गर्मी-सर्दी की टेंशन: EV बैटरी पर कितना असर?

Edited By Gaurav Tiwari, Updated: 01 Jul, 2025 07:40 PM

heat and cold how much impact on ev battery

आजकल भारत की सड़कों पर इलेक्ट्रिक वाहन (EVs), खासकर दोपहिया और तिपहिया, की गिनती बढ़ती जा रही है। शहरों से लेकर छोटे कस्बों तक, बैटरी वाहन आम होते जा रहे है।

गुड़गांव, ब्यूरो : आजकल भारत की सड़कों पर इलेक्ट्रिक वाहन (EVs), खासकर दोपहिया और तिपहिया, की गिनती बढ़ती जा रही है। शहरों से लेकर छोटे कस्बों तक, बैटरी वाहन आम होते जा रहे है। लेकिन जैसे-जैसे लोग EV की तरफ बढ़ रहे हैं, एक सवाल बार-बार सामने आता है, भारत की तेज़ गर्मी और सर्दी का EV बैटरी पर क्या असर पड़ता है?

 

हालाँकि EV बैटरियां अलग-अलग तापमान में काम करने के लिए बनाई जाती हैं, लेकिन यह समझना जरूरी है कि मौसम कैसे उनकी क्षमता, रेंज, चार्जिंग पैटर्न और बैटरी लाइफ को प्रभावित करता है। भारत जैसे देश में, जहाँ कुछ जगह पारा 45°C पार कर जाता है और कहीं पारा 0°C तक गिरता है, वहाँ मौसम का असर तो लाज़मी है।

 

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    गर्मियों की टेंशन: हीट का झटका

    भारत की तपती गर्मी सिर्फ पसीना नहीं बहाती, बल्कि EV बैटरियों की थर्मल स्थिरता को भी चुनौती देती है।EV बैटरी में लंबे समय तक ज़्यादा गर्मी या सर्दी सहन करने के लिए स्मार्ट थर्मल मैनेजमेंट  सिस्टम होना ज़रूरी है क्योंकि - 

    1. थर्मल रनअवे का खतरा

    गर्मी में बैटरी के अंदर का तापमान इतना बढ़ सकता है कि वो थर्मल रनअवे नाम की स्थिति में आ जाए, यानी एक के बाद एक बैटरी सेल्स ओवरहीट हों और फटने जैसी स्थिति बन जाए। भीड़भाड़ वाले शहरों में जहाँ गर्मी पहले से ही ट्रैफिक में फँसी गाड़ियों की वजह से बढ़ जाती है, वहाँ ये रिस्क और बढ़ जाता है।

    2. बैटरी मैनेजमेंट सिस्टम (BMS) है मददगार

    आज के EVs में स्मार्ट बैटरी मैनेजमेंट सिस्टम होते हैं जो तापमान, वोल्टेज, करंट और चार्ज लेवल पर नज़र रखते हैं। ये न सिर्फ बैटरी को ओवरहीट होने से बचाते हैं, बल्कि ज़रूरत पड़ने पर चेतावनी देकर या खुद को बंद करके सवारी को भी सुरक्षित रखते हैं।

    3. चार्जिंग में आती है दिक्कत

    गर्मी के समय, खासकर जब आप दोपहर में सीधी धूप में EV चार्ज कर रहे हों, बैटरी को बहुत ज़्यादा लोड झेलना पड़ता है। इससे चार्जिंग स्लो हो सकती है और बैटरी पर स्ट्रेस पड़ता है। ऐसे में स्मार्ट चार्जिंग सिस्टम्स और वाटरप्रूफ (जलरोधक) बैटरी केस मदद करते हैं।

     ठंड का असर: धीमा चार्ज और कम रेंज

    भारत की सर्दियाँ यूरोप जैसी तो नहीं, लेकिन पंजाब, हिमाचल या दिल्ली जैसी जगहों में 0°C के पास तक तापमान चला जाता है। और EV बैटरी को इससे भी खास असर पड़ता है।

    1. कम रेंज और धीमी स्पीड

    ठंडी में बैटरी के अंदर का इंटरनल रेजिस्टेंस (आंतरिक प्रतिरोध) बढ़ जाता है, जिससे पावर देने की क्षमता घटती है। इसका मतलब है कम तेज़ी (ऐक्सीलरेशन) और कुछ किलोमीटर कम रेंज, खासकर पुरानी बैटरियों में।

