करनाल में ही रह करूँगा जांच, चाहे मुझे रोज जाना पड़े या वहां रुकना पड़े: जस्टिस अग्रवाल

Edited By Isha, Updated: 25 Sep, 2021 10:07 AM

will stay in karnal to investigate aggarwal

बड़े विवादों का कारण बने करनाल प्रकरण मामले में जांच के लिए सरकार ने एक सदस्य आयोग का गठन कर दिया है। जिसकी जिम्मेदारी पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के बेहद अनुभवी सेवानिर्वित जस्टिस एसएन अग्रवाल

चंडीगढ़( चंद्रशेखर धरणी): बड़े विवादों का कारण बने करनाल प्रकरण मामले में जांच के लिए सरकार ने एक सदस्य आयोग का गठन कर दिया है। जिसकी जिम्मेदारी पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के बेहद अनुभवी सेवानिर्वित जस्टिस एसएन अग्रवाल को सौंपी गई है और 1 माह का समय निश्चित किया गया है।

अग्रवाल लंबे समय तक पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में सेवाएं दे चुके हैं वह अपने जीवन काल में लगभग 5 साल तक पंजाब स्टेट कंज्यूमर रिडे्रसल कमीशन के चेयरमैन रहे। उन्होंने केंद्र व पंजाब सरकार से बजट हासिल कर सेक्टर-37 में कमीशन का निजी भवन बनवाया। वह 3 साल तक हरियाणा पिछड़ा वर्ग आयोग के चेयरमैन रहे। इस दौरान उन्होंने नेहरू हिमालयन ब्लंडर्स शीर्षक से अनुच्छेद 370 को लेकर पुस्तक लिखी।

जस्टिस अग्रवाल ने पंजाब के लौंगोवाल स्थित शैक्षणिक संस्थान के निदेशक पर विद्यार्थियों द्वारा लगाए गए आरोपों की जांच कर 5-6 महीने में जांच रिपोर्ट सरकार को सौंप दी थी। जस्टिस अग्रवाल हरियाणा में संपत्ति कर वसूली का फार्मूला तय कर सरकार को सौंपने वाले शख्स हैं। जस्टिस एसएन अग्रवाल का जीवनकाल का का रिकॉर्ड बेहद स्वर्णिम रहा है। जस्टिस एसएन अग्रवाल से पंजाब केसरी ने एक्सक्लूसिव बातचीत की है। जिसके कुछ अंश आपके सामने प्रस्तुत हैं:-

 

 

प्रशन:- करनाल प्रकरण मामले में कैबिनेट ने एक आयोग अप्रूव किया है। आपको यह जिम्मेदारी सौंपी गई है। शुरुआत कैसे करेंगे ?
उत्तर:-
यह मामला क्योंकि करनाल से जुड़ा हुआ है, इसीलिए करनाल जाकर ही मेमोरी होल्ड करनी होगी। फिलहाल नोटिफिकेशन होने से पहले ही मैं एक बार करनाल जाकर देखूंगा कि हम कोर्ट कहां कर सकते हैं। लोगों को कहां बुला सकते हैं। साथ ही मैं अपने सेक्रेटरी से यह भी कहूंगा कि उस दौरान अखबार में गवाहों के बयानों के लिए दिन डिसाइड करके एक पब्लिकेशन दें ।

 

 

प्रशन:- क्या कार्यालय करनाल में ही रहेगा ?
उत्तर:-
मैं इसे करनाल में ही रखूंगा। चाहे मुझे रोज जाना पड़े या वहां रुकना पड़े। करनाल से जुड़ी जांच करनाल से ही करूंगा।

 

 

प्रशन:- निष्पक्ष जांच के पैरामीटर्स क्या रहेंगे ?
उत्तर:-
जुडिशरी में आने के बाद हम अपने आपको किसी के दबाव में नहीं समझते या यह नहीं मानते कि हम किसी के नीचे हैं या उसके हक में काम करना है या हक में नहीं करना है। परमात्मा को हम हाजिर-नाजिर मानकर निष्पक्ष जांच करते हैं जो भी सच्चाई मामले में निकलेगी, वही रिपोर्ट दी जाएगी।

