सिक्किम में कभी दंगा फसाद नहीं हुआ :गोपाल प्रसाद

Edited By Manisha rana, Updated: 12 Mar, 2023 01:08 PM

there has never been a riot in sikkim gopal prasad

6 अप्रैल 1975 को सिक्किम संविधान अधिनियम 1975 के माध्यम से भारत का 22 वां राज्य बना सिक्किम अनेक विविधताओं, 11 भाषाओं और कई धर्मों वाला...

चंडीगढ़ (धरणी) : 6 अप्रैल 1975 को सिक्किम संविधान अधिनियम 1975 के माध्यम से भारत का 22 वां राज्य बना सिक्किम अनेक विविधताओं, 11 भाषाओं और कई धर्मों वाला प्रदेश किस प्रकार से अपनी खूबसूरती, प्राकृतिक सौंदर्य और बेहद शांति प्रिय जीवन से आज तक परिपूर्ण है, यहां के लोगों का व्यवसाय और जीवनचर्या किस प्रकार की है, सरकार किस प्रकार से कार्य करती है, विधानसभा की कार्यवाही हमारे प्रदेश हरियाणा से किस प्रकार से विभिन्न है, पड़ोसी राज्य चाइना- भूटान और नेपाल बॉर्डर पर स्थितियां किस प्रकार की है, प्रदेश में कौन कौन से राजनीतिक दल आम जनमानस में अधिक महत्वपूर्ण माने जाते हैं, इस प्रकार के कई महत्वपूर्ण विषयों को लेकर विधानसभा सिक्किम के सेक्रेटरी गोपाल प्रसाद डहाल से पंजाब केसरी ने महत्वपूर्ण बातचीत की।

बता दें हरियाणा के पत्रकारों का एक डेलिगेशन सिक्किम दौरे पर है। जहां हरियाणा विधानसभा मीडिया एडवाइजरी कमेटी के सचिव एवम पंजाब केसरी के मुख्य संवाददाता चंद्रशेखर धरणी ने विधानसभा सिक्किम सेक्रेटरी गोपाल प्रसाद डहाल से महत्वपूर्ण कई विषयों पर चर्चा की है। जिसके कुछ अंश आपके सामने प्रस्तुत हैं :

प्रश्न : आपके यहां बजट सत्र में लगभग कितनी सीटिंग होती है ?
उत्तर : 
लगभग 10 दिन चलने वाले हमारे बजट सत्र में कई सीटिंग रहती हैं। लेकिन हमारी सरकार का जी-20 में बहुत सारे कार्यक्रम होने के कारण व्यस्तता के चलते बजट सत्र फिलहाल नहीं होगा। जी 20 के बाद सरकार इस पर अपना फैसला लेगी। सीटिंग का मतलब 11 बजे से सेशन शुरू हुआ और फिर जब 2 बजे लंच ब्रेक होगा तो उस दौरान तक एक सीटिंग होगी और दोबारा जब बैठक होगी उसको भी एक सीटिंग ही माना जाता है। इस हिसाब से कई सीटिंग होती है।

प्रश्न : विधानसभा में विषयों पर चर्चा का सिस्टम क्या है ?
उत्तर : 
हमारे यहां एक मंत्री के विभागों पर पहले चर्चा होती है। सारा कार्य मिनिस्ट्री वाइज चलता है। लेकिन चर्चा हमेशा जोरदार रहती है। पहले दिन राज्यपाल महोदय का अभिभाषण चलता है।

प्रश्न : सिक्किम में सरकार की स्थिति क्या है ?
उत्तर : 
हमारे यहां फिलहाल विपक्ष है ही नहीं। भाजपा में एसडीएफ पार्टी के 10 विधायकों के शामिल होने के बाद विपक्ष नहीं रहा। लेकिन विधायक अपने क्षेत्र को लेकर विधानसभा में अपनी बात बड़ी मजबूती से रखते हैं। यहां सिंपल मेजॉरिटी 17 सदस्यों की है। जिसमें से 12 मंत्री हैं। मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री समेत 14 मंत्री है। हमारे यहां मंत्री के लिए 15 फ़ीसदी वाला कैप नहीं है। कम से कम 12 मंत्री होते हैं। पीएससी और फाइनेंशियल कमेटी के चेयरमैन को भी कैबिनेट का दर्जा प्राप्त है। विपक्ष के नेता के लिए किसी पार्टी के पास 11 सदस्य अवश्य होने जरूरी है। हमारे यहां बिना विपक्ष के काम चल रहा है। लोकतंत्र में कुल विधायकों में से एक तिहाई विधायक वाली पार्टी अपने एक सदस्य को विपक्ष का नेता बनाती है। 32 विधायकों वाले हमारे हाउस में एक तिहाई के मुताबिक किसी पार्टी के पास 11 विधायक जरूरी हैं जो कि किसी के पास ना होने के कारण विपक्ष नहीं है। पुराने काउंसिल के कोरम का हमारे यहां सिस्टम है और वही यहां कंटिन्यू हैं।

