Edited By Yakeen Kumar, Updated: 29 Dec, 2025 07:23 PM

हमारे देश की सबसे प्राचीन और पर्यावरण संरक्षण से जुड़ी महत्वपूर्ण पर्वतमाला अरावली को लेकर सुप्रीम कोर्ट के नए पर पूर्व उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने कहा
चंडीगढ़ : हमारे देश की सबसे प्राचीन और पर्यावरण संरक्षण से जुड़ी महत्वपूर्ण पर्वतमाला अरावली को लेकर सुप्रीम कोर्ट के नए फैसले का हरियाणा के पूर्व उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने स्वागत किया हैं। दुष्यंत चौटाला ने कहा कि अरावली की परिभाषा को लेकर 20 नवंबर के विशेषज्ञ समिति के फैसले पर रोक लगाकर सुप्रीम कोर्ट ने जनभावनाओं के अनुरूप कदम उठाया है, जो कि स्वागत योग्य है। उन्होंने कहा कि केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय, एफएसआई, राज्यों के वन विभाग, भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण और सुप्रीम के प्रतिनिधियों की बनाई गई समिति की सिफारिशें अरावली पर्वतमाला के हित में बिल्कुल नहीं थी और उसका हम सबने मिलकर विरोध किया था।
दुष्यंत चौटाला ने उन सभी पर्यावरण प्रेमियों का आभार व्यक्त किया, जिन्होंने समय रहते हुए इस मामले को प्रमुखता से उठाया था। पूर्व डिप्टी सीएम ने कहा कि अरावली पर्यावरण बचाने के अलावा जीव रक्षा, पानी, हवा, खेती, स्वास्थ्य और आने वाली पीढ़ियों के सुरक्षित भविष्य से जुड़ा हुआ गंभीर विषय है। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने इस गंभीरता को समझा है और भाजपा सरकार को भी अरावली पर्वतमाला की रक्षा के लिए ठोस कदम उठाने चाहिए। दुष्यंत चौटाला ने कहा कि अरावली में हो रही अवैध माइनिंग के कारण न केवल पहाड़ियों को भारी नुकसान पहुंच रहा है, बल्कि हमारा आने वाला कल भी खतरे में है।
पूर्व उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने कहा कि अरावली की यह प्राकृतिक ढाल कमजोर न हो, इसके लिए सरकार को तुरंत अवैध खनन को रोकना चाहिए और ठोस कार्रवाई करनी चाहिए। उन्होंने चिंता जाहिर करते हुए कहा कि करीब 870 मिलियन वर्ष पुरानी अरावली पर्वतमाला की सुंदरता अवैध खनन के कारण दिनों-दिन घटी है। इन पहाड़ियों में हरियाली, झरने, प्राकृतिक तालाब, वन्य जीव विलुप्त होते जा रहे है। यहां तक कि खनन ने अनेक प्राकृतिक जल स्रोतों को सुखा दिया है। दुष्यंत चौटाला ने कहा कि अरावली क्षेत्र में खनन के लिए की जाने वाले माइनिंग ब्लास्ट के कारण जनजीवन खासा प्रभावित हो रहा है। उन्होंने कहा कि जहां मकानों में दरार पड़ने के कारण स्थानीय लोगों को आर्थिक नुकसान हो रहा है तो वहीं धमाके के दौरान उठ रही धूल के कारण लोगों को सांस संबंधित परेशानियों का भी सामना करना पड़ा रहा है।
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