Edited By Punjab Kesari, Updated: 23 Nov, 2017 04:26 PM
जिले की सड़कों से प्रतिदिन हजारों की संख्या में गुजरने वाले ओवरलोडिड डम्परों की तेज रफ्तार लगातार हादसों का सबब बनती जा रही है। ओवरलोड के खिलाफ बनाए गए कानून भी प्रशासनिक उदासीनता के चलते कारगर सिद्ध नहीं हो पा रहे हैं। इसके अलावा छोटे वाहन चालकों...
चरखी दादरी(राजेश):जिले की सड़कों से प्रतिदिन हजारों की संख्या में गुजरने वाले ओवरलोडिड डम्परों की तेज रफ्तार लगातार हादसों का सबब बनती जा रही है। ओवरलोड के खिलाफ बनाए गए कानून भी प्रशासनिक उदासीनता के चलते कारगर सिद्ध नहीं हो पा रहे हैं। इसके अलावा छोटे वाहन चालकों द्वारा प्रत्येक वाहन को ओवरटेक करने का प्रयास भी जानलेवा साबित हो रहा है। वाहन चालकों की छोटी सी चूक प्रत्येक वर्ष दर्जनों लोगों को मौत के घाट उतार रही है वहीं, सैंकड़ों लोगों को अपंग बनाकर छोड़ देती है। जिले में अभी तक किसी ने इस दिशा में कोई कदम उठाने की शुरूआत तक नहीं की है।
पुलिस भी केवल मात्र बिना मोटरसाइकिलों के चालान काटकर अपने कार्य से इतिश्री कर लेती है। नवम्बर से फरवरी माह तक जितने हादसे होते हैं उससे कहीं ज्यादा हादसे दिसम्बर से फरवरी माह के बीच हो जाते हैं। इन दिनों में धुंध ज्यादा होने के कारण दृश्यता शून्य हो जाती है। कई बार तो हालात यह होते हैं कि चंद मीटर आगे चल रहा वाहन भी दिखाई नहीं देता। ऐसे में वाहन की तेज रफ्तार, ओवरटेक करने का प्रयास व खतरनाक मोड़ हादसों को बढ़ावा देते हैं।
दिल्ली, भिवानी रोड सबसे खतरनाक
दादरी जिले का दिल्ली व भिवानी रोड हादसों के मामले में नंबर वन है। इंदिरा कैनाल नहर से लेकर पैंतावास गांव तक लगातार भीषण हादसे होते रहते है। जिनमें एक साथ कई लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी है। अब कुछ समय बाद यह मार्ग नैशनल हाईवे भी बनने वाला है। ऐसे में यहां हादसे बढऩे की आशंका और ज्यादा है। इसके अलावा दिल्ली रोड स्थित समसपुर मोड़ से गांव इमलोटा तक का मार्ग सबसे खतरनाक है। यहां 1 ऐसे खतरनाक मोड़ है जहां लगातार भीषण हादसे होते रहते है। यहां पर संबंधित विभाग द्वारा कोई संकेतक बोर्ड भी नहीं लगाए गए है।
ब्रेकर पर नहीं सफेद पट्टी
ग्रामीण मार्गों पर छोटे-मोटे हादसे होने के तुरंत बाद ग्रामीण उत्तेजित होकर जाम लगा देते है। जिसके बाद बेबस प्रशासन तुरंत प्रभाव से वहां 2 से 3 स्पीड ब्रेकर बना देता है लेकिन ये ब्रेकर पूरी तरह नियमों को ताक पर रखकर बनाए जाते हैं। नियमानुसार ब्रेकर को ऊंचा बनाने के बजाय चौड़ा बनाया जाता है तथा उस पर सफेद पट्टी बनाई जाती है ताकि वाहन चालक को दूर से ही ब्रेकर का पता चल सके लेकिन जिले में शायद ही किसी ब्रेकर पर सफेद पट्टी बनाई गई है। तेज रफ्तार वाहन चालक को एकाएक ब्रेकर का पता लगने पर वह जोरदार तरीके से ब्रेक लगाता है लेकिन ऐसे में या तो उसके पीछे चल रहा वाहन टकरा जाता है या फिर उक्त वाहन की सड़क पर पलट जाता है।