर है कि परिवार का पेट पाले या अपनी गाड़ी की किस्त पूरी करें।
रोहतक शहर में लगभग 18000 के करीब ऑटो हैं जो लॉकडाउन से पहले सड़कों पर दौड़ते हुए नजर आते थे। अब भले ही जिला प्रशासन ने ऑटो चलाने की राहत रोहतक शहर में दे दी हो, लेकिन इक्का-दुक्का ऑटो ही सड़क पर दौड़ते हुए नजर आ रहे हैं। महज 2 सवारियां लेकर ही वे ऑटो चला सकते हैं।
वहीं लोक डाउन के चलते स्कूल कॉलेज बंद है और आम आदमी भी अपने घरों में ही बैठा हुआ है, जिसके चलते उन्हें सवारियां भी नहीं मिल रही। बहुत से ऑटो व ई रिक्शा चालकों ने या तो बैंक से लोन ले रखा है या फिर प्राइवेट फाइनेंसर से पैसा उठा रखा है।
ऑटो चालकों का कहना है कि जिला प्रशासन ने जो उन्हें राहत दी है उसके लिए वे धन्यवाद करते हैं, लेकिन अब उनके हालात अच्छे नहीं हैं। क्योंकि महज 2 ही सवारी लेकर वह चल सकते हैं। ऐसे में उनकी गाड़ी का तेल भी पूरा नहीं हो रहा। अब उनके सामने एक समस्या पैदा हो गई है कि वह अपने परिवार का पेट पाले या फिर अपनी गाड़ी की किस्त पूरी करें। इसलिए वह मांग करते हैं कि सरकार को उनके बारे में कुछ अलग से सोचना चाहिए।
वहीं रोहतक ऑटो यूनियन के प्रधान राजेंद्र दहिया ने बताया रोहतक शहर में भले ही ऑटो चलाने की परमिशन मिल गई हो, लेकिन हजारों ऑटो होने के बावजूद महज सौ के करीब ऑटो ही चल पा रहे हैं। क्योंकि केवल 2 सवारियां बैठाने का प्रावधान किया है। जिसके चलते उनका ऑटो का तेल भी पूरा नहीं हो पा रहा। ऐसे में वह अपने परिवार को कैसे पाल पाएंगे।
उन्होंने कहा कि सरकार ने अभी तक ऑटो चालकों के लिए कोई आर्थिक राहत नहीं दी है। दहिया ने जिला प्रशासन को एक ज्ञापन भी सौंपा था कि दिल्ली सरकार की तर्ज पर ऑटो चालकों को आर्थिक सहायता दी जाए, ताकि वह अपने बच्चों की फीस और परिवार का पालन पोषण कर सकें।