प्रश्न : यानी एक को छोड़कर आपके सभी विधायक कैबिनेट मंत्री है ?
उत्तर : 
सिक्किम क्रांतिकारी मोर्चा के 17 सदस्यों में से 14 मंत्री हैं, 2 कैबिनेट रैंक प्राप्त हैं, इसलिए कुल 16 कैबिनेट मंत्री दर्जा प्राप्त है। 

प्रश्न : विपक्ष के ना होने के चलते मुख्यमंत्री के किसी भी काम में अड़चन नहीं आती होगी ?
उत्तर : 
बिल्कुल ऐसा ही है। 2024 में फिर से चुनाव है। हरियाणा और सिक्किम के एक साथ चुनाव होंगे। उसके बाद की स्थिति क्या रहेगी, यह भविष्य के गर्भ में है।

प्रश्न : यहां कौन-कौन सी भाषाओं में विधानसभा का कार्य चलता है ?
उत्तर : 
मुख्यतः अंग्रेजी, नेपाली और मातृभाषा कुछ ऐसी है जिनमें विधानसभा की कार्यवाही की जाती है। प्रदेश की कुल 11 भाषाएं मान्यता प्राप्त हैं। सभी भाषाओं में थोड़ा-थोड़ा कार्य रहता है। खासतौर पर जिस भाषा के सदस्य चुनकर पहुंचते हैं, वह अपनी भाषा का प्रयोग करते हैं।

प्रश्न : जिस विधायक को मंत्री नहीं बनाया गया, उसे कैसे एडजस्ट किया गया है ?
उत्तर : 
हमारे बहुत से मंत्री बहुत से चेयरमैन भी बनाए गए हैं। जिस प्रकार से हरियाणा में चीफ पार्लियामेंट सेक्रेटरी जाते थे, हमारे यहां भी बनाए जाने शुरू किए गए थे। लेकिन कोर्ट द्वारा रोक लगाने के बाद उस पर रोक लगी। यह सिस्टम हरियाणा पंजाब से शुरू हुआ था।

प्रश्न : आपके यहां सबसे लंबे समय तक मुख्यमंत्री रहने का गौरव किसे प्राप्त है ?
उत्तर : 
पवन कुमार चामलिंग लगातार 25 वर्ष तक सिक्किम डेमोक्रेटिक फ्रंट पार्टी के बैनर तले मुख्यमंत्री रहे हैं। हमारा प्रदेश छोटा होने के कारण बाहर से काफी आसान संभावनाएं लगती है, लेकिन इस कारण काफी मुश्किलें भी आड़े आती हैं। चामलिंग सबसे अधिक लंबे समय तक मुख्यमंत्री रहने को लेकर हिंदुस्तान में रिकॉर्ड बने हुए हैं।

प्रश्न : विधानसभा की प्रोसिडिंग किस भाषा में मुख्यतः रहती है ?
उत्तर : 
सिक्किम विधानसभा में 11 भाषाओं का प्रयोग होता है।  सदस्य जिस भी भाषा में अपना प्रश्न- अपनी बात रखता है, प्रोसीडिंग उसी में की जाती है। मुख्यतः भूटिया, लिंबू, लेपचा, अंग्रेजी, गोरखा अधिकतम प्रयोग में रहती है। हमारे यहां सिक्किम यूनिवर्सिटी में पीएचडी तक इन भाषाओं का प्रयोग होता है। रिसर्च इत्यादि में भी इन्हीं भाषाओं का प्रयोग रहता है। हमारे यहां विधानसभा में विधायक जिस भाषा में सवाल करता है, अगर मंत्री उस भाषा में जवाब नहीं दे पाता तो वह नेपाली या इंग्लिश में जवाब देता है। हम सवाल पूछने वाले सदस्य की अगर चाहत है तो हम उसी की भाषा में उसे जवाब उपलब्ध करवाते हैं।

प्रश्न : क्या हिंदी में कार्य नहीं होता ?
उत्तर : 
हिंदी का प्रयोग बहुत कम रहता है। राज्यपाल का अभिभाषण ही केवल हिंदी में रहता है। बाकी डिबेट अधिकतर अंग्रेजी और नेपाली में रहती है।

