आजादी के 75वें अमृत महोत्सव पर छात्रों ने शौर्य गाथा का किया मंचन, कार्यक्रम में कई गणमान्य लोग रहे उपस्थित

Edited By Ajay Kumar Sharma, Updated: 20 Mar, 2023 10:52 PM

students staged shaurya gatha on the 75th amrit mahotsav

आजादी के 75वें अमृत महोत्सव की श्रृंखला में रास कला मंच सफीदों द्वारा रेजांगला की इस शौर्य गाथा का नाटक मंचन के माध्यम से सोमवार को डा. बी. आर. अंबेडकर राजकीय महाविद्यालय में सजीव चित्रण दिखाया गया।

पलवल(गुरुदत्त): आजादी के 75वें अमृत महोत्सव की श्रृंखला में रास कला मंच सफीदों द्वारा रेजांगला की इस शौर्य गाथा का नाटक मंचन के माध्यम से सोमवार को डा. बी. आर. अंबेडकर राजकीय महाविद्यालय में सजीव चित्रण दिखाया गया। इस कार्यक्रम का शुभारंभ एडीसी हितेश कुमार ने बतौर मुख्यातिथि रिबन काटकर किया। कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के रूप में जिला परिषद पलवल के मुख्य कार्यकारी अधिकारी जितेंद्र कुमार भी मौजूद रहे।

बता दें कि 1962 के भारत चीन युद्ध में रेजांगला पोस्ट पर सेना की 13 कुमाऊं की चार्ली कंपनी के चंद सैनिकों ने चीन की सेना को कड़ी टक्कर देते हुए रेजांगला पोस्ट को बचाने में सफलता प्राप्त की। इस संघर्ष में चार्ली कंपनी के 110 वीर जवान सैनिकों ने अपने प्राणों की बाजी लगा दी। आजादी के 75वें अमृत महोत्सव की श्रृंखला में रास कला मंच सफीदों द्वारा रेजांगला की इस शौर्य गाथा का नाटक मंचन के माध्यम से सोमवार को डा. बी. आर. अंबेडकर राजकीय महाविद्यालय में सजीव चित्रण दिखाया गया। इस कार्यक्रम का शुभारंभ एडीसी हितेश कुमार ने बतौर मुख्यातिथि रिबन काटकर किया। कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के रूप में जिला परिषद पलवल के मुख्य कार्यकारी अधिकारी जितेंद्र कुमार भी मौजूद रहे। नाटक के माध्यम से कलाकारों ने दर्शाया कि युद्ध के समय किस प्रकार भारतीय सैनिकों ने अपनी वीरता का प्रदर्शन करते हुए भारत मां की सेवा में अपने प्राणों की आहुति दे दी। नाटक का निर्देशन रवि मोहन द्वारा किया गया।

एडीसी हितेश कुमार ने रेजांगला की लड़ाई में शहीद हुए वीर सपूतों को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि रेजांगला की शौर्य गाथा देश के इतिहास का वह स्वर्णिम अध्याय है, जिसे याद करते हुए हमारा सीना गर्व से चौड़ा हो जाता है। रेजांगला की लड़ाई में देश के वीर सपूतों ने जिस प्रकार जंग के मैदान में अपनी जान की परवाह किए बगैर बहादुरी से दुश्मनों का सामना किया, वह देशवासियों के लिए प्रेरणा का स्रोत है। रेजांगला की लड़ाई के आखरी दिन यानी 18 नवंबर 1962 को चंद जवानों द्वारा जिस प्रकार वीरता व साहस का परिचय देते हुए जंग के मैदान में इतिहास रच दिया, वह देशवासियों के लिए गौरव की बात है। इस लड़ाई में 13 कुमाऊं की चार्ली कंपनी के जवानों ने मेजर शैतान सिंह की अगुवाई में वीरता का ऐसा इतिहास रचा, जिसे आज भी पूरे भारतवर्ष द्वारा गर्व से याद किया जाता है।

इस युद्ध के 110 बलिदानियों में 60 जवान हरियाणा के अहीरवाल क्षेत्र से थे। इस नाटक के माध्यम से जनमानस के मन मे अनजाने ही बसे उस मिथ्या पर कड़ा प्रहार किया गया, जहां हम सोचते हैं की एक सैनिक, चाहे वो जिस भी मुल्क का हो, उसका काम है सिर्फ लडऩा या लडक़र मर जाना। जहां उसके मन में अपने परिवार व सगे संबंधियों के लिए बसी उन भावनाओं से हमें कभी भी कोई मतलब नहीं होता जो उस क्षण सैनिक को युद्ध के मैदान में होती हैं।

इस नाटक में एक सैनिक की जीवनशैली का प्रभावी ढंग से चित्रण किया गया और दर्शाया गया कि किस प्रकार सैनिक अपने तीज-त्यौहार भी विषम परिस्थितियों में मनाते हैं। उन्हें भी अपने परिवार और सगे संबंधियों की याद आती है तो वे उनके बारे में आपस में ही बात करके अपना मन हल्का कर लेते हैं। इस नाटक में कंपनी कमांडर मेजर शैतान सिंह का रोल ऋषिकांत द्वारा किया गया, जिसकी प्रभावशाली प्रस्तुति से दर्शक अत्यधिक प्रभावित नजर आए। नाटक में रेजांगला की शौर्य गाथा का सजीव चित्रण करने के लिए लाइट एंड साउंड के साथ स्पेशल इफेक्ट देते हुए इसे और आकर्षक बनाने का प्रयास किया गया।उन्होंने रेजांगला की शौर्य गाथा का सजीव चित्रण प्रस्तुत करने वाले सभी कलाकारों को स्मृति चिन्ह भेंट कर सम्मानित भी किया तथा उन्हें बधाई व शुभकामनाएं दी। कार्यक्रम में डीपीआरओ देवेंद्र कुमार, डा. बी.आर. अंबेडकर राजकीय महाविद्यालय के प्रधानाचार्य डा. बाबूलाल शर्मा समेत शिक्षण स्टॉफ व कॉलेज की छात्र-छात्राएं मौजूद रहे।

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