नहीं रहे कमेरों के लिए लड़ाई लडऩे वाले दिग्गज, जानें कौन थे शमशेर सिंह सुरजेवाला

Edited By Shivam, Updated: 21 Jan, 2020 01:21 AM

giants who fought for farmers know who was shamsher singh surjewala

लंबे समय तक अखिल भारतीय किसान खेत मजदूर कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष रहे शमशेर सिंह सुरजेवाला नहीं रहे। करीब चार माह से वे मौन अवस्था में थे। सुरजेवाला मूलत: नरवाना खंड के गांव सुरजाखेड़ा के रहने वाले थे। निधन के समय उनके इकलौते पुत्र कांग्रेस के...

नरवाना (जसमेर मलिक): लंबे समय तक अखिल भारतीय किसान खेत मजदूर कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष रहे शमशेर सिंह सुरजेवाला नहीं रहे। करीब चार माह से वे मौन अवस्था में थे। सुरजेवाला मूलत: नरवाना खंड के गांव सुरजाखेड़ा के रहने वाले थे। निधन के समय उनके इकलौते पुत्र कांग्रेस के राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी रणदीप सिंह सुरजेवाला साथ थे, वह पिछले कई दिनों से बीमार चल रहे थे। उन्होंने सोमवार सुबह दिल्ली के एम्स में अंतिम सांस ली। सोमवार शाम उनके शव को नरवाना लाया गया उसके बाद दाह संस्कार किया गया, दाह संस्कार में हजारों लोगों ने भाग लिया। 

शमशेर सिंह का जीवन परिचय
शमशेर सुरजेवाला का जन्म नरवाना हलके के गांव सुरजाखेड़ा में 24 मार्च 1932 में हुआ था। शमशेरसिंह छह भाईयों में सबसे बड़े थे। चौधरी शमशेरसिंह सुरजेवाला चार बार नरवाना विधानसभा से और एक बार कैथल विधान सभा से विधायक रहे। चौधरी भजनलाल और बंसीलाल की सरकारों में वरिष्ठ मंत्री रहे। शमशेर सिंह सुरजेवाला ने हरियाणा बनने के बाद 1967 में हुए पहले चुनाव में नरवाना हलके से चुनाव लड़ा और जीतकर राव वीरेंद्रसिंह के मंत्री मंडल में मंत्री बने। दूसरी बार 1977 में वह जनता पार्टी की लहर में नरवाना से विधायक बने। फिर 1982 व 1991 में विजयी कर विधान सभा पहुंचे। इसके बाद कांग्रेस ने उन्हें राज्यसभा में भेजा। 2005 में वह एक बार फिर कैथल विधान सभा से विधायक बने।

कमेरे वर्ग के लिए लड़ी लड़ाई
सुरजेवाला ने ताउम्र किसानों व कमेरे वर्ग के लोगों के हित में लड़ाई लड़ी। जब भी कांग्रेस का ग्राफ गिरा उन्होंने लोगों के बीच में रहकर दोबारा से पार्टी की सरकार बनाने में अहम भूमिका निभाई। सुरजेवाला इस बात के उदाहरण रहे हैं कि राजनीति को विनम्रता, सौभ्यता, तहजीब और लियाकत के साथ भी संचालित किया जा सकता है।

जुबान के धनी रहे शमशेर
PunjabKesari, Haryana

शमशेर सिंह सुरजेवाला के बारे में राजनीतिक और सामाजिक गलियारों में एक बात मशहूर रही। उनके पास आने वाले लोगों के काम करवाने में वे हमेशा तत्पर रहते थे। जिस भी काम के लिए उन्होंने पहली बार में हामी भर दी, वह पूरा करवा कर ही दम लेते थे और जो काम नहीं हो सकता था, वह पहले ही स्पष्ट कर दिया करते थे। उनकी स्पष्टवादिता की चर्चा हमेशा रही। जिस वक्त देश में किसानों की आत्महत्याओं का सिलसिला बढ़ चला था, उन्होंने सत्ता में आने पर किसानों के 74000 करोड़ रुपये माफ करवाने के फैसले में अहम भूमिका निभाई थी।

समोसे और परांठे के शौकीन
शमशेर सिंह सुरजेवाला को खाने और खिलाने का बड़ा शौक था। वे 80 वर्ष की आयु में भी समोसे और परांठे खाना नहीं छोड़ते थे। समोसे खाने के वे बहाने ढूंढ लिया करते थे और अक्सर अपने साथियों और मीडिया कर्मियों को नाश्ते व समोसा खाने के लिए निमंत्रण देकर बुलाया करते थे। 79 वर्ष पूरे होने पर होने पर उन्होंने कैथल के जाट ग्राउंड में एक गौरव रैली रखी थी। इसमें उन्होंने अपने समर्थकों को भावुक संबोधन देते हुए कहा था कि यह उनकी ज्यूण जग है। लोगों के मरने के बाद यह आयोजन होता है, लेकिन वे जीते जी अपने साथियों के साथ यह आयोजन कर रहे हैं।

शहर में छाए शोक के बादल
शमशेर सिंह सुरजेवाला के निधन के बाद उनके निवास स्थान सुरजेवाला भवन पर हजारों लोग जमा थे। पूरे प्रदेश के राजनीतिक व सामाजिक लोग उनके निवास स्थान पर श्रद्धाजंलि देने पहुंचे थे। जिसके लिए पुलिस प्रशासन द्वारा पुख्ता प्रबंध किए गए। शहर में लगभग सभी मार्किटें बंद रहीं। उनके निधन के बाद उन्हे श्रद्धाजंलि देने के लिए पूर्व सीएम भूपेन्द्र सिंह हुड्डा, कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष कुमारी सैलजा, बीरेन्द्र सिंह, विधायक प्रेम लेता, जय प्रकाश, रामपाल माजरा, अशोक आरोड़ा, अफताफ अहमद, प्रलाहद गिल्ला खेड़ा, सुनील जाखड़, विद्या रानी दनौदा, पिरथी नम्बरदार सहित कई सामाजिक व राजनीतिक दलों के नेता व कार्यकर्ता मौजूद रहे। 

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