 

 

प्रशन:- एक आईएएस अधिकारी जो वहां बतौर एसडीएम नियुक्त थे, उनकी भूमिका संदेह के घेरे में है। इस पूरी घटना को कितना चैलेंजिंग मानते हैं ?
 उत्तर:-
इट इज वेरी बिग जॉब। यह एक बहुत बड़ा चैलेंजिंग मामला है। लेकिन परमात्मा के सामने हम अरदास ही कर सकते हैं कि हमें शक्ति दे कि हम बिल्कुल सही नतीजे तक पहुंचे और बिना प्रभाव-दबाव के जांच कर पाए।

 

 

प्रशन:- आप किन-किन आयोगों की जिम्मेदारी निभा चुके हैं ?
उत्तर:-
मैं 2002 से 2003 तक पटियाला में सेशन जज रहा। वहां जो कि कोर्ट कंपलेक्स की बिल्डिंग नहीं बनी हुई थी मैंने बनवाई। 2003 के बाद मैं जालंधर चला गया। 4 नवंबर को हाई कोर्ट के ऑर्डर आए और 5 नवंबर 2009 को मैंने हाई कोर्ट के जज के रूप में टेकओवर किया। 30 सितंबर 2007 में मैं हाईकोर्ट से रिटायर हुआ। उस दौरान पंजाब कंज्यूमर कमिशन में चेयरमैन की पोस्ट खाली होने के कारण हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस ने मेरा नाम रिकमेंट किया। 5 अक्टूबर 2007 को मैंने वहां ज्वाइन किया। 30 सितंबर 2012 को मैं इस पद से फ्री हुआ।

 

 

प्रशन:- बतौर वकालत शुरू किए गए सफर से अंडमान निकोबार जेल जैसे सुधार आपने किए। कुछ बताएं ?
उत्तर:-
मई 1990 में लॉ सेक्रेटरी के रूप में मैंने अंडमान निकोबार में ज्वाइन किया था। पूर्व प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई द्वारा हालांकि सेल्यूलर जेल को बेशक नेशनल मेमोरियल घोषित कर दिया गया था। उसके बावजूद वहां वर्मा के पकड़े गए मछुआरे या यहां के कुछ अपराधी रखे जा रहे थे। लेकिन अक्टूबर 1990 के दौरान मैंने वहां एक कार्यक्रम में जीवित देशभक्तों या स्वर्ग सिधार चुके लोगों के पारिवारिक सदस्यों को बुलाया। जहां उन्होंने मुझ से अपील की कि जिस जेल में हिंदुस्तान के आजादी के लिए लड़ाई लड़ी गई। वहां आज शराबी नशेड़ीयों रखा जा रहा है। जो कि मुझे यह बात बहुत महसूस हुई। मैं अगले दिन कार्यालय में आया और नई जेल बनाने के लिए जगह बारे जानकारी ली। मैने लेफ्टिनेंट जनरल दयाल से टाइम लिया और मिलकर उन्हें सारी बात बताई। जनरल दयाल ने मुझे पूरी सपोर्ट दी और दो-तीन दिन बाद ही चीफ सेक्रेटरी उच्च अधिकारियों और इंजीनियरों को बुलाकर एक बैठक ली गई। जिसमें मुझे जेल बनाने के लिए फंड फाइनल कर दिया गया। मैंने इस जेल को वहां रहते हुए 2 साल में पूरा करवाकर मिस्टर दयाल से उसका उद्घाटन करवाया और सभी कैदी वहां शिफ्ट  किए।

 

 