    2. चार्जिंग में ज़्यादा समय

    सर्दियों में बैटरी स्लो हो सकती हैं, जिससे चार्जिंग टाइम बढ़ जाता है। हालांकि, कई भारतीय EVs में LFP बैटरी होती हैं जो तापमान के बदलाव को बेहतर हैंडल करती हैं। इसके अलावा स्मार्ट बैटरियों में ऐसे सिस्टम भी होते हैं जो ठंड में चार्जिंग को बेहतर बनाते हैं।

    3. बैटरी प्री-कंडीशनिंग

    कुछ EVs में प्री-कंडीशनिंग का ऑप्शन होता है, जिसमें बैटरी को पहले से ही गर्म करके चार्ज या यूज़ के लिए तैयार किया जाता है। यह फीचर अब तक ज़्यादातर चौपहिया में दिखता था, लेकिन अब कई नए दोपहिया और तिपहिया भी इस तकनीक के साथ आ रहे हैं।

    मानसून का मामला: छुपा हुआ खतरा

    जब लोग बैटरी पर मौसम का असर सोचते हैं, तो गर्मी और सर्दी का तो ज़िक्र होता है, लेकिन भारत के मानसून का असर अक्सर छूट जाता है। तेज़ बारिश और जलभराव EV बैटरी के लिए खतरनाक हो सकते हैं, अगर पानी बैटरी पैक में घुस गया तो शॉर्ट सर्किट हो सकता है। इसीलिए अच्छी EV बैटरियों का IP रेटिंग ज़्यादा होता है और उनके केस पूरी तरह से सील होते हैं ताकि पानी अंदर न घुसे। साथ ही, मॉनसून की नरमी बैटरी के कनेक्टर्स में जंग लगा सकती है। इसीलिए भारतीय मार्केट के लिए बनी बैटरियों में अक्सर जंग-रोधक कोटिंग और वेदरप्रूफ डिजाइन होते हैं।

    पावर कट्स और बिजली पर निर्भरता

    भारत के कई शहरों में ख़ासकर की छोटे शहरों में बिजली की सप्लाई अभी भी भरोसेमंद नहीं है। ऐसे में EV चार्जिंग एक बड़ी चुनौती बन जाती है। यहां सोलर से चलने वाले या ऑफ-ग्रिड चार्जिंग वाले बैटरी पैक काम आते हैं। साथ ही, फास्ट-चार्जिंग वाले EVs जो 3–4 घंटे में फुल चार्ज हो जाते हैं, ऐसे इलाकों के लिए बहुत ज़रूरी हैं।

    दोपहिया- और तिपहिया की असली ज़रूरतें

    भारत में EV ग्राहक की सबसे बड़ी संख्या दोपहिया और तिपहिया वालों की है, जैसे बैटरी रिक्श, डिलीवरी गाड़ियाँ या रोज़ाना चलने वाले स्कूटर। ये वाहन दिनभर धूप और बारिश का सामना करती हैं, बार-बार स्टार्ट-स्टॉप होती हैं। इसलिए इन्हें ऐसी लिथियम बैटरी चाहिए जो ज़्यादा चलने वाली हों, भारत की ज़रूरतों के हिसाब से बनी हों और आसान डिज़ाइन में आती हों ताकि उन्हें बदलना या ठीक करना आसान हो।

     

    सम्रथ सिंह कोचर, सीईओ ट्रॉनटेक ने बताया जैसे-जैसे भारत EV की तरफ तेज़ी से बढ़ रहा है, यह जानना ज़रूरी है कि मौसम का बैटरी पर क्या असर होता है। इससे न सिर्फ वाहन की लाइफ बढ़ती है, बल्कि उपयोगकर्ता (यूजर) का अनुभव और सेफ्टी भी बेहतर होती है। थोड़ी सी देखभाल और सही तकनीक के साथ, आपका EV हर मौसम में मज़बूती से दौड़ सकता है, चाहे धूप हो, ठंड हो या बारिश। अच्छी बात ये है कि भारत की बैटरी टेक्नोलॉजी या तकनीक भी तेज़ी से आगे बढ़ रही है। Trontek बैटरी जैसी भारतीय कंपनियाँ ऐसी बैटरीज मार्केट में  का रही हैं जो गर्मी, सर्दी और बारिश, हर मौसम में टिकें, स्मार्ट तरीके से काम करें और लंबे समय तक साथ निभाएं।

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