प्रश्न : सुना है आपकी शिक्षा बनारस से हैं ?
उत्तर : 
मेरा जन्म सिक्किम का ही है। बनारस से मैंने एम ए. पीएचडी की है। मैं संस्कृत पढ़ने के लिए वहां गया था। फिलहाल वाले हमारे गवर्नर महोदय लक्ष्मण प्रसाद आचार्य बनारस से ही है।

प्रश्न : राज्यपाल के पास अधिक शक्तियों का इस्तेमाल क्या रहता है और ब्यूरोक्रेसी के बारे में बताएं ?
उत्तर : 
हमारा पर्वतीय राज्य बेहद शांति प्रिय राज्य है। आज तक यहां कोई स्पेशल पावर का इस्तेमाल जनरल पब्लिक प्रॉब्लम में करने की आवश्यकता नहीं देखी गई। आज तक यहां कोई दंगा फसाद नहीं हुआ। हमारे हाथ छोटे-छोटे जिले हैं। इसलिए आईएएस अधिकारियों को ज्यादा इधर-उधर नहीं जाना पड़ता। इसलिए वह केंद्रीय पोस्टिंग की तरफ भी ज्यादा ध्यान नहीं देते। कुल 37-38 आईएएस कैडर में है। फिलहाल बहुत अधिक बच्चे आईएएस- आईपीएस- आईएफएस में सिलेक्ट हुए। इसलिए बहुत से विभाग में सेक्रेटरी पद पर आईएफएस की सिलेक्शन की गई है।

प्रश्न : आपके यहां की अन्य विशेषताएं बताएं ?
उत्तर : 
प्राकृतिक सुंदरता, भव्य पहाड़, सुंदर झरने, सुंदर नदियां, झील। हमारे यहां सैलानियों का पसंदीदा सपोर्ट है। प्रकृति प्रेमी बहुत दूर-दूर से सिक्किम घूमने के लिए आते हैं। सिक्किम प्राकृतिक सौंदर्य से परिपूर्ण है। बहुत खूबसूरत राज्य है। भौगोलिक दृष्टि से काफी विविधता पूर्ण है। जनसंख्या अन्य राज्यों से काफी कम है। क्षेत्रफल भी काफी न्यूनतम है। 3 अन्य देशों चाइना- नेपाल- भूटान से हमारे बॉर्डर लगते हैं।

प्रश्न : पर्वतीय राज्य सिक्किम अन्य पहाड़ी राज्यों से अलग कैसे हैं ?
उत्तर : 
371 एफ सिक्किम के लिए ही बनाई गई, जिसके तहत हमारे यहां राज्यपाल को कुछ अधिक पावर है। हमारे यहां क्राईम रेशों काफी कम है। पश्चिम बंगाल हमारे दक्षिण में है। भारत के पूर्वोत्तर भाग में हम लोग स्थित हैं और अंगूठे के आकार वाला हमारा राज्य पूरी तरह से शांतिप्रिय और सैलानियों का स्वागत करने वाला राज्य है। हमारे यहां हिंदू, बृजयान बोध धर्म मुख्यतः मौजूद है। प्रदेश की राजधानी गंगटोक हमारा सबसे बड़ा शहर है। सिक्किम नाम ग्याल राजतंत्र द्वारा शासित एक स्वतंत्र राज्य था, परंतु प्रशासनिक समस्याओं व भारत में विलय के चलते तथा जनमत के कारण 1975 में भारत में इसका विलय हुआ। उसी जनमत संग्रह के पश्चात राजतंत्र का अंत और भारतीय संविधान की नियमावली के ढांचे में प्रजातंत्र का उदय हुआ। सिक्किम संविधान अधिनियम 1975 के माध्यम से भारत का 22 वा राज्य बना।

प्रश्न : जम्मू कश्मीर से धारा 370 हटाने के बाद क्या यहां भी जनता ने 371 हटाने की डिमांड की है ?
उत्तर : 
नहीं, कभी ऐसी कोई आवाज नहीं उठी। क्योंकि उसी प्रोटेक्शन के चलते सिक्किम का विलय भारत में हुआ। 371 एफ को हटाना है तो डिमर्जर का प्रश्न उठ जाएगा। जनता इसलिए ऐसी डिमांड कभी नहीं करेगी और इससे किसी को कोई नुकसान भी नहीं है। फिलहाल एक डिमांड जनता की तरफ से अवश्य आ रही है कि बाहर अन्य प्रदेशों से आने वाले लोगों का यह रिकॉर्ड बनाया जाए कि वह कितने दिन तक प्रदेश में रहेगा। लेकिन एक देश- एक संविधान- एक विधान के चलते भारत में ऐसा करना मुमकिन नहीं है। बाहर से काम करने आने वाले लोगों को वोटिंग पावर मिलने से यहां के लोकल लोगों की संख्या एवरेज कम होने से उन्हें नुकसान की संभावनाएं रहती हैं। केंद्र सरकार से मिलने वाली वेलफेयर की स्कीम में आज की स्थिति उनकी काफी बेहतर है। जिला वाइज गिनती के हिसाब से मिलने वाली स्कीम आबादी कम होने के कारण लगभग हर परिवार तक पहुंचती है और सिक्किम वासियों को कम आबादी का बेहद लाभ मिल रहा है।

