बडख़ल काे पुर्नजीवित करने के लिए हुआ मंथन

Edited By Updated: 14 Sep, 2015 08:28 PM

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बडख़ल झील केवल घूमने का स्थान नहीं, बल्कि यहां के पुराने लोगों की यादों का स्थान है।

फरीदाबाद,  (सूरजमल) : बडख़ल झील केवल घूमने का स्थान नहीं, बल्कि यहां के पुराने लोगों की यादों का स्थान है। आज भी जब बडख़ल झील की बात आती है, तो फरीदाबादवासी भावुक हो उठते हैं और उनके मन में केवल एक ही इच्छा जाग उठती है कि बडख़ल झील को क्या पुर्नजीवित नहीं किया जा सकता है। यह कहना था मुख्य संसदीय सचिव व बडख़ल से विधायक सीमा त्रिखा का। 
सोमवार सुबह मानव रचना इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी में बडख़ल झील के पुर्नद्धार के लिए बैठक का आयोजन किया गया। फरीदाबाद प्रशासन ने बडख़ल झील के पुर्नद्धार को अपनी प्राथमिकता बताते हुए इस बैठक में भूजल पर काम करने वाली अलग-अलग सामाजिक संस्थाओं, अन्य विभागों व आम जन को आमंत्रित कर उनके सुझाव लिए। इस बैठक में ग्राउंड वॉटर बोर्ड के पूर्व चेयरमैन व ग्लोबल हाईड्रोलॉजिकल सोल्यूशन के प्रेसिडेंट डॉ. डीके चड्डा को मानव रचना इंटरनैशनल यूनिवर्सिटी के सहयोग से प्री फीसिब्लीटि रिपोर्ट तैयार करने को कहा गया। बैठक में फरीदाबाद के डिप्टी कमिश्नर अमित अग्रवाल, मुख्य संसदीय सचिव व बडख़ल विधायक सीमा त्रिखा, फरीदाबाद विधायक विपुल गोयल, मानव रचना शैक्षणिक संस्थान के प्रेसिडेंट डॉ. प्रशांत भल्ला, मानव रचना शैक्षणिक संस्थान के वाइस प्रेसिडेंट डॉ. अमित भल्ला, जीएसएस के अधिकारी व अन्य संस्थाओं से साइंटिस्ट मौजूद रहे। 
डिप्टी कमिश्नर अमित अग्रवाल ने प्रोजेक्ट के बारे में कहा कि बडख़ल झील को दोबारा से जीवित करना जिला प्रशासन की प्राथमिकता है। इसके लिए आज अलग अलग संस्थाओं के साथ मंथन कर सुझाव लिए गए हैं कि कैसे इस झील को दोबारा से जीवित किया जा सकता है।  इन सुझावों के आधार पर डॉ. डीके चड्डा एक प्री फीसिब्लीटि रिपोर्ट तैयार करेंगे। उन्होंने बताया कि इस बैठक में वेस्ट वॉटर से झील को भरने, नदियों से भरने व कई अन्य सुझाव दिए गए हैं, लेकिन यह सुझाव व्यावहारिक रूप से संभव हैं या नहीं, इसका पता जीएचएस लगाएगी। 
 डॉ. डीके चड्डा ने बताया कि सुझाव तो बहुत आते हैं, लेकिन जरूरी यह होता है कि क्या वह सुझाव व्यावहारिक रूप से संभव हैं। जीएचएस हर सुझाव व झील को भरे जाने के सभी तरीकों की डिटेल में स्टडी करके फिसिब्लीटि रिपोर्ट तैयार करेगी। उन्होंने बताया कि पानी के कई तकनीकी पहलु होते हैं जिसको आम जन नहीं जानते। इसलिए तकनीकि काम एक ऐसी रिपोर्ट तैयार की जाएगी, जिससे बडख़ल झील को दोबारा से भरा जा सके। मानव रचना शैक्षणिक संस्थान के प्रेसिडेंट डॉ. प्रशांत भल्ला का कहना है कि प्री फिसिब्लिटी स्टडी का उद्देश्य ऐसी संभावनाओं को खोजना है जिससे बडख़ल झील को पुर्नजीवित किया जा सकता है। 
 

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