Edited By Shivam, Updated: 03 Jul, 2019 08:31 PM
कैबिनेट ने किसानों को खरीफ की हर फसल की लागत का डेढ़ गुना मूल्य दिलाने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। बुधवार को कैबिनेट ने धान समेत 14 फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य में बड़ी बढ़ोत्तरी देने का ऐलान कर दिया। हालांकि कांग्रेस ने फसलों की कुल खर्च...
नई दिल्ली (ब्यूरो): कैबिनेट ने किसानों को खरीफ की हर फसल की लागत का डेढ़ गुना मूल्य दिलाने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। बुधवार को कैबिनेट ने धान समेत 14 फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य में बड़ी बढ़ोत्तरी देने का ऐलान कर दिया। हालांकि कांग्रेस ने फसलों की कुल खर्च के आंकलन में जमीन के खर्च को शामिल ना करने के फैसले पर सवाल उठाया है। चुनावी साल में संकट झेल रहे किसानों को राहत देने के लिए मोदी सरकार ने बुधवार को एक अहम फैसला किया। कैबिनेट ने 14 खरीफ फसलों की लागत से 50 प्रतिशत या उससे ज्यादा न्यूनतम समर्थन मूल्य देने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी।
राजनीतिक तौर पर सबसे महत्वपूर्ण फसल धान की सामान्य किस्म का न्यूनतम समर्थन मूल्य 1550 रुपये से बढ़ाकर 1750 रुपये कर दिया गया है, जो धान की लागत से 50.09 प्रतिशत ज्यादा है। धान के बाद सबसे अहम फसल अरहर, मूंग और उड़द दाल के न्यूनतम समर्थन मूल्य में भी काफी बढ़ोत्तरी की गई है। अरहर का न्यूनतम समर्थन मूल्य 5450 से बढ़ाकर 5675 रुपये प्रति क्विंटल हुआ है, जो अरहर की लागत से 65.36 प्रतिशत ज्यादा है। सबसे ज्यादा इजाफा बाजरा में किया गया है। बाजरा का न्यूनतम समर्थन मूल्य 1425 से बढ़ाकर 1950 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया गया है। यानी बाजरे की लागत से 9 6.97 प्रतिशत ज्यादा की गई है।
फैसले का ऐलान करते हुए राजनाथ सिंह ने कहा कि आजादी के बाद इतनी ज्यादा बढ़ोत्तरी न्यूनतम समर्थन मूल्य में नहीं की गई। उन्होंने कहा कि इससे किसानों की कमाई बढ़ेगी। यह 2022 तक किसानों की कमाई दोगुनी करने की दिशा में एक अहम कदम है। फसल की कुल लागत के आकलन में बीज, खाद, कीटनाशक, मशीनरी और मजदूरी आदि शामिल हैं, लेकिन जमीन की कीमत इसमें नहीं है। कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने ये सवाल उठाया और कहा कि फसलों की लागत का आकलन करने का सरकार का फार्मूला गलत है।