प्रशन:- आपने इस पर एक किताब भी लिखी। उसके बारे में कुछ बताएं ?
उत्तर:-
मैंने वहां रहकर यह महसूस किया कि देश भक्तों ने देश की आजादी के लिए इतनी यातनाएं सही, उन्होंने पशुओं जैसा व्यवहार सहा, अत्याचार हुए, लेकिन उनके बारे में कोई रिकॉर्ड नहीं पाया गया। मैंने इस बारे में काफी खोज की कि कौन किस बात के कारण पकड़ा गया ? किस तारीख को पकड़ा गया ?किसने कितनी यात्राएं सही ? जेल में किसने कितने बहादुरी के काम किए और वापस कब आए ? इसमें तीन स्टेज थी। पहली 1909 से 1914, दूसरी 1915 से 1921 और तीसरी 1932 से 1938 तक जिसमें शहीद भगत सिंह और 1911 में वीर सावरकर भी वहां कैद होकर गए थे। सबसे लंबे समय तक वीर सावरकर इस जेल में रहे और 1921 में वह बाहर आए। मैंने यह किताब अपने देश के बच्चों के लिए लिखी। हमारे देश के असली भक्तों की जानकारी सभी को होनी चाहिए। मैंने दी हीरो सेल्यूलर जेल लिखी। पहले पंजाबी यूनिवर्सिटी ने पब्लिश की। फिर सुधार करके रूपा के पास ले गया। उन्होंने भी इसे सुधार करके पब्लिश किया। 2006 में सेल्यूलर जेल बने पूरे 100 साल हो गए थे। लेफ्टिनेंट जनरल के सामने मैंने इस किताब को मार्च 2006 में रिलीज करवाया। उसमें कुछ गलतियां रह गई थी। फिर उन्हें ठीक करके 2007 को मैंने यह किताब लिखी।

 

 

प्रशन:- जज के रूप में कार्य करते समय आप काफी सख्त नजर आते हैं। लेकिन बातों से काफी नरम और भावुक लग रहे हैं ?
उत्तर:-
अंडमान निकोबार जाने से पहले संगरूर में मै सीजीएम के पद पर था। जो कि पंजाब में 1980 से 1988 तक उग्रवाद के दिन थे और मेरे पास आतंकवादियों की ही कोर्ट होती थी। एक दिन एक उग्रवादी गुरुसेवक को जेल सुप्रीडेंट मेरे पास पेश करने के लिए आया। तो मैंने सुप्रिडेंट से कहा कि इससे मैं बात करना चाहता हूं। सुप्रीडेंट ने सुरक्षा के लिहाज से मुझे मना कर दिया। मैंने उसे कहा कि मैं अपनी जिम्मेदारी लिख कर देने के लिए तैयार हूं। अगर कोई दुर्घटना घटी तो मैं खुद जिम्मेदार होऊंगा। इसे हथकड़ी खोलकर मेरे पास कमरे में भेजो। मैंने उग्रवादी से पूछा कि आप हत्याएं क्यों करते हो ? इससे आपको क्या फायदा होता है ? तो उसने कहा कि पुलिस पहले हमें ड्रग्स स्मगलरो के रूप में इस्तेमाल करती थी। बाद में पुलिस ने हमारे ऊपर केस डाल दिए। फिर हमने यह काम शुरू कर दिया और अब हम इसके आदी हो गए हैं।

 

 

प्रशन:- करनाल जांच में आपके साथ अन्य कितने व्यक्तियों की टीम रहेगी ?
उत्तर:-
यह एक सदस्य आयोग का गठन किया गया है।  क्योंकि इसमें हिंदी-पंजाबी या इंग्लिश भाषा में तरह-तरह के व्यक्तियों के बयान लिए जाएंगे। इसके लिए मुझे स्टेनो की आवश्यकता रहेगी। साथ ही मुख्यमंत्री का क्या प्रोग्राम बना था ?  किसानों ने विरोध का कब प्रोग्राम बनाया ? पुलिस ने किस प्रकार के इंतजाम किए ? आईएएस लड़के ने जो शब्द कहे वह क्यों और किन स्थितियों में कहे ? इन सभी चीजों का अध्ययन करके इसकी पूरी रिपोर्ट 1 महीने में दे दूंगा।

 

 

 

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