Edited By Parminder Kaur, Updated: 03 Oct, 2024 10:09 AM
पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में जजों की भारी कमी के चलते विचाराधीन केसों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। वर्तमान में हाईकोर्ट में कुल 4,33,253 से अधिक मामले लंबित हैं। इनमें से 1,61,362 आपराधिक मामले और 2,71,891 सिविल मामले हैं।
हरियाणा डेस्क. पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में जजों की भारी कमी के चलते विचाराधीन केसों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। वर्तमान में हाईकोर्ट में कुल 4,33,253 से अधिक मामले लंबित हैं। इनमें से 1,61,362 आपराधिक मामले और 2,71,891 सिविल मामले हैं।
इस समय हाईकोर्ट में 31 जजों की कमी है। स्वीकृत 85 पदों के मुकाबले केवल 54 जज कार्यरत हैं। आने वाले 2025 तक छह हाईकोर्ट जज सेवानिवृत्त होने वाले हैं, जिससे स्थिति और गंभीर हो जाएगी।
सूत्रों के अनुसार, नौ जिला और सत्र न्यायाधीशों को हाईकोर्ट के जज के तौर पर पदोन्नत किया जाना है, लेकिन इन नियुक्तियों में समय लगने की संभावना है। जजों की नियुक्ति प्रक्रिया काफी लंबी और जटिल होती है। हाईकोर्ट कालेजियम द्वारा सिफारिश के बाद राज्य और राज्यपालों से मंजूरी लेनी होती है। इसके बाद इंटेलिजेंस ब्यूरो की रिपोर्ट के साथ नामों की फाइल सुप्रीम कोर्ट कालेजियम को भेजी जाती है।
पदोन्नति के लिए स्वीकृत नामों को राष्ट्रपति द्वारा नियुक्ति वारंट पर हस्ताक्षर करने से पहले केंद्रीय कानून मंत्रालय को भेजा जाता है। यदि प्राथमिकता के आधार पर काम नहीं किया गया, तो इस पूरी प्रक्रिया में कई महीने लग सकते हैं।
राष्ट्रीय न्यायिक डेटा ग्रिड के अनुसार, विचाराधीन मामलों में 1,12,754 (26 प्रतिशत) मामले 10 साल से अधिक समय से लंबित हैं। इसके अलावा 53,427 (12 प्रतिशत) मामले एक से तीन साल के बीच में हैं। 49,105 (11 प्रतिशत) मामले पिछले तीन से पांच वर्षों के बीच विचाराधीन हैं और 1,17,805 (27 प्रतिशत) मामले पांच से 10 साल से लंबित हैं।
पिछले साल नवंबर से हाईकोर्ट में कोई नई नियुक्ति नहीं हुई है, जिससे जजों की कमी एक गंभीर समस्या बन गई है। इसका सीधा असर केसों के निपटारे पर पड़ रहा है, जिससे न्याय की प्रक्रिया प्रभावित हो रही है।