मंदी की चपेट में प्लाईवुड उद्योग, लक्कड़ का कारोबार बंद

Edited By vinod kumar, Updated: 20 Oct, 2019 01:08 PM

plywood industry in the grip of recession lakad mandi closed

देश का सबसे बड़ा उद्योग कहे जाने वाले शहर में अब प्लाईवुड उद्योग बेहद मंदी के दौर से गुजर रहा है। मंदी भी ऐसी जो शायद पहले किसी ने नहीं देखी थी और न ही ऐसी कल्पना की थी। हालात यहां तक बिगड़ गए हैं कि प्लाईवुड से जुड़े उद्योगपति कर्जे में दबने के बाद...

यमुनानगर(त्यागी): देश का सबसे बड़ा उद्योग कहे जाने वाले शहर में अब प्लाईवुड उद्योग बेहद मंदी के दौर से गुजर रहा है। मंदी भी ऐसी जो शायद पहले किसी ने नहीं देखी थी और न ही ऐसी कल्पना की थी। हालात यहां तक बिगड़ गए हैं कि प्लाईवुड से जुड़े उद्योगपति कर्जे में दबने के बाद आत्महत्या तक करने लगे हैं और ऐसे कई मामले सामने आ चुके हैं। प्लाईवुड उद्योग पर देनदारी की यदि बात की जाए तो इस समय उद्योगपतियों पर इतनी अधिक देनदारी है जिसका शायद अनुमान भी नहीं लगाया जा सकता।

इसी देनदारी के चलते मजबूर होकर प्लाईवुड उद्योग को सफेदा व पापुलर की लकड़ी सप्लाई करने वाले आढ़तियों की एसोसिएशन, सफेदा-पापुलर आढ़ती एसोसिएशन ने शनिवार से यह निर्णय लिया है कि कम से कम 15 दिन तक वे लक्कड़ का कारोबार नहीं करेंगे, क्योंकि प्लाईवुड उद्योग पर देनदारी कुछ अधिक ही हो गई है जिसकी वजह से सफेदा-पापुलर आढ़तियों का भी बजट बिगड़ गया है। इस संबंध में पिछले कई दिनों से बैठकों व चर्चाओं का दौर चल रहा था, आखिरकार एसोसिएशन को यह निर्णय लेना पड़ा कि 15 दिन तक मंडी बंद रखी जाए। इसके बाद आगे की रणनीति बनाई जाएगी। फिलहाल शनिवार की सुबह काम करने के बाद यह ऐलान कर दिया गया कि 3 नवम्बर तक अब लक्कड़ मंडी बंद रहेगी। 

फैक्टरी संचालकों ने किया स्टॉक
लक्कड़ मंडी के बद होने से स्वाभाविक रूप से प्लाईवुड उद्योग पर प्रभाव पड़ेगा, क्योंकि बिना लकड़ी के प्लाईवुड उद्योग चल नहीं सकता। हालांकि की पिछले कुछ दिनों से यह चर्चा थी कि लक्कड़ मंडी जल्द ही कुछ समय तक बंद हो सकती है जिसके चलते कुछ फैक्टरी संचालकों ने तो भविष्य के लिए लकड़ी का स्टॉक भी अपनी फैक्टरियों में कर लिया था लेकिन हर कोई लकड़ी का स्टॉक करने में असमर्थ था और उन्हें लक्कड़ मंडी बंद होने के कारण फैक्टरी ही बंद करनी पड़ेगी। 

फैक्टरी बंद होने से फैक्टरी में काम करने वाले लोगों पर भी विपरीत असर पड़ेगा और उनके सामने भी आर्थिक संकट खड़ा हो जाएगा। ऐसे में लोगों की परेशानी तो बढ़ेगी ही क्योंकि शहर के बहुत से लोग प्लाईवुड उद्योग पर ही निर्भर करते हैं। 

24 घंटे चलने वाली फैक्टरी चल रही 8 घंटे 
मंदी की मार झेल रहे प्लाईवुड उद्योग से जुड़े लोगों का मानना है कि उन पर करोड़ों रुपए की देनदारी सफेदा-पापुलर आढ़तियों की है। इन फैक्टरी संचालकों का कहना है कि मंदी के हालात यह हैं कि जो फैक्टरी पहले 24 घंटे चलती थी, वह फैक्टरी अब 8 घंटे भी मुश्किल से चल रही है। जो पापुलर उन्हें 200-300 रुपए प्रति किं्वटल मिलता था वह पापुलर उन्हें अब 800 से 900 रुपए प्रति क्विंटल मिल रहा है। 

जी.एस.टी. के चलते टैक्सों का बोझ बढ़ गया है। उनका कहना है कि अब लक्कड़ मंडी एसोसिएशन ने मंडी को बंद करने का ऐलान किया है। इससे फैक्टरी संचालक और अधिक परेशानी में आ जाएंगे। फैक्टरी बंद हो खुली, फैक्टरी में खर्चे तो जस के तस ही रहते हैं। 

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