Edited By Gaurav Tiwari, Updated: 30 Sep, 2024 08:12 PM
गोवा में भूमि घोटाला का मामला सामने आया है. विपक्ष ने इसको लेकर मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत को कठघेरे में खड़ा किया है. विपक्ष का आरोप है कि सीएम सावंत की मौजूदगी में 1.2 करोड़ वर्ग मीटर जंगल को अवैध रूप से रियल एस्टेट कंपनियों के नाम पर कर दिया गया है.
गुड़गांव ब्यूरो : गोवा में भूमि घोटाला का मामला सामने आया है. विपक्ष ने इसको लेकर मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत को कठघेरे में खड़ा किया है. विपक्ष का आरोप है कि सीएम सावंत की मौजूदगी में 1.2 करोड़ वर्ग मीटर जंगल को अवैध रूप से रियल एस्टेट कंपनियों के नाम पर कर दिया गया है. इस घोटाले ने गोवा की राजनीति को हिला कर रख दिया है. इस कथित घोटाले के सामने आने के बाद राज्य में सियासी भूचाल मचा हुआ है. विपक्ष ने इसको लेकर मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत की भूमिका पर सवाल खड़े हो रहे हैं. विपक्ष का सरकार पर आरोप है कि 1.2 करोड़ वर्ग मीटर भूमि का यह मामला दिखाता है कि कैसे सरकारी अधिकारियों और बड़े डेवलपर्स ने मिलकर राज्य की प्राकृतिक संपत्तियों का दुरुपयोग किया है. गोवा कांग्रेस के पूर्व प्रदेशाध्यक्ष गिरिश चोडणकर ने मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत पर निशाना साधा है. उन्होंने कहा कि गोवा में करीब 60 हजार करोड़ रुपये का स्कैम उनके शासनकाल में हुआ है. यह घोटाला तब हुआ जब वह वन मंत्री थे जुआरी एग्रो कंपनी को औने पौने दाम में सरकार ने बेशकीमती जमीन बेच दी है. यह जमीन गोवा की नाक कही जाती थी, पर्यावरण की दृष्टिकोण से यह जमीन गोवा के लिए सबसे उपयोगी है और सरकार ने सस्ती दर पर जंगल की जमीन को रियल एस्टेट कंपनियों के हाथों बेच दी है. कांग्रेस नेता गिरिश ने कहा कि विपक्ष इस मामले पर चुप नहीं बैठेगा. सरकार को इस पर अपनी सफाई देनी पड़ेगी.
कांग्रेस ने आरोप लगाया कि जिस समय इस जमीन का सौदा हुआ था उस वक्त क्लैफासियो डियास MPDA के अध्यक्ष थे, ने राजनीतिक संबंध रखने वाले डेवलपर्स को बढ़े हुए एफएसआई (फ्लोर स्पेस इंडेक्स) आवंटित करने में भी कथित रूप से भूमिका निभाई थी. इससे यह न केवल भूमि उपयोग के निर्णय लेने की प्रक्रिया को दर्शाता है, बल्कि यह भी दिखाता है कि कैसे विकास के नाम पर पर्यावरण की अनदेखी की गई है.
गोवा फॉरवर्ड पार्टी के नेता सरदेसाई ने विधानसभा में उठाया था मुद्दा
गोवा में जमीन घोटाला साल 2021 में शुरू हुआ, जब गोवा के तत्कालीन वन मंत्री और मौजूदा मुख्यमंत्री डॉ. प्रमोद सावंत के कार्यकाल के दौरान 383 हेक्टेयर भूमि, जो पहले निजी जंगल के रूप में संरक्षित थी, को विकास के नाम कब्जा कर लिया गया है. इसके साथ ही यह बात भी सामने आई कि ज़ुआरी एग्रो प्राइवेट लिमिटेड जैसी बड़ी कंपनियों को फायदा पहुंचाने के लिए करीब 50,000 करोड़ रुपये का घोटाला हुआ. यह सब तब और उजागर हुआ जब गोवा फॉरवर्ड पार्टी के नेता विजय सरदेसाई ने इस मसले को विधानसभा सत्र में उठाया. इस घोटाले का सबसे चिंताजनक पहलू यह है कि केवल तीन महीने के भीतर इतनी बड़ी मात्रा में जंगल की जमीन को फिर से वर्गीकृत किया गया. यह दिखाता है कि विकास के नाम पर पर्यावरण को कैसे नजरअंदाज किया जा रहा है.
कैसे हुई घोटाले की शुरुआत
भूटानी इंफ्रा नामक कंपनी इस घोटाले के केंद्र में है. इसके तहत, 1.2 करोड़ वर्ग मीटर जंगल की जमीन थी उसे हटाकर रियल एस्टेट कंपनी को आवासीय और व्यावसायिक के लिए दे दिया गया. यह काम बहुत तेजी से और गोपनीयता के साथ किया गया, जिससे आम जनता को पता ही नहीं चला कि उनके राज्य की प्राकृतिक धरोहर को किस तरह से बर्बाद किया जा रहा है. इस खेल की शुरुआत 2019 में तत्कालीन वन मंत्री प्रमोद सावंत के कार्यकाल में हुआ था. 2002 में कुछ भूमि को कृषि से आवासीय क्षेत्र में बदलने की मंजूरी दे दी गई और 2007 में विकास की अनुमति भी दी गई. उनके कार्यकाल में इस जमीन को निजी जंगल की सूची से हटा दिया गया, जिससे बड़े डेवलपर्स के हाथों कौड़ियों के भाव में बेच दिया गया. इसके अलावा, मोरमुगाओ प्लानिंग और डेवलपमेंट अथॉरिटी (MPDA) के तत्कालीन अध्यक्ष क्लाफासियो डायस पर भी आरोप लगे हैं कि उन्होंने डेवलपर्स को अनुचित लाभ पहुंचाने के लिए नियमों का उल्लंघन किया.
पर्यावरण के साथ खिलवाड़
विपक्ष का आरोप है कि जंगल की जमीन को विकास के नाम पर बेचना पर्यावरण के साथ सीधा सीधा खिलवाड़ है. विपक्ष का आरोप है कि सरकार ने जंगल की जमीन कौड़ियों के भाव में बेचकर ना सिर्फ आर्थिक घोटाला को अंजाम दिया है, बल्कि यह गोवा के पर्यावरण के लिए भी एक बड़ा खतरा है. 383 हेक्टेयर भूमि, जो पहले जंगल के रूप में संरक्षित थी, अब इस जमीन पर इमारतों और अन्य विकास परियोजनाओं को तैयार किया जाएगा. इसका सीधा असर गोवा की हरियाली, बायोडायवर्सिटी और जलवायु पर पड़ेगा विपक्ष के मुताबिक, पर्यावरणविदों का मानना है कि अगर इसे रोका नहीं गया, तो आने वाले समय में गोवा में प्राकृतिक आपदाएं होने से कोई रोक नहीं सकता. उनके मुताबिक, जिस तरह उत्तराखंड और हिमाचल और केरल में आए दिन प्राकृतिक आपदाएं हो रही हैं उसी तरह गोवा भी आने वाले समय में इन चुनौतियों का सामना करेगा. गोवा का यह भूमि घोटाला राज्य की हरियाली और पर्यावरण के अस्तित्व पर सवाल खड़ा करता है. विपक्ष का आरोप है कि अगर समय रहते सरकार ने इसे नहीं रोका तो सड़क से लेकर सदन तक विरोध प्रदर्शन शुरू होगा.