बराड़ा में अब नहीं जलेगा विश्व का सबसे ऊंचा 210 फीट का रावण, जानिए क्या है बड़ा कारण

Edited By Gourav Chouhan, Updated: 02 Oct, 2022 09:56 PM

world s tallest 210 feet ravana will no longer be seen in barara of ambala

मैदान की कमी होने के चलते अब रावण का आकार छोटा घटाकर 125 फ़ीट कर दिया गया है। बराड़ा रामलीला के संस्थापक तेजिंदर राणा व आम जनता ने सरकार से गुहार लगाई है कि इस परंपरा को जारी रखने के लिए मैदान का प्रबंध किया जाए।

चंडीगढ़(चंद्रशेखर धरणी): अंबाला के बराड़ा का नाम विश्व में सबसे ऊंचे रावण के नाम से प्रसिद्ध है।  अब ये परम्परा खत्म होने की कगार पर है, जिसका कारण बराड़ा में मैदान न होना है। पिछले कई सालों से बराड़ा में विश्व का सबसे बड़ा रावण बनाया जाता रहा है। बराड़ा रामलीला क्लब के संस्थापक तेजिंदर राणा ने बराड़ा का नाम पुरे विश्व में प्रसिद्ध किया है। इसके लिए उन्होंने जमीन तक बेच दी थीष बराड़ा के रावण का नाम एक बार गिनीज बुक ऑफ़ रिकॉर्ड में दर्ज हो चुका है। इसी के साथ  पांच बार लिम्का बुक ऑफ़ रिकॉर्ड और इंडिया में भी कईं रिकॉर्ड बराड़ा के रावण के नाम दर्ज हैं। हर साल बराड़ा में 210 फ़ीट का रावण जलाया जाता है, लेकिन मैदान की कमी होने के चलते अब रावण का आकार छोटा घटाकर 125 फ़ीट कर दिया गया है। बराड़ा रामलीला के संस्थापक तेजिंदर राणा व आम जनता ने सरकार से गुहार लगाई है कि इस परंपरा को जारी रखने के लिए मैदान का प्रबंध किया जाए। वहीँ तेजिंदर राणा का कहना है कि अगर उन्हें सरकार जगह उपलब्ध कराती है तो फिर रावण के पुतले की ऊंचाई 210 फ़ीट से भी ज्यादा की जाएगी।

 

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रावण का आकार 210 फीट से घटाकर किया गया 125 फीट

 

बता दें कि जैसे-जैसे बराड़ा शहर की आबादी बढ़ती जा रही है, वैसे-वैसे बराड़ा का रामलीला मैदान भी छोटा होता जा रहा है। अब हालत यह है कि रावण के पुतले का आकार काफी छोटा करना पड़ रहा है। चिंता की बात यह है कि अगले साल तक बराड़ा में रावण के पुतले का निर्माण बंद भी करना पड़ सकता है। 210 फ़ीट के रावण का निर्माण करने वाले तेजिंदर राणा ने मीडिया के सामने अपना दर्द ब्यान करते हुए कहा कि दशहरे का आयोजन इस मैदान में किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि अबकी बार रावण का पुतला 125 फ़ीट का बनाया गया है।  उन्होंने बताया की पुतले का दहन रिमोट कंट्रोल के साथ किया जायेगा। उन्होंने बताया कि 2017 में हमने 210 फ़ीट का रावण बनाया था, लेकिन मैदान की कमी होने के चलते 2018 में पुतले का दहन पंचकूला में किया गया था। उन्होंने बताया कि 2011 में गिनीज बुक ऑफ़ रिकॉर्ड में बराड़ा के रावण का नाम दर्ज हुआ था। उन्होंने कहा कि दशहरा मैदान के चारों ओर मकान बन गए है। तेजिंदर राणा ने कहा कि इस समस्या को लेकर सरकार से कईं बार गुहार भी लगा चुके हैं, लेकिन बराड़ा में मैदान उपलब्ध कराने के लिए कोई कदम नहीं उठाया गया है। उन्होंने कहा कि यह दुर्भाग्य की बात है की मैदान न होने के कारन इस कार्यक्रम को बंद करना पड़ गया था।

 

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मैदान उपलब्ध कराने के लिए आयोजकों ने सरकार से लगाई गुहार

 

राष्ट्रीय जागरण  मंच के अध्यक्ष  विक्रम राणा ने इस मामले में कहा कि हम पिछले साल से इस पुतले का निर्माण कई संस्थाओं व स्थानीय लोगों की मदद से करा रहे है। उन्होंने कहा कि बराड़ा का नाम इसी रावण के पुतले से मशहूर हुआ है। विक्रम राणा ने कहा कि सभी समाजसेवी सस्थाओं ने यह बीड़ा उठाया थी कि हमारी परम्परा बुराई पर अच्छाई की जीत ऐसे ही आगे आनी वाली पीढ़ियों तक पहुंचती रहे। उन्होंने सरकार पर आरोप लगते हुए कहा की अभी तक सरकार ने बराड़ा के लिए कुछ नहीं किया है। वहीँ उन्होंने बीजेपी सरकार से उम्मीद जताई है कि वे रावण के दहन के लिए मैदान उपलब्ध कराएगी। 

 

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