Paris Olympic 2024: मनु भाकर के बाद किरण पहल से पदक की उम्मीद, जानिए Olympic तक के सफर की कहानी

Edited By Manisha rana, Updated: 31 Jul, 2024 10:08 AM

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हरियाणा की लड़कियों की गूंज पेरिस ओलंपिक में देखने को मिल रही है। मनु भाकर के बाद सोनीपत के गांव गुमड की रहने वाली किरण पहल से देश को 400 मीटर रेस में पदक की उम्मीद है। अगर किरण पदक लाने में कामयाब हुई तो वो ऐसी पहली महिला एथलेटिक्स खिलाड़ी होगी...

सोनीपत (सन्नी मलिक) : हरियाणा की लड़कियों की गूंज पेरिस ओलंपिक में देखने को मिल रही है। मनु भाकर के बाद सोनीपत के गांव गुमड की रहने वाली किरण पहल से देश को 400 मीटर रेस में पदक की उम्मीद है। अगर किरण पदक लाने में कामयाब हुई तो वो ऐसी पहली महिला एथलेटिक्स खिलाड़ी होगी जिन्होंने इस इवेंट में देश के लिए पदक जीता होगा। किरण के ओलंपिक तक के सफर को सुनकर आपकी आंखों से आंसू निकल आएंगे। कभी किरण दौड़ करने के जूते से लेकर खाने तक के पैसे भी दादी की पेंशन से लेती थी, लेकिन अब परिवार का नाम रोशन करने के लिए पेरिस ओलंपिक में दौड़ लगाने के लिए तैयार है। 

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जानिए किरण के ओलंपिक तक के सफर की कहानी 

अब हम आपको किरण के ओलंपिक तक के सफर की कहानी बताते है। गांव गूमड़ के रहने वाले ओमप्रकाश ने ये सपना संजोया था कि उसका बेटा या बेटी देश के लिए ओलंपिक का मेडल जीते, जिसको लेकर उन्होंने अपनी बेटी किरण को मैदान में मेहनत करने के लिए भेजना शुरू किया तो गांव वालों ने उसे ताना देना शुरू किया कि बेटी है घर पर रखो। साल 2022 में ओमप्रकाश की बीमारी की वजह से मौत हो गई, लेकिन किरण ने अपने पिता की मौत के बाद अपनी तैयारी और जोरों-शोरों से शुरू की ताकि वह अपने पिता का सपना पूरा कर सके और आज नतीजा ये है कि वह पेरिस की धरती पर मौजूद है और देश के लिए मेडल लाने के लिए पसीना बहा रही है।

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किरण के परिजन खासकर उसके भाई रविंद्र और उसकी मां माया देवी जब उसके संघर्ष की कहानी बताते है तब उनकी आंखों से आंसू निकलते है। रविंद्र ने बताया कि जब किरण को हमारे पापा बाहर भेजते तो गांव वाले कहते बेटी है ब्याह कर दो, क्या भेज रहे हो बाहर। अब देखो किरण ने क्या कर दिखाया, पूरे गांव को उस पर नाज है। किरण का जब पेरिस ओलंपिक में खेलने का सिलेक्शन हुआ तो टीवी से पता चला लेकिन अब बेहद खुशी है कि वो देश के लिए मेडल लाने के लिए पेरिस में है। शुरुआत में घर की हालात अच्छी नहीं थी। दादी के पेंशन के पैसे से दौड़ने के लिए जूते खरीदे थे और अब हमारे पापा का सपना पूरा होता हुआ दिखाई दे रहा है। जब वह घर आएगी तो उसका जोरदार स्वागत किया जाएगा और पदक साथ होगा तो क्या कहना।  किरण को चने के लड्डू पसंद है तो परिवार उसके लिए भी तैयारी कर रहा है।

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आपको बता दें कि हाल ही में किरण भारतीय रेलवे में कर्मचारी है और उसने रोहतक में देश के लिए मेडल लाने के लिए पसीना बहाया है और पूरे देश को पहली बार किसी महिला एथलीट्स से पदक की उम्मीद है तो वह है किरण पहल। हम भी यही उम्मीद लगाए बैठे है कि किरण देश के लिए पदक लाए और देश का नाम रोशन करे।

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