Edited By vinod kumar, Updated: 20 Apr, 2020 02:43 PM
लाॅकडाउन के बीच नेशनल हाईवे पर ढाबे खुलने से सभी ढाबा मालिक और कारीगर खुश नजर आ रहे हैं। इसके चलते सभी मालिक अपने कारीगरों को ढाबे में ही रह कर खाना खिला रहे हैं, कहीं से कोई आमदनी नजर नहीं आ रही थी, लेकिन सरकार की इस पहल से काफी खुश नजर आ रहे हैं।...
पानीपत(सचिन नारा): लाॅकडाउन के बीच नेशनल हाईवे पर ढाबे खुलने से सभी ढाबा मालिक और कारीगर खुश नजर आ रहे हैं। इसके चलते सभी मालिक अपने कारीगरों को ढाबे में ही रह कर खाना खिला रहे हैं, कहीं से कोई आमदनी नजर नहीं आ रही थी, लेकिन सरकार की इस पहल से काफी खुश नजर आ रहे हैं। सभी का कहना है कि वह सरकार के नियमों के अनुसार ढाबों को खाेलेंगे।
हाईवे पर मुरथल से लेकर अम्बाला तक लगभग 400 ढाबें हैं। इन ढाबों पर 10 से 12 हजार कारीगर काम करते है। केंद्र सरकार के एक कदम से उन्हें अपनी रोजी कमाने के लिए उम्मीद की किरण नजर आ रही है। ढाबा मालिकों का कहना है कि सरकार का यह सराहनीय कदम है और पहल अच्छी है। उन्होंने कहा कि जब से लॉकडाउन हुआ है, तब से हम अपने कारीगरों को बैठकर खिला रहे हैं। कहीं से कोई आमदनी नहीं है।
कुछ ढाबा मालिक ने तो यहां तक कहा कि सरकार के इस कदम से जो मजदूर इधर उधर भटक रहे थे, अब उन्हें खाने के लिए कुछ मिलेगा। उनका कहना कि पूरा सोशल डिस्टेंसिंग का ख्याल रखा जाएगा। सरकार जो भी नियम और शर्तें लागू करेगी उसका पालन करेंगे।
वहीं कुछ कारीगराें ने कहा कि अभी ढाबे खोलना खतरे से खाली नहीं है, लेकिन रोजी रोटी का भी सवाल है। सोशल डिस्टेंसिंग का ध्यान रखना पड़ेगा। उन्हाेंने कहा कि मालिक भी बैठ कर खिला रहे हैं उनके पास भी अपनी कोई आमदनी नहीं है वह हमें पैसे कहां से दें।