Edited By Updated: 25 Mar, 2016 01:54 PM

एक सड़क हादसे ने न जाने कितने लोगों की जिंदगी को तबाह कर दिया। कई तो इन हादसों से टूटकर बिखर गए और गुमनामी जिंदगी में कहीं खो गए लेकिन कई ऐसे भी होते हैं जो इन हादसों से सबक लेते हैं कुछ अलग करने की ठानते हैं।
फतेहाबाद: एक सड़क हादसे ने न जाने कितने लोगों की जिंदगी को तबाह कर दिया। कई तो इन हादसों से टूटकर बिखर गए और गुमनामी जिंदगी में कहीं खो गए लेकिन कई ऐसे भी होते हैं जो इन हादसों से सबक लेते हैं कुछ अलग करने की ठानते हैं। आज एक ऐसी ही जिंदादिल लड़की के बारे में आपको बताने जा रहे हैं जिसकी जिंदगी एक सड़क हादसे ने पूरी तरह बदल दी। फतेहाबाद के गांव मेहूवाला की रहने वाली कमलेश के पिता सज्जन सिंह 2010 की एक शाम बाइक पर घर से निकले तो जरूर लेकिन वापिस लौट कर नहीं आए।
सज्जन सिंह रास्ते में एक गाड़ी की चपेट में आकर गंभीर रुप से घायल हो गए। काफी समय तक ऐसे ही सड़क पर तड़पते रहे लेकिन कोई भी उनकी मदद के लिए आगे नहीं आया और न ही एंबुलेंस का कोई इंतजाम हुआ। स्थानीय लोगों किसी तरह गाड़ी का इंतजाम करवा कर उन्हें अस्पताल पहुंचाया लेकिन तब तक वो जिंदगी को अलविदा कह चुके थे। पिता की इस तरह हुई मौत ने कमलेश की सोच को बदल दिया और उसने एंबुलेंस ड्राइवर बनने की ठान ली।
कमलेश ने 42 दिनों में हिसार रोडवेज से हैवी व्हीकल की ट्रेनिंग ली। कमलेस ऐसी अकेली लड़की थी जो ग्रुप में ट्रेनिंग ले रही थी। यहीं नहीं उसने दूसरों को भी इसकी ट्रेनिंग दी और 6 महीने बाद ही सिविल अस्पताल में एंबुलेंस की ड्राइवर बन गई। कमलेश ने बताया कि उसने ड्यूटी करते हुए कभी दिन रात नहीं देखा।
पी.जी.आई. रोहतक में मरीजों को छोड़कर अकेली आती थी और कभी मन में नहीं आता था कि मैं लड़की हूं। बस यहीं विचार आता था कि शायद किसी की जिंदगी बच जाए। कमलेश ने बताया कि इस काम में सबसोे बड़ा स्पोर्ट उसकी मां का था। मां ने कभी भी इश काम के लिए रोका नहीं। कमलेश ने कहा कि कितने ही लोग समय पर इलाज न मिलने के कारण दम तोड़ देते हैं। बेहतर एंबुलेंस सर्विस देकर कितनी ही जिंदगियां बचाई जा सकती है।