किसानों की शहादत पर भी संवेदनशील नहीं हो रही सरकार: राजन राव

Edited By Shivam, Updated: 25 Jan, 2021 07:00 PM

rao said government is not being sensitive on the martyrdom of farmers

गणतंत्र दिवस पर आंदोलनरत किसानों की ट्रैक्टर परेड को हरियाणा प्रदेश कांग्रेस समिति की अध्यक्षा, कुमारी सैलजा के राजनैतिक सचिव व दक्षिण हरियाणा के प्रभारी राजन राव ने ऐतिहासिक करार दिया है। उन्होंने कहा कि यह भारतीय इतिहास में पहली बार है जब देश का...

गुरुग्राम (गौरव): गणतंत्र दिवस पर आंदोलनरत किसानों की ट्रैक्टर परेड को हरियाणा प्रदेश कांग्रेस समिति की अध्यक्षा, कुमारी सैलजा के राजनैतिक सचिव व दक्षिण हरियाणा के प्रभारी राजन राव ने ऐतिहासिक करार दिया है। उन्होंने कहा कि यह भारतीय इतिहास में पहली बार है जब देश का किसान केंद्र सरकार के काले कृषि कानूनों के खिलाफ गणतंत्र दिवस पर राजधानी की सड़कों पर अपने शौर्य और धैर्य का प्रदर्शन करेंगे।

राव ने कहा कि पूरी दुनिया भारतीय किसानों के शौर्य और धैर्य से रूबरू होगी। यह देश के किसानों की एकजुटता और जीवट का ही परिणाम है कि सरकार को मजबूर होकर किसानों को ट्रैक्टर परेड की अनुमति देनी पड़ी है। किसानों की ताकत यह हठधर्मी सरकार देख चुकी है। अब पूरी दुनिया देखेगी। सरकार ने किसानों का संयम और धैर्य भी देखा। सरकार की ओर से माहौल को अराजक करने के खूब प्रयत्न हुए, लेकिन किसानों ने अपना संयम और धैर्य नहीं खोया। दो महीने के लंबे अंतराल में भी किसानों ने शांति भंग नहीं की। दिल्ली में होने वाली परेड भी पूरी तरह शांतिपूर्ण होगी। 

राव ने कहा सरकार के मुंह पर यह किसानों करारा तमाचा है। उन्होंने कहा कि सरकार अगर चाहती तो यह परेड रोक सकती थी, लेकिन सरकार की हठधर्मिता के कारण ऐसा नहीं हो पाया। सरकार तीनों कानूनों को रद्द कर किसानों को राजधानी कि सड़कों पर जाने से रोक सकती थी।अब अगर कोई अनहोनी भी होती है तो इसके लिए सीधे सीधे सरकार जिम्मेदार होगी। हालांकि किसानों कि ओर से परेड शांतिपूर्ण होगी। किसानों ने अपनी तरफ से इसकी पूरी तैयारी भी कर ली है। उन्होंने शाहजहां बॉर्डर और मसानी बैराज के अलावा पलवल के किसानों को दिल्ली में नहीं जाने की आलोचना भी की। 

उन्होंने कहा कि जब सींघु, कुंडली और गाजीपुर बॉर्डर से किसान शांतिपूर्ण ट्रैक्टर परेड के लिए दिल्ली में आ रहे हैं। तीनों ही बॉर्डर की पुलिस के साथ दिल्ली पुलिस को कोई आपत्ती नहीं है तो गुरुग्राम और फरीदाबाद पुलिस दिल्ली में जाने से किसानों को क्यों रोक रही है। उन्हें दिल्ली के बाहर केएमपी का रूट क्यों रखा गया है। उन्होंने मोदी सरकार पर किसानों की अनदेखी का आरोप लगाते हुए कहा कि आए दिन आंदोलनरत किसान अपनी शहादत दे रहे हैं। लेकिन केंद्र सरकार पूरी तरह असंवेदनशील बनी हुई है। किसानों की शहादत पर भी सरकार का दिल नहीं पसीज रहा। सोमवार को भी कुंडली बॉर्डर पर तीन किसानों ने अपनी शहादत दे दी। 

उन्होंने कहा कि 11 वें दौर की वार्ता में कृषि मंत्री ने जिस तरह का व्यवहार किया वह पूरी तरह निंदनीय है। उन्होंने किसानों को एक तरह से चेतावनी भरे लहजे में बात की जिससे साफ साबित होता है, पूंजीपतियों के दबाव में यह सरकार ना तो कानूनों को वापिस लेना चाहती है और ना ही एमएसपी पर कानून बनाना चाहती है। किसान बार बार सरकार से एमएसपी का कानून बनाने का अनुरोध कर रहे हैं, लेकिन सरकार इस मसले पर कोई बात ही नहीं करती। इससे साफ है सरकार पूंजीपतियों को लूट का खुला मौका देना चाहती ही। 

उन्होंने कहा कि सरकार को अभी भी भ्रम है कि ट्रैक्टर परेड के बाद किसान आंदोलन खत्म कर देंगे। लेकिन सरकार यह नहीं जानती कि अपने हक के लिए किसान अपना सब कुछ दांव पर लगाकर इतनी कड़कड़ाती ठंड में सड़कों पर बैठा है। कानून रद्द कराने के लिए किसानों को अगर कोई भी इम्तिहान देना पड़े, कोई भी कीमत चुकानी पड़े तो वह उसके लिए भी तैयार है। कांग्रेस पार्टी पूरे संघर्ष में किसानों के साथ थी और आगे भी किसानों के कंधे से कंधा मिलाकर साथ खड़ी रहेगी। कांग्रेस का शीर्ष नेतृत्व पहले ही अपना स्टैंड साफ कर चुका है।

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