प्रश्न : चाइना बॉर्डर को लेकर यहां के लोगों की क्या विचारधारा है ?
उत्तर : 
चाइना बॉर्डर को हम आज भी तिब्बत बोलते हैं। यहां भोटिया राजा थे और हमारे दोनों राज्यों में पारिवारिक संबंध थे। आपस में शादियां होती थी। लेकिन अब ऐसा नहीं होता। क्योंकि यह अब भारत सरकार के माध्यम से मुमकिन है। काफी नियम बन चुके हैं। इसलिए अब इन पर लगभग रोक लग चुकी है।

प्रश्न : क्या चाइना बॉर्डर का दबाव - प्रभाव और परेशानी रहती है ?
उत्तर : 
नहीं कभी ऐसा कोई महसूस नहीं होता। क्योंकि वहां बॉर्डर पर फोर्स तैनात रहती है। आम आदमी को वहां जाने की इजाजत नहीं है। इसलिए वहां दोनों देशों की आर्मी में क्या ट्यूनिंग चल रही है, यह कोई चर्चा का विषय टीवी पर देखने के बाद ही बनता है। इसलिए इससे कोई दहशत का माहौल नहीं बनता। लगभग पूरा सिक्किम चाइना से कवर हुआ है। थोड़ा सा एरिया नेपाल और भूटान के साथ भी हमारा लगता है।

प्रश्न : कुल आबादी कितनी है और आबादी के आमदनी के स्त्रोत क्या है ?
उत्तर : 
यहां कुल आबादी फिलहाल 600000 है। आमदनी मुख्यतः सैलानियों से होती है। मुख्य व्यवसाय खेती-बाड़ी है। हमारे प्रदेश में मोटी इलायची और सोंठ काफी एक्सपोर्ट की जाती है।

प्रश्न : छोटा राज्य होने के कारण लोगों की पकड़  मुख्यमंत्री तक भी रहती होगी ?
उत्तर : 
बिल्कुल सिक्किम के मुख्यमंत्री वोटर को खूब पहचानते हैं और वोटर मुख्यमंत्री को पहचानते हैं जो विधायकों की आमतोर पर परेशानी का कारण भी बनती है। क्योंकि विधायक की गलती सीधी ऊपर तक पहुंचती है। मुख्यमंत्री फिजिकली आम वोटर को पहचानता है। इस दृष्टि से विधायक कभी कभार पावरलेस भी हो जाता है। नाम के साथ पहचान वोटर की होना एक बड़ी बात है। कई बार ऐसा भी हुआ जब वोटर टिकट देने पर वोट ना देने की बात मुख्यमंत्री तक को भी बोल देता है। कुल आबादी की पहुंच मुख्यमंत्री तक सीधी है। विधायकों की शिकायतें भी मुख्यमंत्री तक पहुंचाना, हमारे प्रदेश में कोई बड़ी बात नहीं है।

प्रश्न : हिंदुस्तान में विलय होने के बाद से अब तक विधायकों की संख्या में क्या कोई संख्या बड़ी ?
उत्तर : 
इंडिया में सिक्किम का विलय करने के बाद भी वही सिस्टम जारी रहा। इलेक्शन नहीं किया गया।  रेजुलूशन पास करके राजा को हटाकर सिक्किम को हिंदुस्तान की सरकार में 1975 में मर्ज किया। 1953 से 75 तक काउंसिल के 10-12 सदस्य थे, धीरे-धीरे बढ़ते गए और अब फिलहाल 32 सदस्य हैं। हमारा हाउस 32 सदस्यों का हाउस है। एक लोकसभा और एक राज्यसभा की सीट है। 1993 में हमारी नई बिल्डिंग तैयार हुई है। पहले बहुत छोटी सा भवन था। अब जनसंख्या के हिसाब से परिसीमन में हमारे सदस्यों की संख्या लगभग 40 के आसपास पहुंचने की हमें उम्मीद है। पहले हमारे केवल 4 ही जिले थे। अब 6 हो गए हैं। हमारे विधानसभा में भी हरियाणा की तरह ही डिजिटलाइजेशन का कार्य चल रहा है। धीरे-धीरे हमारी विधानसभा ई-विधानसभा बनने जा रही है।

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