Edited By Gaurav Tiwari, Updated: 24 Jun, 2025 05:55 PM

गुरुग्राम की लगातार बढ़ती आबादी और तेजी से हो रहे शहरी विकास के बीच जलापूर्ति को लेकर प्रशासन की उदासीनता अब बड़े संकट का रूप ले सकती है।
गुड़गांव ब्यूरो : गुरुग्राम की लगातार बढ़ती आबादी और तेजी से हो रहे शहरी विकास के बीच जलापूर्ति को लेकर प्रशासन की उदासीनता अब बड़े संकट का रूप ले सकती है। आईआईटी रुड़की की हाल ही में आई सर्वे रिपोर्ट में बड़ा खुलासा हुआ है कि अगले पांच सालों में गुरुग्राम में पानी की मांग दोगुनी हो जाएगी, लेकिन प्रशासन इस दिशा में गंभीर प्रयास नहीं कर रहा है।
शहर में द्वारका एक्सप्रेस वे, गुरुग्राम-सोहना हाईवे, मानेसर, एसपीआर और गोल्फ कोर्स एक्सटेंशन रोड जैसे क्षेत्रों में हजारों फ्लैट्स और बड़ी-बड़ी हाउसिंग सोसायटीज तेजी से बन रही हैं। इन क्षेत्रों में भारी निवेश हो रहा है और आने वाले वर्षों में लाखों लोग बसने की तैयारी में हैं। बावजूद इसके, जलापूर्ति का कोई स्थायी समाधान अभी तक सामने नहीं आया है। आईआईटी, रुड़की की रिपोर्ट में यह भी स्पष्ट किया गया है कि गुरुग्राम का मौजूदा जलापूर्ति तंत्र पहले से ही अपनी क्षमता से अधिक दबाव में काम कर रहा है।
यदि समय रहते नई जल योजनाएं नहीं बनाई गईं तो गुरुग्राम में गंभीर जल संकट खड़ा हो सकता है। विशेषज्ञों का कहना है कि गुरुग्राम की अधिकतर जलापूर्ति का स्रोत यमुना नदी और भूमिगत जल है। भूमिगत जल का स्तर हर साल तेजी से गिर रहा है, लेकिन प्रशासन अभी भी वैकल्पिक जल स्रोत विकसित करने या जल संरक्षण की दिशा में ठोस कदम नहीं उठा रहा। स्थानीय निवासी और पर्यावरण कार्यकर्ता लगातार चेतावनी दे रहे हैं कि यदि पानी की मौजूदा आपूर्ति व्यवस्था में सुधार नहीं किया गया तो भविष्य में गुरुग्राम वासियों को जल संकट का सामना करना पड़ेगा।
वहीं शहर में प्रशासन और नगर निगम द्वारा जल संरक्षण के लिए व्यापक स्तर पर जागरूकता अभियान भी नहीं चलाए जा रहे हैं। गुरुग्राम जैसे तेजी से विकसित होते शहर के लिए जल प्रबंधन एक बड़ी चुनौती बनता जा रहा है। अब बड़ा सवाल यह है कि क्या प्रशासन समय रहते इस गंभीर समस्या की ओर ध्यान देगा या फिर अगले कुछ वर्षों में गुरुग्राम पानी के लिए तरसता नजर आएगा।