Edited By Saurabh Pal, Updated: 04 Jul, 2024 03:17 PM
जनपद में शहीद परिवार का घर साजिश के तहत ढहा दिया गया। पीड़ित मोहन का पुत्र वीरेंद्र सिंह कारगिल में शहीद हो गया था। पीड़ित परिवार को मदद के रूप में सरकार की तरफ से 200 गज का प्लॉट दिया गया था...
फरीदाबाद(अनिल राठी): जनपद में शहीद परिवार का घर साजिश के तहत ढहा दिया गया। पीड़ित मोहन का पुत्र वीरेंद्र सिंह कारगिल में शहीद हो गया था। पीड़ित परिवार को मदद के रूप में सरकार की तरफ से 200 गज का प्लॉट दिया गया था। इस प्लॉट पर शहीद वीरेंद्र के पिता द्वारा घर बनवाया जा रहा था, जिसका गांव के कुछ लोग व सरपंच विरोध कर रहे थे। गांव लोग घर नहीं बनाने देना चाह रहे थे। बीती रात निर्माणाधीन मकान को कुछ लोगों ने धाराशाही कर दिया। पुलिस ने शहीद के परिजनों की शिकायत पर मामला दर्ज कर शुरू कर दी है।
एक ओर हरियाणा सरकार और केंद्र सरकार शहीदों के सम्मान में उनके परिवार के लिए सम्मान राशि के साथ-साथ उन्हें प्लाट आवंटन का कार्य करती है। वहीं फरीदाबाद निवासी मोहन को बेटे के शहीद हो जाने पर जीवन यापन के लिए 200 गज का प्लाट सहायता के रूप में दिया गया था। जिसमें शहीद की 95 वर्षीय माता और उनका परिवार रहता था, लेकिन 22 साल बीत जाने के बावजूद भी आज तक शहीद की माता बेटे को मिले सम्मान के रूप में प्लॉट पर अपना मकान नहीं बन पाई, क्योंकि गांव के ही सरपंच के पति और कुछ सामाजिक लोगों के तरफ से उनके इस प्लॉट को हथियाना के लिए तरह-तरह के हथकंडे अपनाए जा रहे हैं। जिसमें शहीद के भाइयों ने स्थानीय विधायक नैनपाल रावत पर भी आरोप लगाते हुए कहा कि वह भी शहीद परिवार के साथ राजनीति कर रहे हैं, जो सीधे तौर से शहीद का अपमान है।
शहीद के एक भाई ने कहा कि सरकार की तरफ से उन्हें तमाम दस्तावेज 200 गज के प्लॉट के दिए गए हैं। जिसमें वह अपना रहने का आशियाना बनाना चाहते हैं और सारी कानूनी प्रक्रिया के तहत ही वह अपना मकान बना रहे हैं, लेकिन पता नहीं ऐसा क्यों है कि लोग शहीद के प्लाट को हथियाना चाहते हैं। हालांकि शहीद परिवार द्वारा मामले को अब पुलिस के संज्ञान में लाया गया है। पुलिस ने मामला दर्ज कर आगामी कार्रवाई शुरू कर दी है। लेकिन इस पूरे घटनाक्रम से एक बात तो साफ है कि कहीं ना कहीं शहीद के परिवार के साथ ठीक बर्ताव नहीं किया गया है। यदि इस तरीके का बर्ताव विधायक, सरपंच व उनके लोगों द्वारा किया जा रहा है तो प्रतिनिधि की मंशा पर भी सवाल उठना लाजमी है।
सबसे दुखद तस्वीर शहीद वीरेंद्र सिंह की मां का है। जिनकी उम्र 75 वर्ष है। उन्होंने अपना बेटा देश की हिफाजत के लिए कुर्बान कर दिया। अब उनके साथ उनके ही गांव के लोग उन्हें परेशान कर रहे हैं और तो और इसमें सरकार से सीधे तौर पर जुड़े नयन पाल रावत का भी नाम आ रहा है। जो बेहद सोचनीय विषय है।
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